नई दिल्ली, (हि.स.)। दिल्ली हाई कोर्ट ने 48 वर्षीय हथिनी रंजीता को असम से दिल्ली ले आने पर रोक लगाई है। चीफ जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन को निर्देश दिया कि वे दिल्ली के उस स्थान का मुआयना करें जहां रंजीता को असम से लाया जा रहा था। मामले की अगली सुनवाई 28 नवंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या 48 वर्ष की उम्र की हथिनी की शारीरिक अवस्था इस तरह की है कि वो जोरहाट से सड़क मार्ग से दो हजार किलोमीटर की यात्रा कर दिल्ली आ सके। क्या ये हथिनी रंजीता के लिए सुरक्षित होगा। चीफ जस्टिस ने कहा कि हथिनी की औसत उम्र 60 साल की होती है। हाथी काफी बड़े इलाके में घूमते हैं और उन्हें जोरहाट जैसे बड़े इलाके से लाकर काफी छोटे इलाके में रखा जाएगा।
याचिका फेडरेशन ऑफ इंडियन एनिमल प्रोटेक्शन आर्गनाइजेशन (एफआईएपीओ) की ओर से इसके सीईओ भारती रामचंद्रन ने दायर किया है। याचिका में रंजीता हथिनी को जोरहाट से दिल्ली लाये जाने के आदेश को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि रंजीता हथिनी को दिल्ली लाये जाने के आदेश में इसकी जरूरत क्या है, ये स्पष्ट नहीं है। रंजीता हथिनी को जोरहाट से दिल्ली लाने की अनुमति असम प्रशासन और दिल्ली के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन ने दी है। याचिका में कहा गया है कि जोरहाट में हरियाली काफी ज्यादा है। जोरहाट और दिल्ली के वातावरण में काफी अंतर है, जो किसी जानवर के लिए काफी कष्टदायक होगा।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट को बताया गया कि दक्षिणी दिल्ली के सैनिक फार्म इलाके में बगलामुखी मंदिर ट्रस्ट में बड़ी संख्या में घोड़े और ऊंट रखे गए हैं। ये इलाका करीब डेढ़ एकड़ में फैला हुआ है। तब कोर्ट ने दिल्ली के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन को निर्देश दिया कि वे बगलामुखी मंदिर ट्रस्ट के उस स्थान का मुआयना करें जहां जानवर रखे गए हैं। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डेन अपनी रिपोर्ट में ये बताएं कि वहां रखे गए जानवरों की संख्या कितनी है और वे किस स्थिति में रह रहे हैं और वहां जानवरों के रखरखाव के लिए कितने स्टाफ हैं।
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