खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में झूठ फैलाकर अपना पलीता करवाने के बाद भी कनाडा के जस्टिन ट्रुडो अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। अब देश की संसद में बहुमत खोने के बाद भी ट्रुडो ने अपने पद से इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है। साथ ही अगले साल होने वाले आम चुनावों में अपनी लिबरल पार्टी का नेतृत्व करेंगे।
क्या है पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि निज्जर की हत्या के मामले में भारत पर झूठे आरोप लगाकर वैश्विक प्लेटफॉर्म पर थू-थू कराने वाले जस्टिन ट्रुडो के खिलाफ उनकी ही पार्टी के सांसद आ गए हैं। लिबरल पार्टी के करीब 20 सांसदों ने साइन किया हुआ एक पत्र भी जारी किया है, जिसमें 20 सांसदों ने अपने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें उनसे पद छोड़ने की मांग की गई है। अपने पत्र में इन बागी सांसदों ने ट्रुडो को चेतावनी दी थी कि 28 अक्तूबर तक या तो वे अपने दो को छोड़ दें, या फिर तख्तापलट के लिए तैयार रहें।
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सांसदों ने ट्रूडो से जो बाइडेन की ही तरह से राष्ट्रपति पद की रेस से बाहर हो जाएं। सांसदों का मानना है कि सदियों से कनाडा में किसी भी नेता ने चौथी बार चुनाव नहीं जीता है। इसलिए उन्हें पद छोड़ देना चाहिए। हालांकि, ट्रूडो इसके ठीक उलट अगले वर्ष आम चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं।
बहुमत खो चुके हैं ट्रूडो
बता दें कि फिलहाल कनाडा की संसद में जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई वाली सरकार के 153 सांसद ही हैं। जबकि, बहुमत का आंकड़ा 170 का है। जबकि, कुल सीटों की बात करें तो कनाडा के हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 338 सीटें हैं। उल्लेखनीय है कि इस माह की शुरुआत में ही खालिस्तानी समर्थक न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रुडो से अपना समर्थन वापस ले लिया था।
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