भगोड़े इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक ने भगवान गणेश पर किए गए विवादित पोस्ट के मामले में राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी याचिका को वापस ले लिया है। नाइक ने 2013 में इस याचिका के माध्यम से अपने खिलाफ देशभर में दर्ज एफआईआर से राहत की मांग की थी। 2012 में उन्होंने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर भगवान गणेश के बारे में एक विवादित पोस्ट किया था, जिसके कारण उनके खिलाफ महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा, ओडिशा और कर्नाटक में एफआईआर दर्ज की गई थीं।
महाराष्ट्र सरकार का विरोध
महाराष्ट्र सरकार ने इस याचिका का कड़ा विरोध किया और कहा कि देश छोड़कर भाग चुके व्यक्ति को संवैधानिक संरक्षण का अधिकार नहीं मिलना चाहिए। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि जाकिर नाइक भगोड़ा घोषित किया जा चुका है और उन्हें किसी प्रकार का कानूनी संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए।
सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत किसी भी भारतीय नागरिक को सीधे सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार ऐसे व्यक्ति को नहीं दिया जाना चाहिए जो देश छोड़कर भाग चुका हो। उन्होंने कहा कि जाकिर नाइक की याचिका पर उनके हस्ताक्षर भी नहीं हैं, इसलिए यह याचिका अस्वीकार की जानी चाहिए।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय ओका, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और ऑगस्टीन मसीह की बेंच ने सॉलिसिटर जनरल से लिखित जवाब दाखिल करने को कहा था। इसके साथ ही कोर्ट ने जाकिर नाइक के वकील से यह भी पूछा कि क्या वे अपने मुवक्किल से निर्देश लेकर यह बताना चाहेंगे कि वे याचिका वापस लेना चाहते हैं या नहीं।
इसके बाद, जाकिर नाइक के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से यह याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी, ताकि वे अलग-अलग हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती दे सकें। सर्वोच्च न्यायालय ने इसे रिकार्ड पर ले लिया और याचिका को बंद कर दिया।
जाकिर नाइक एक इस्लामिक उपदेशक हैं, जो अपने कट्टर विचारों और भड़काऊ भाषणों के कारण विवादों में रहे हैं। उन पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने, धर्मांतरण और आतंकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के गंभीर आरोप लगे हैं। भारत में उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसके चलते उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है। नाइक फिलहाल भारत से फरार हैं और मलेशिया में शरण लिए हुए हैं।
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