मध्य प्रदेश

अभिव्यक्ति की आजादी या फिर हिन्‍दू विरोध?  यह कैसा नैरेटिव सेट करती एक महिला अफसर ?

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डॉ. मयंक चतुर्वेदी

आज के समय में सोशल मीडिया अपनी बात रखने का एक सशक्‍त माध्‍यम भी है। ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब के अलावा भी कई और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म हैं जहां लोग कुछ न कुछ सर्च करते रहते हैं या अपनी बातें रख रहे होते हैं। एक ओर जहां कई लोग इसका उपयोग सकारात्‍मक दिशा और सही विषयों को आगे बढ़ाने के लिए कर रहे हैं, तो वहीं एक बड़ी संख्‍या उन लोगों की भी है, जिसमें वे इसका उपयोग अपने नैरेटिव को सेट करने में करते हैं।

सोशल मीडिया पर इन दिनों एक महिला अफसर की सबसे ज्‍यादा चर्चा देश भर में हो रही है। लगातार एक लम्‍बे समय से सोशल मीडिया पर ये हिन्‍दू विरोधी टिप्पणियां कर रही हैं। ये मैडम मध्‍य प्रदेश में प्रमोटी आईएएस अधिकारी हैं, नाम है इनका शैलबाला मार्टिन। दरअसल, शासकीय पद पर रहते हुए ये लगातार हिन्‍दू धर्म को टार्गेट कर रही हैं। वैसे शासकीय सेवक सदैव शासन के प्रति समर्प‍ित रहता है, वह लोक का सेवक है, कोई अभिव्‍यक्‍ति उसे करनी भी होती है तो वह व्‍यवहार में फाइलों पर काम में गति लाकर और अपने मातहतों को निर्देश देकर अपने दायित्‍व को बेहतर तरीके से पूर्ण करके करता है, ना कि सार्वजनिक रूप से अपनी ही सरकार को घेरकर।

फिर शासकीय नौकरी की सेवा शर्तें भी इजाजत नहीं देतीं कि कोई किसी मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया के माध्‍यम से जनता के बीच जाए और हल्‍ला मचाए, लेकिन ये मैडम न सिर्फ अपनी सरकार को ट्विटर (एक्‍स) पर घेर रही हैं बल्‍कि पिछली की गईं कई टिप्‍पणियों में सिर्फ और सिर्फ हिन्‍दू धर्म और उससे जुड़ी लोकपरंपराओं पर ही निशाना साधती दिख रही हैं। इन्‍हें मंदिर के भजन से दिक्कत है। ये मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकरों को ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाला बता रही हैं। इससे पहले की पोस्‍ट यदि इनकी देखें तो एक में ये कांवड़ यात्रा पर तो दूसरी में करवा चौथ जैसे विषय पर नकारात्‍मक टिप्‍पणी करती नजर आती हैं।

इनकी ताजा टिप्‍पणी की शुरूआत कुछ इस तरह की है कि एक पत्रकार एक्स पर लिखते हैं, मस्जिदों से लाउड स्पीकर से अजान की आवाजें, उनका डिस्टर्ब करना तथा उसकी तुलना डीजे बजाने से होनेवाली परेशानी से करते हैं और अंत में लिखते हैं कि मस्जिदों से लाउड स्पीकर हटा लें। खुदा तो वैसे भी सुन लेगा, क्योंकि वह बहरा नहीं है। अब इसे रिट्वीट करते हुए शैलबाला ने लिखा, ‘‘और मंदिरों पर लगे लाउडस्पीकर, जो कई कई गलियों में दूर तक स्पीकर्स के माध्यम से ध्वनि प्रदूषण फैलाते हैं, जो आधी आधी रात तक बजते हैं उनसे किसी को डिस्टरबेंस नहीं होता।’’ इससे पहले 20 अक्टूबर को उन्होंने करवा चौथ को लेकर एक टिप्पणी की। एक यूजर ने लिखा, ‘चंदा मामा वही हैं जिनका इंतजार ईद पर भी करा जाता है और करवा चौथ पर भी।’ इस पर उन्होंने लिखा, “व्रत तोड़ने देंगे या लाठियां लेकर चंद्र दर्शन/पूजा रोक दी जाएगी?”

