22 अक्तूबर को ब्रिक्स की बैठक के लिए रूस के कजान शहर पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक से इतर ईरान के राष्ट्रपति पेजेशकियन से विशेष भेंट की थी। दोनों नेताओं के बीच निश्चित रूप से वैश्विक परिस्थितियों पर भी चर्चा हुई होगी। ईरान—इस्राएल तनाव पर भी मोदी ने उनसे शांति के प्रयासों पर बात की होगी।
भारत में कार्यरत इस्राएल के राजदूत का हाल का वक्तव्य बहुत चर्चा में है। इसमें उन्होंने भविष्य की ओर देखते हुए न सिर्फ भारत का एक उभरता शक्तिपुंज बताया है, बल्कि पश्चिम एशिया में एक ऐसी ताकत बताया है जिसकी आने वाले वक्त में महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। इसमें संदेह नहीं है कि 2014 के बाद से, भारत को लेकर विश्व का नजरिया बदला है और इसमें नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का बहुत बड़ा हाथ है। इस्राएल के साथ भारत के प्रगाढ़ सांस्कृतिक संबंध हैं और रणनीतिक संबंध भी असाधारण रूप से प्रगति कर रहे हैं। ऐसे में इस्राएल के राजदूत रूवेन का कथन अंतरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुखता से देखने में आया है।
बदलती वैश्विक परिस्थितियों में इस्राएल और हमास के बीच चल रहे युद्ध और इधर ईरान के साथ गिड़ते जा रहे समीकरणों के प्रकाश में तेल अवीव ने तेहरान को कुछ संकेत दिए थे। रूवेन कहते हैं कि जिन प्रमुख देशों के माध्यम से ये संकेत भिजवाए गए थे उनमें भारत भी एक प्रमुख देश रहा है। इसी संदर्भ में राजदूत रूवेन ने कहा है कि भारत की पश्चिम एशिया में एक बड़ी भूमिका से नकारा नहीं जा सकता। इस क्षेत्र में टकराव को कम करने में भारत का दखल होना बहुत महत्वपूर्ण है।
इसी वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए राजदूत रूवेन ने इस्राएल—ईरान के बीच बढ़ रही तल्खी का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि अगर ईरान इस्राएल विरोधी कार्रवाई में हाथ बंटाता है तो तेल अवीव को पूरा अधिकार है कि अपनी रक्षा के लिए ईरान के विरुद्ध उचित कदम उठाए।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि इस्राएल अपनी ओर से सदा शांति के पाले में रहा है, परन्तु ईरान ने पिछले दिनों इस्राएल पर बड़ी संख्या में मिसाइलें दागकर इस्राएल को उकसाने का काम किया था। इसका जवाब देने का इस्राएल को पूरा अधिकार है, इससे कोई इंकार नहीं कर सकता। राजदूत रूवेन ने ईरान की बात आने पर कहा कि पश्चिम एशिया में शांति रहे, इसमें भारत बड़ी भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह देश एक तेजी से उभर रही ताकत है। नई दिल्ली की बात विश्व के अन्य क्षेत्रों के साथ ही पश्चिम एशिया में भी गौर से सुनी जा रही है।
यहां यह ध्यान रखना होगा कि 22 अक्तूबर को ब्रिक्स की बैठक के लिए रूस के कजान शहर पहुंचे भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बैठक से इतर ईरान के राष्ट्रपति पेजेशकियन से विशेष भेंट की थी। दोनों नेताओं के बीच निश्चित रूप से वैश्विक परिस्थितियों पर भी चर्चा हुई होगी। ईरान—इस्राएल तनाव पर भी मोदी ने उनसे शांति के प्रयासों पर बात की होगी।
इसीलिए रूवेन ने संकेत में कहा कि उभरती हुई ताकत भारत को आने वाले वक्त में पश्चिम एशिया में अपना प्रभाव दिखाना होगा। भारत का महत्व बढ़ रहा है और आगे और बढ़ेगा। रूवेन को तो यहां तक भरोसा है कि आने वाले कुछ ही वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 260 अरब डॉलर तक पहुंचने वाली है।
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