प्रयागराज में स्थित सिविल लाइंस वह क्षेत्र है जहां आजादी के पहले भारतीयों को प्रवेश लेने के पहले अनुमति लेनी पड़ती थी। उसी सिविल लाइंस में अब शहद वाल का निर्माण लगभग पूरा हो गया है। देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले वीर शहीदों की बलिदान की गाथा से सभी लोग परिचित हो सकेंगे। इस शहीद वाल में ऐसे बलदानियों का विवरण भी है जो गुमनाम रह गए थे।
प्रयागराज में देश की आजादी में अपना बलिदान करने वाले गुमनाम बलिदानियों को चिन्हित कर उनके बलिदान की गाथा लोगों के बीच पहुंचाने के लिए शहीद वॉल का निर्माण कराया गया है। प्रयागराज स्मार्ट सिटी की तरफ से इसका निर्माण किया गया है। निर्माण पूरा होने के बाद इसमें अब फिनिशिंग का कार्य चल रहा है। शहर के सिविल लाइंस स्थित महात्मा गांधी मार्ग पर ₹3.5 करोड़ की लागत से इसका निर्माण किया गया है। महाकुंभ के पहले इसका लोकार्पण किए जाने की संभावना है।
प्रयागराज में अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद की शहादत स्थली आजाद पार्क और ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान की गवाह मलाका जेल इनमे प्रमुख हैं। इन अमर शहीदों के अलावा जिले में ऐसे कई गुमनाम शहीद भी हैं जिनके बलिदान से नई पीढ़ी अभी भी परिचित नहीं है। इन्हीं गुमनाम शहीदों की बलिदान की गाथा को प्रकाश में लाने के लिए शहीद वॉल का निर्माण कराया गया है। शहर के सिविल लाइंस में यह भव्य शहीद वॉल में प्रयागराज के गुमनाम 29 शहीदों को समर्पित है। वॉल में शहीदों के 29 छोटे म्यूरल्स से फोटो बनाए गए हैं। साथ ही उनका परिचय भी रेड सैंड स्टोन में लिखा हुआ है। इसके अलावा, आठ बड़े म्यूरल्स भी यहां पर लगाए गए हैं।
इनके नीचे शहीदों की शहादत की कहानियां भी स्टोन में उकेरी गई हैं। शहीद वॉल में दो वॉटर कूलर और वॉटर फाउंटेन भी बनाए गए हैं। इसमें पांच परगोला भी बनाए गए हैं। एलईडी फ्लड लाइट्स भी इसमें प्रकाश व्यवस्था के लिए लगाई गई है। वॉल के चारों तरफ ग्रीनरी और हॉर्टिकल्चर का काम भी किया गया है। वॉल के किनारे साइनेज भी लगाए गए हैं। इसमें बैठने के लिए स्पेस भी है जो खास फ्लोर स्टोन से बनाया गया है।
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