जब एक यूजर्स ने उन्‍हें तीखे तरीके से घेरा तो वे अपने संस्‍कारों की दुहाई देती नजर आईं। इन्‍होंने कहा, “कम से कम मेरे माता-पिता और मिशनरियों ने मुझे सभ्य भाषा का इस्तेमाल करना और निष्पक्ष रूप से बोलना तो सिखाया है। इसका मुझे गर्व है। अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने वालों के लिए यहां कोई जगह नहीं है। इसलिए आपको बाइज़्ज़त यहां से रवाना किया जा रहा है।” अब देखिए, इन्‍होंने अपने को निष्‍पक्ष रूप से बोलना करार दिया है, लेकिन इनकी निष्‍पक्षता सिर्फ हिन्‍दू धर्म को कोसने तक ही सीमित नजर आती है। एक घटना सहारनपुर में घटी थी, जिसमें कांवड़ियों ने कुछ कांवड़ खंडित होने पर बाइक में तोड़फोड़ की तो इसका वीडियो साझा करते हुए मार्टिन ने लिखा, “कांवड़ यात्रा के लिए एक डेडीकेटेड कॉरिडोर होना चाहिए।” वहीं, एक जगह लिखा- “बिल्कुल बहिष्कार कीजिए। कांवड़ियों को सतर्क भी कर दीजिए कि व्रत में सेंधा नमक का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। आप तो जानते ही होंगे सेंधा नमक कहां से आता है।” राजस्थान के सीकर में बलात्कार के मामले को सदफ अफरीन नाम की मुस्लिम आईडी से एक्स पर एक वीडियो शेयर किया गया, जिसमें बालकनाथ है और जिसका कि हिन्‍दू समाज में बेहद विरोध हुआ, फिर भी ये अधिकारी शैलबाला उसे अपने ट्वीटर हेंडल से शेयर करते हुए बहुत ही होशियारी से कमेंट करती हैं और हिन्‍दू संत समाज के विरोध में नैरेटिव गढ़ने का काम करती नजर आती हैं। बात यह है कि उन्‍हें यही दिखा जबकि वे अपने को निष्‍पक्ष करने का दंभ भरती हैं। इसके अलावा मध्य प्रदेश में पिछले दिनों ईसाई मिशनरी और इस्‍लाम से जुड़ी अनेक घटनाएं सामने आईं। सिर्फ मध्य प्रदेश में ही क्‍यों, देश भर में ऐसी घटनाओं की भरमार है, लेकिन ये जानबूझकर सिर्फ हिन्‍दू समाज से जुड़े ही नकारात्‍मक मामले को अपना विषय बनाती हैं। मजाल है कि इस अधिकारी को वह कोई एक घटना दिखे (इस्‍लाम-ईसाईयत) और ये अपने एक्‍स प्‍लेटफार्म पर उसे शेयर करें। हालांकि जो गलत है वह गलत है, हम ये कह रहे हैं कि अपने को फिर निष्‍पक्ष मत कहो।

