वाशिंगटन ने उक्त देशों की ऐसी 26 कंपनियां काली सूची में डाली हैं जिन्हें अपने मिसाइल और ड्रोन बनाने में अमेरिका की तकनीक मिल रही थी। ये कंपनियां अब बिना तकनीक के इनका निर्माण फिलहाल तो नहीं कर पाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन देशों की संदिग्ध रक्षा नीतियों की वजह से अमेरिका ने यह कड़ा कदम उठाया होगा। ईरान की भी अनेक कंपनियां ड्रोन बनाने के रास्ते पर थीं, जिन्हें अब एक बड़ा झटका लगा है।
अमेरिका ने एक ऐसी घोषणा की है जिससे ऐसा लग रहा है कि भारत के पड़ोसी जिन्ना के देश, पाकिस्तान के साथ ही उसके आका और उसके राशन के लिए चंदा देने वाले चीन के मिसाइल—ड्रोन कार्यक्रमों पर ताला लटकने वाला है। दरअसल अमेरिका ने इन देशों की कई कंपनियों को काली सूची में डाल दिया है। यानी अब इन दोनों के साथ ही ईरान को भी उसके मिसाइल—ड्रोन प्रोजेक्ट्स के आधे रास्ते में ही बंद हो जाएंगे।
वाशिंगटन ने उक्त देशों की ऐसी 26 कंपनियां काली सूची में डाली हैं जिन्हें अपने मिसाइल और ड्रोन बनाने में अमेरिका की तकनीक मिल रही थी। ये कंपनियां अब बिना तकनीक के इनका निर्माण फिलहाल तो नहीं कर पाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इन देशों की संदिग्ध रक्षा नीतियों की वजह से अमेरिका ने यह कड़ा कदम उठाया होगा। ईरान की भी अनेक कंपनियां ड्रोन बनाने के रास्ते पर थीं, जिन्हें अब एक बड़ा झटका लगा है।
प्रतिबंधित की गईं अधिकांश कंपनियां पाकिस्तान के अलावा चीन और संयुक्त अरब अमीरात में मिसाइल के प्रोजेक्ट्स चला रही हैं। बताते हैं इन कंपनियों ने एक्सपोर्ट के कायदे तोड़े हैं। उनके अंदर इस प्रकार के अस्त्र बनाए जाते रहे हैं, जो चिंता पैदा करने वाले हैं। यही कंपनियां हैं जिन्होंने अमेरिका द्वारा रूस तथा ईरान के विरुद्ध खिलाफ लगाए प्रतिबंधों के बावजूद निर्यात के कायदों को बाईपास किया था।
इस बारे में अमेरिका के व्यापार विभाग ने बताया है कि जिन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं उन्हें अब काली सूची में डाल दिया जाएगा। ऐसा होने पर ये कंपनियां अमेरिका से इस संबंध में न तो कोई उतपद ले सकेंगी, न ही अमेरिकी तकनीक उन्हें सुलभ होगी। इसके लिए अब उन्हें सीधे अमेरिकी कंपनियों के बजाय वहां की सरकार का अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
यही वक्तव्य आगे कहता है कि अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में इस क्षेत्र में गलत काम करने वालों के प्रति अमेरिका सावधान है। इन प्रतिबंधों से गलत काम करने वालों को संकेत मिल गया होगा कि कायदों को न मानकर काम करेंगे तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। काली सूची में गईं कंपनियों में से 9 जिन्ना के देश की हैं, ये सब फर्जी नामों से काली सूची में पड़ी कंपनी ‘एडवांस्ड इंजीनियरिंग रिसर्च ऑर्गनाईजेशन’ को सामान उपलब्ध करा रही थीं। पाकिस्तान की उक्त कंपनी 2010 से अमेरिका से उपकरण हासिल करके पाकिस्तान के लिए क्रूज मिसाइलों तथा ड्रोन निर्माण के प्रोजेक्ट्स में मदद करती आ रही थी।
इस हरकत को अमेरिका ने गंभीरता से लेते हुए इसे अपनी विदेश तथा राष्ट्रीय सुरक्षा नीति के विरुद्ध ठहराया है। पाकिस्तान के अलावा नक्काली में मशहूर कम्युनिस्ट देश चीन की भी ऐसी 6 कंपनियां काली सूची में गई हैं। ये भी अमेरिका में बने उपकरण खरीदकर चीनी फौज के आधुनिकीकरण के प्रोजेक्ट्स चलाए हुए थीं। इतना ही नहीं, इन्हीं कंपनियों को ईरान के अस्त्र तथा ड्रोन प्रोजेक्ट्स में सहायता करते पाया गया है। संयुक्त अरब अमीरात में ऐसी 3 कंपनियां चिन्हित हुई हैं जिन्होंने गलत रास्ते से अमेरिकी तकनीक का गलत प्रयोग किया है।
यहां यह बात भी सुनने में आ रही है कि ईरान में बने सैकड़ों ड्रोन रूस ने खरीदे हैं और उनका यूक्रेन के विरुद्ध प्रयोग किया जा रहा है। यह पहली बार नहीं है जब अमेरिका ने पाकिस्तान तथा चीन के मिसाइल प्रोजेक्ट्स को कठघरे में रखा है। पहले भी वाशिंगटन इन देशों की अनेक कंपनियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई कर चुका है।
जिन्ना का देश लंबे वक्त से प्रयास करता आ रहा है कि उसे आका चीन और अमेरिका से तकनीकी मिल जाए तो वह लंबी दूरी वाली क्रूज मिसाइलें बना ले। बेशक, ये मिसाइलें वह भारत के विरुद्ध प्रयोग के लिए ही बनाना चाहता है। लेकिन अब पाकिस्तान की शायद यह दाल गल न पाए और उसकी मिसाइल निर्माण की हरकतों पर ताला लग जाए।
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