रक्षा

चीन को भारतीय सेना प्रमुख का कड़ा संदेश, कहा- 2020 से पहले जैसी स्थिति होने पर ही सामान्य होंगे रिश्ते

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SHIVAM DIXIT

भारत-चीन सीमा विवाद के बीच भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने चीन की विस्तारवादी नीति के खिलाफ एक सख्त संदेश दिया है। हाल ही में हुए भारत-चीन समझौते के बाद, सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया कि भारत की प्राथमिकता अप्रैल 2020 की यथास्थिति पर लौटना है, जिसके बाद चरणबद्ध तरीके से वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैनिकों की वापसी और तनाव घटाने पर विचार किया जाएगा। यह बयान चीन की विस्तारवादी नीति पर भारत की सख्त चुनौती के रूप में देखा जा रहा है।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने मंगलवार को नई दिल्ली में रक्षा थिंक टैंक यूनाइटेड सर्विस इंस्टीट्यूशन ऑफ इंडिया (यूएसआई) द्वारा आयोजित 28वें कर्नल प्यारा लाल स्मारक व्याख्यान के दौरान अपने विचार रखे। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भारत और चीन के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और दोनों देश एक-दूसरे को गश्त करने के अधिकार बहाल करने के लिए सहमत हुए हैं। यह अधिकार पूर्वी लद्दाख के डेप्सांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्र में बहाल किया जाएगा, जहां अप्रैल 2020 से पहले समस्याएं उत्पन्न हुई थीं।

चीन की विस्तारवादी नीति पर सेना प्रमुख की टिप्पणी

जनरल द्विवेदी ने चीन की विस्तारवादी नीति को कड़ी चुनौती देते हुए कहा कि चीन के साथ संबंध तभी सामान्य होंगे, जब वास्तविक सीमा पर स्थिति अप्रैल 2020 से पहले जैसी हो जाएगी। उन्होंने इस पर जोर दिया कि भारत और चीन के बीच विश्वास बहाल करना प्राथमिकता है, और एक बार विश्वास बहाली हो जाने के बाद, अन्य चरण जैसे कि पीछे हटना, तनाव घटाना, और सामान्य स्थिति बहाल करना भी संभव होगा।

सेना प्रमुख ने चीन के बफर जोन में किए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बफर जोन में किसी भी प्रकार की घुसपैठ नहीं हो रही है और दोनों देशों को एक-दूसरे को आश्वस्त करना होगा कि वे बफर जोन की संधियों का पालन कर रहे हैं।

भारत की सख्त नीति और चीन के खिलाफ चुनौती

भारतीय सेना प्रमुख का यह बयान चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ एक कड़ा संदेश है। हाल के वर्षों में चीन द्वारा भारत के पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ की कई घटनाओं ने दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा दिया था। अप्रैल 2020 के बाद से चीन की आक्रामकता और विस्तारवादी रणनीति ने भारत के लिए सुरक्षा चुनौतियां खड़ी की थीं, लेकिन भारत ने कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर मजबूती से प्रतिक्रिया दी।

यह बयान दर्शाता है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा और चीन की विस्तारवादी नीतियों के खिलाफ हर स्तर पर चुनौती देने के लिए तैयार है। सेना प्रमुख का यह कड़ा संदेश चीन के लिए स्पष्ट चेतावनी है कि भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

चीन-भारत सीमा समझौता

सोमवार को विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा घोषित समझौते के तहत भारत और चीन डेप्सांग मैदानों और डेमचोक क्षेत्र में एक-दूसरे को गश्त करने के अधिकार बहाल करने पर सहमत हुए हैं। इससे पहले, चीनी घुसपैठ के कारण इन क्षेत्रों में गतिरोध उत्पन्न हुआ था। समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष इन क्षेत्रों में समस्याओं को हल करने की दिशा में कार्य कर रहे हैं और चरणबद्ध तरीके से तनाव घटाने की कोशिश कर रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियां

हालांकि यह समझौता एक सकारात्मक कदम है, लेकिन भारत और चीन के बीच विश्वास बहाली की प्रक्रिया एक लंबा और चुनौतीपूर्ण मार्ग है। सीमा पर स्थायी शांति तभी संभव होगी जब दोनों देश आपसी विश्वास और संधियों का सम्मान करेंगे।

भारतीय सेना प्रमुख का स्पष्ट संदेश यह है कि चीन की विस्तारवादी नीतियों का मुकाबला करना आवश्यक है, और भारत अपनी सीमाओं की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए हर स्थिति का सामना करेगा।

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