कालागढ़ ( पौड़ी गढ़वाल): कालागढ़ रामनगंगा जल विद्युत प्रोजेक्ट के लिए अस्थाई रूप से बसाए गए कालागढ़ कस्बे पर अभी भी यूपी के लोगों के अवैध कब्जे बने हुए हैं। दरअसल ये वन भूमि है और इसे कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए लीज पर दिया हुआ था।
प्रोजेक्ट पूरा हो गया जिसके बाद उक्त कालागढ़ की भूमि वापिस वन विभाग में जानी थी, जिसमें से कई हेक्टेयर वापिस दे भी दी गई परन्तु अभी भी सैकड़ों लोग यहां सरकारी भूमि पर अवैध रूप से काबिज है। खास बात ये है कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व कालागढ़ वन प्रभाग की बफर जोन की भूमि पर अवैध रूप से बसे कब्जेदारों ने एक मस्जिद का निर्माण भी अवैध रूप से किया हुआ और इस मस्जिद के निर्माण को और आगे विस्तार देने के लिए सोशल मीडिया पर प्रचार करके चंदा जुटाने का आह्वान भी किया जा रहा है। इस मस्जिद को टीन मस्जिद के नाम से प्रचारित किया जा रहा है।
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कालागढ़ टाइगर रिजर्व का अतिक्रमण भी इस लिए नहीं हटाया गया कि यहां बिजनौर धामपुर के लोगों ने कब्जा किया हुआ है और मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति ने इसे संरक्षण दिया, कांग्रेस के नेता यहां कालागढ़ में अपनी राजनीति करते रहे हैं और यहां अवैध रूप से काबिज लोगों को संरक्षण देते रहे हैं। कालागढ़ में अवैध कब्जे रामगंगा जल विद्युत परियोजना के खत्म हो जाने के बाद लीज पर प्रोजेक्ट के लिए दी गई वन विभाग यानि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ फॉरेस्ट डिविजन को वापिस होनी थी ऐसा सुप्रीम कोर्ट के साथ साथ राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण का भी आदेश था, कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने बहुत सारी जमीन वापिस भी ली थी, लेकिन आज भी यहां सैकड़ों हेक्टेयर जमीन पर लोगों के अवैध कब्जे हैं जबकि यहां से कोई कारोबार नही होता और यहां ज्यादातर लोग वन सम्पदा की तस्करी में लिप्त बताए जाते हैं, ये भी जानकारी मिली है कि यूपी से अपराधी किस्म के लोग यहां उत्तराखंड की सीमा में आकर पनाह लेते हैं।
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कालागढ़ क्षेत्र पौड़ी गढ़वाल का हिस्सा है और इसके एक तरफ नैनीताल जिला है दूसरी ओर यूपी के बिजनौर जिले का अफजल गढ़ क्षेत्र आता है। पौड़ी जिला प्रशासन और कॉर्बेट टाइगर रिजर्व ने अपनी भूमि खाली करवाने का अभियान 2018 तक चलाया था उसके बाद से ये अभियान छुट-पुट अतिक्रमण हटा कर एनजीटी को ये सूचना देकर खामोश हो जाता है। यहां भवन जर्जर हालत में है लेकिन यहां लोगों ने अपने कब्जे नहीं छोड़े हैं। इनमें बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्होंने अफजलगढ़, बिजनौर में भी अपने मकान बना लिए हैं, किंतु यहां भी कब्जे कर अवैध रूप से बैठे हुए है। ये भी जानकारी मिली है कि इनके उत्तराखंड में भी वोट है और यूपी में भी वोट है। उत्तराखंड में राजनीतिक संरक्षण और तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से इन्हें हटाने में शासन प्रशासन भी बेबस साबित हो रहा है।
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