हरिद्वार। सनातन नगरी हरिद्वार के उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में बुर्का और हिजाब पहने हुए मुस्लिम छात्राओं के प्रवेश ने एक बार फिर से विवाद खड़ा कर दिया है। इसकी भी चर्चा हो रही है कि क्या उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में भी इस्लामीकरण की बयार बहने लगी है और वह भी सनातन तीर्थ स्थली में ?
जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय परिसर का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें मुस्लिम छात्राएं, हिजाब और बुर्का पहने हुए परिसर में दिखाई दे रही हैं। संस्कृत विश्वविद्यालय में कई मुस्लिम छात्राएं अध्ययनरत हैं। पहले ये सामान्य छात्राओं की तरह ही परिधान में विद्यालय आती थीं किंतु अचानक कुछ दिनों से ये सभी छात्राएं या तो बुर्के में या फिर हिजाब पहने हुए कॉलेज में आने लगी हैं और क्लासरूम में भी बुर्का और हिजाब पहनकर बैठती हैं।
ऐसा क्यों हुआ? छिड़ी बहस
“पाञ्चजन्य” ने इस बारे में विश्वविद्यालय प्रबंधन का पक्ष जानने के लिए कुलपति से वार्ता की और उक्त वीडियो के बारे में जानकारी साझा की। इस पर कुलपति डा. दिनेश चंद्र शास्त्री ने बताया कि ये विषय उनके संज्ञान में आया है। इस बारे में कुलसचिव और संबंधित एचओडी से बैठक कर एक महिला चेंजिंग रूम बनाने का निर्णय लिया गया है ताकि छात्राएं बुर्का आदि बदलकर अपने क्लास रूम में जाएं।
बहरहाल ये छात्राएं यहां इतिहास और अन्य विषय तो पढ़ने आ रही हैं, लेकिन क्या वे साथ ही साथ वे इस्लामिक संस्कृति को भी इस संस्कृत विश्वविद्यालय में प्रवेश कराने में सफल हो गई है ? ये बात हरिद्वार में चर्चा का विषय बन गई है।
उल्लेखनीय ये भी है कि गंगा नगरी हरिद्वार के आसपास डेमोग्राफी चेंज की घटना भी सामने आई है, जिसको लेकर सोशल मीडिया और अन्य मीडिया में लगातार खबरें चल रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश
बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा हिजाब और बुर्के पर प्रतिबंध के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ये निर्देश दिया कि क्लास में बुर्का अथवा हिजाब पहन कर बैठने की इजाजत नहीं दी जा सकती। विद्यालय परिसर में किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधियों की भी अनुमति नहीं दी जाएगी।
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