कर्णावती: नकली जज बनकर नकली कोर्ट खड़ा करके अरबों की सरकारी जमीन निजी व्यक्तियों के नाम कर देने के स्कैम में नकली जज मोरिस क्रिश्चियन के 11 दिन के रिमांड कोर्ट ने मंजूर किये हैं। इस केस के बाद मोरिस की ठगी के भोग बनने वाले अन्य दो शिकायत कर्ता भी सामने आए हैं। उन्होंने मोरिस पर 70 लाख की ठगी का आरोप लगाया है।
नकली जज मोरिस क्रिश्चियन के 11 दिन के रिमांड कोर्ट ने मंजूर किये हैं। नकली जज के समाचार सब जगह प्रसिद्ध होने के बाद दो नए शिकायतकर्ता सामने आए हैं। पुलिस ने कोर्ट के समक्ष रिमांड मांगते हुए इस बात का खुलासा किया। पुलिस ने 14 दिन के रिमांड मांगते हुए बताया कि मोरिस के खिलाफ दो नई धोखाधड़ी सामने आयी है, जिसमें दोनों शिकायतकर्ता ने मोरिस के खिलाफ 70 लाख की ठगी का आरोप लगाया है। जिसकी जांच जरूरी है।
नकली जज बनकर मोरिस क्रिश्चियन ने अहमदाबाद महानगर की नारोल और शाहवाडी स्थित पांच अलग-अलग जमीन के ऑर्डर करके उसे निजी व्यक्ति के नाम कर दी है। जिसमें से एक जमीन 2.47 लाख चोरस मीटर की है। नकली लवाद बनकर मोरिस ने यह जमीन विंसेंट ओलिवर कारपेंटर के नाम कर दी है। यह मामला सामने आते ही सिविल कोर्ट में एक्जीक्यूशन की कार्रवाई शुरू की गई है।
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वड़ोदरा के पास कोटाली गाँव की जमीन विश्वामित्री नदी के ब्रिज के अप्रोच के लिये सम्पादित की गई थी। जिसके चलते यह जमीन सरकार के रेकर्ड पर ‘श्री सरकार’ से दर्ज की गई थी। लेकिन, मोरिस ने नकली जज बनकर यह जमीन निजी व्यक्ति के नाम कर दी। उसके ऑर्डर के आधार पर सर्कल ऑफिसरने भी सरकारी रेकर्ड में ऑर्डर के हिसाब से चेन्जिस कर दिए थे।
नकली जज के मामले में सबसे बड़ा खुलासा यह हुआ है कि मोरिस देश के किसी भी बार काउंसिल में वकील रूप में पंजीकृत नही है। जब वह वकील ही नहीं है तो जज किस प्रकार बन गया यह सवाल सामने आया है। वकील न होने के बावजूद भी मोरिस सालों से वकील के तौर पर प्रेक्टिस करता रहा और नकली जज बनकर ऑर्डर भी करता रहा।
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इंटरनेशनल लॉ कि डिग्री होने का दावा कर रहे मोरिस ने साल 2007 में वकील की सनद लेने के लिए आवेदन दिया था, जो बीसीआई को भेजा गया था। लेकिन, बीसीसीआई ने मोरिस को सनद नहीं देने का आदेश दिया था। फिर भी मोरिस ने प्रैक्टिस शुरू करने पर उसके खिलाफ कोर्ट में भी आवेदन दिया गया था। मोरिस के पास 9 अलग अलग नाम के भारतीय पासपोर्ट भी मिले है।
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