उत्तराखंड

उत्तराखंड: मस्जिद विवाद के बीच पुलिस का फ्लैग मार्च, बाजार बंद, पूरे उत्तरकाशी जिले में 163 लागू

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दिनेश मानसेरा

उत्तरकाशी: मस्जिद विवाद के बीच कल हिंदू संगठनों पर हुए लाठी चार्ज के बाद जिले भर में तनाव पूर्ण शांति के साथ पूरा बाजार बंद रहा। पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और धारा 163 को लागू कर दिया है। उधर शासन ने इस घटना के बारे में जांच रिपोर्ट तलब की है।

उधर हिंदू संगठनों ने आरटीआई से मिली जानकारी और अन्य दस्तावेजों के साथ सीएम पुष्कर सिंह धामी को एक पत्र प्रेषित किया है और दावा किया है कि उक्त मस्जिद अवैध रूप से बनाई गई है। हिंदू संगठनों ने कहा है कि जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय के 100 मीटर की दूरी पर, बगैर कोई नक्शा पास करवाए, निजी भूमि पर अवैध रूप से आवासीय भवन निर्मित किया गया है।

हिंदू संगठनों ने कहा है उक्त आवासीय भवन, मुस्लिम वर्ग के लोगों की निजी भूमि पर निर्मित है, उक्त भवन में, बड़ी अधिक संख्या में बाहरी अजनबी लोगों की भीड़ जुटाई जाने लगी है, जिसके कारण उत्तरकाशी देवभूमि का माहौल अशांत और चिंताजनक बना हुआ है व उत्तरकाशी मूल का जनमानस आक्रोषित है। संगठनों द्वारा सूचना के अधिकार के तहत, जिला प्रसाशन से लिखित जानकारी प्राप्त है कि उक्त स्थल पर मस्जिद के नाम पर, कोई भी भूमि मौजूद नहीं है, जबकि, उक्त भूमि का दाखिला खारिज भी नियम विरुद्ध हुआ है।

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वर्ष 2004-05 में दाखिला खारिज प्रक्रिया जब गतिमान थी तब से 15 वर्ष पूर्व,  विक्रेता सरदार सिंह का निधन हो चुका था और मृतक के नाम उक्त भूमि  वर्ष 1991 के बाद कागजात माल में दर्ज नहीं थी, किन्तु फिर भी उक्त मृतक व्यक्ति के विरुद्ध, चुपके से षड़यंत्र के तहत एक वाद (मुकदमा) चलाया गया था। जबकि मृतक व्यक्ति के दोनों पुत्र उस वक्त जीवित थे और भूस्वामी दर्ज थे, लेकिन उक्त दाखिला खारिज प्रक्रिया के वक्त, दोनों भूमि मालिकों को व उनके परिवार के सदस्यों को और उनके गांव के जन प्रतिनिधियों को सूचित तक नहीं किया गया था, सम्बन्धित वाद संख्या 406/ 2004 – 2005 धारा 34 भू अधिनियम,  फाइल के अवलोकन से पूरी साजिस को समझा जा सकता है।

संगठन ने कहा है कि वादीगण एवं तत्कालीन अधिकारियों ने सोची समझी रणनीति के तहत, 15 वर्ष पूर्व मर चुके शख्स को संबंधित फाइल के भीतर मात्र कागजों में प्रतिवादी बनाया है और 6 महीने तक न्यायालय में पुकार लगने पर मृतक व्यक्ति  जब आपत्ति करने नहीं उपस्थित हुआ तो एक पक्षीय फैसला किया गया था, क्योंकि भूमि के मालिक व परिवार के सदस्यगण, उक्त दाखिल खारिज के पक्ष में कभी नहीं थे। यही वजह थी कि उक्त प्रक्रिया को संबंधित परिवार जनों से छुपा कर, पूरी साजिश को अंजाम दिया गया था।

हिंदू संगठन द्वारा भू स्वामियों के दादाजी व पिता ने अपने जीते जी 36 वर्षो तक दाखिला खारिज प्रक्रिया के लिए हमेशा इंकार किया था व इसको कभी होने नहीं दिया था, क्योंकि गांव के पुराने लोग बताया करते थे, कि वर्ष 1969  में उनके साथ कपट हुआ था और धोखे से सम्पूर्ण पांच नाली भूमि का बैनामा लिखवाया गया था, इसी कारण उनकी मौत के 36 साल बाद  वर्ष 2004 – 2005  में, तत्कालीन भू स्वामियों और परिवार जनों को सूचित किये बगैर, चोरी छुपे, उक्त दाखिल खारिज  किया गया था, दाखिला खारिज प्रक्रिया वाद  फैसले में साफ अंकित है, कि संबंधित भूमि पर, भवन निर्मित था, जिसे जान बूझकर मस्जिद लिखा गया है,  जबकि उक्त निर्मित भवन को नजर अंदाज करके, मात्र भूमि का ही दाखिला ख़ारिज किया जाना भी साजिश का हिस्सा था।

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हिंदू संगठनों ने सीएम से सम्बंधित वाद फाइल का अवलोकन करवाया जाय एवं सम्पूर्ण मामले की जाँच करने की मांग की है और कहा कि अवैध रूप से बने उक्त निजी भवन पर, अवैध रूप से चल रही गतिविधि पर व वहां भीड़ जुटने पर, पूर्ण रोक लगवाई जाए एवं बाहरी राज्यों से आए घुसपैठियों / अवैध कब्जा धारियों और फेरी के नाम पर, बाहरी अजनबी लोगों का, हमारे दूरस्त ग्रामीण इलाकों में घुसने पर रोक लगवाई जाय।

उधर प्रशासन का कहना है कि मस्जिद वैध स्थान पर बनी है। डीएम मेहरबान सिंह ने इस बारे में एक बयान जारी किया है।
हिंदूवादी नेता राकेश उत्तराखंडी ने कहा है कि जेहादी मानसिकता देवभूमि में स्वीकार्य नहीं है। संत दर्शन भारती ने पुलिस लाठीचार्ज की निंदा करते हुए कहा कि शांति पूर्ण आंदोलन चल रहा था और पुलिस ने जानबूझ कर बवाल शुरू किया।
हिंदू नेता लखपत सिंह ने कहा कि मस्जिद से पहले पत्थर चले पुलिस ने इसे अनदेखा किया और हम पर लाठीचार्ज किया।

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