नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों को औपचारिक शिक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में भेजे जाने की राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) की सिफारिशों पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि केंद्र और सभी राज्यों को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सिफारिशों पर अमल करने की जरूरत नहीं है। जमीयत उलेमा ए हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में फैसला सुनाया है। अब इस पर एनसीपीसीआर के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो का भी बयान आया है।
प्रियंक कानूनगो मदरसों में कट्टरपंथ को लेकर खुलकर बात करते रहे हैं। उन्होंने मदरसों में बच्चों के अधिकारों को लेकर बड़ी सक्रियता से काम किया है। कई मामलों को भी उजागर किया है। मदरसों पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रियंक कानूनगो का बयान भी आया है।
प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया के जरिये कहा कि – एक खुदा के अलावा अन्य किसी को पूजने वाले काफिर हैं। ऐसी बातें टैक्सपेयर के खर्चे पर सरकारी अनुदान से बच्चों को सिखाना खासतौर पर हिंदू बच्चों को भी सिखाने के लिए मदरसा बोर्ड बनाना या मदरसों को सरकारी ग्रांट पर पोषित करना गलत है। मैं इसे रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट से लेकर सड़क तक हर जगह वैधानिक संघर्ष करने को तैयार हूं। मुझे आज के माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की जानकारी मिली है, आधिकारिक कॉपी आने पर अध्ययन के पश्चात निजी क्षमता में आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
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