जब एक पत्रकार मध्य प्रदेश में डीजे बजाने को लेकर सीएम के निर्देशों का जिक्र करते हैं, तब ये अपनी ही सरकार को घेरने एवं हिन्‍दू परंपरा पर बिना देर किए कमेंट करती हैं और एक लम्‍बी पाती लिख देती हैं। जिसकी शुरुआत में इन्‍होंने लिखा- “भोपाल के चार इमली जैसे इलाके में जहां पुलिस कमिश्नर का खुद का आवास है, वहां ही फुल वॉल्यूम में DJ पर भयानक शोर करते हुए बजने वाले भजनों(?) के साथ मंत्री अफसरों के बंगलों के सामने से झांकियां निकाली गईं। कहीं किसी प्रकार की रोक टोक नहीं देखी गई। किसी के कानों में ये कानफोड़ू शोर सुनाई नहीं पड़ा जबकि पुलिस थाना मुश्किल से आधे किलोमीटर की दूरी पर है।” यानी यहां यह अपनी सरकार को, प्रदेश की पुलिस को, उनके सभी अधिकारियों को, पूरी तरह से घेरती नजर आती हैं। साथ ही ये हिन्‍दू झाकियों के निकलने और उसमें डीजे के बजाने पर आपत्‍त‍ि दर्ज करती हैं। क्‍योंकि इनके निशाने पर सिर्फ हिन्‍दू हैं।

ये अधिकारी बाबा रामदेव को घेरती हैं, दरअसल, बाबा रामदेव ने मीडिया के बीच एक बात कही थी, ‘‘अगर रामदेव को अपनी पहचान बताने मे दिक्‍कत नहीं है तो रहमान को अपनी पहचान बताने में क्‍यों दिक्‍कत होनी चाहिए? अपने नाम पर गौरव सबको होता है, नाम छिपाने की कोई जरूरत नहीं है, काम में शुद्धता चाहिए बस’’ इसके जवाब में इन्‍होंने लिखा- “बाबाजी को भी अपना नाम रामकिशन यादव ही बताना चाहिए। जो खुद अपना नाम छिपाए है वो दूसरों को उपदेश दे रहा है क्या विचार है आप लोगों का”। यहां इनको हिन्‍दू परंपरा के बारे मे इतना भी नहीं पता है कि संत समाज में जब कोई सन्‍यासी बनता है तो उसे जो नया नाम गुरु द्वारा दिया जाता है, वही आगे उसकी पहचान होती है, लेकिन इन शैलबाला अधिकारी को इससे क्‍या?

दूसरी तरफ इन्‍हें ईसाइयत का प्रचार करना है सो यह लिखती हैं, ‘‘यीशु ने कहा, बालकों को मेरे पास आने दो: और उन्हें मना न करो, क्योंकि स्वर्ग का राज्य ऐसों ही का है। मत्ती 19:14’’ वहीं ये अवधेशानन्‍द गिरी जी को भी जब कटघरे में खड़ा करने का प्रयास करती नजर आती हैं जब वे बता रहे होते हैं कि हिन्‍दू कितना उदार और सर्व समावेशी है, ये उनके लिए लिखती हैं कि ‘‘ये तो संन्यासी हैं। इन्हें तो निर्लिप्त रहना चाहिए’’ सांसद कंगना पर ये टिप्‍पणी करती हैं, ”ये तो बहुत ज्ञानी है। इसे पता है कि आजादी 2014 में मिली थी लेकिन अक्षुण्ण नहीं बोल पा रही” फिर एक जगह लिखा ”और मंदिरों में को बलि दी जाती है उसका क्या?” यानी इनके अनुसार अभी भी मंदिरों में बलि दी जा रही है। कुल मिलाकर मध्‍य प्रदेश में डॉ. मोहन सरकार में ये अधिकारी कभी संतों को, कभी हिन्‍दू उत्‍सवों को, कभी पूजा पद्धति को, कभी मंदिरों को बदनाम करती हैं। सिर्फ और सिर्फ हिन्‍दू विरोध में इनका पूरा बौद्धिक विमर्श चलता है। ईसाइयत पर मौन, इस्‍लाम पर मौन अन्‍य कुरुतियों पर एकदम मौन…केवल हिन्‍दू विरोध….अब देखना यह है कि मप्र की भाजपा सरकार इन्‍हें कब शासकीय सेवक की आचार संहिता याद दिलाएगी। जिसका कि मूल उद्देश्‍य एवं कर्तव्‍य अपने राज्‍य का विकास और सर्वस्‍व रूप से शासकीय सेवा में रहते हुए लोककल्‍याण करते रहना है।

 

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