भारत और विश्व चैंपियन जर्मनी के बीच 23 व 24 अक्टूबर को दो हॉकी टेस्ट मैचों की सीरीज दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में खेली जाएगी। यह महज दो मैचों की सीरीज नहीं, बल्कि भारतीय हॉकी के स्वर्णिम काल की वापसी की दस्तक देने वाली सीरीज भी साबित होगी। देश के एक ऐतिहासिक मंच (मेजर ध्यानचंद स्टेडियम) पर एक दशक से भी ज्यादा समय के बाद अंतरराष्ट्रीय हॉकी की वापसी होगी। इसके अलावा हरमनप्रीत सिंह के नेतृत्व में भारतीय टीम पर नजरें टिकी होंगी जिनसे भारतीय हॉकी के स्वर्णिम काल की वापसी की उम्मीद देश के तमाम हॉकीप्रेमी कर रहा है। मुकाबला इसलिए भी ऐतिहासिक होगा कि वरीयता क्रम में विश्व की नंबर दो जर्मन टीम को चुनौती देने के लिए पांचवीं वरीय भारतीय टीम कमर कस कर तैयार है।
दरअसल, भारतीय हॉकी टीम ने पहले 2020 टोक्यो ओलंपिक और फिर पेरिस (2024) में लगातार दो ओलंपिक पदक जीतने की उपलब्धि हासिल करने में भारतीय टीम को 52 साल (1972 म्यूनिख ओलंपिक) लग गए। इस दौरान पारंपरिक हॉकी पर राज करने वाली भारतीय टीम को मॉडर्न हॉकी की शीर्षस्थ ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, नीदरलैंड, जर्मनी, इंग्लैंड और स्पेन की टीमों से पार पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी। लेकिन पिछले 5-6 वर्षों में भारतीय टीम लगभग इन तमाम टीमों को मात देती नजर आयी। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में जहां जर्मनी को हराकर कांस्य पदक जीता तो 2024 पेरिस ओलंपिक में ऑस्ट्रेलिया (1972 म्यूनिख ओलंपिक के बाद पहली बार) और इंग्लैंड पर दमदार जीत दर्ज कर फिर से कांस्य पदक जीता।
इन ऐतिहासिक जीतों के बारे में कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने कहा, “ ओलंपिक जैसे महामंच पर हम लगातार दो बार स्वर्ण पदक के करीब पहुंचकर खिताब से वंचित रह गए, लेकिन दोनों ही मौकों पर ऐसा नहीं लगा कि हम ओलंपिक पदक की पहुंच से दूर हैं। इस दौरान वरीयता क्रम में अपने से बेहतर टीमों को एस्ट्रो टर्फ पर हराने का विश्वास हमारी पूरी टीम में कूट-कूट कर भरा हुआ है। जर्मनी अब भी हमसे बेहतर रैंकिंग वाली टीम है और पेरिस ओलंपिक के सेमीफाइनल में हमें उनसे हार का सामना करना पड़ा। लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि टोक्यो ओलंपिक में हमने जर्मन टीम को ही हराकर कांस्य पदक जीता था। इस बार युवा व अनुभवी खिलाड़ियों से लैस भारतीय टीम के सामने ऐतिहासिक मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में जर्मनी से बदला चुकाने का मौका है। हम पेरिस में बेहतर खेलने के बावजूद जीत से वंचित रह गए, लेकिन अपने घरेलू मैदान और हजारों दर्शकों की हौसलाअफजाई के बीच जर्मनी को मात देने का मजा ही कुछ और होगा।” हालांकि हरमनप्रीत ने माना कि जर्मनी की टीम को हल्के में कभी नहीं लिया जा सकता है, लेकिन भारतीय हॉकी के स्वर्णिम काल की वापसी के लिए हमारी टीम दृढ़प्रतिज्ञ है।
टिप्पणियाँ