भारत की जांच एजेंसी एनआईए ने साफ बताया है कि सिद्धू वही खालिस्तानी है जो पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई के साथ गठजोड़ किए हुए है। संभवत: उसे वहां से दिशानिर्देश मिलते हैं। पाकिस्तान की उस संस्था के बतौर एजेंट काम करने वाले तत्व का कनाडा के पुलिसबल में होना कई बातों की ओर संकेत करता है।
यह खुलासा सच में चौंकाने वाला है कि कनाडा की त्रूदो सरकार खालिस्तानियों के इस तरह पाश में बंध चुकी है कि उसकी पुलिस तक में खालिस्तानी तत्व बैठा है और उसे पता ही नहीं! इस खालिस्तानी आतंकवादी के पाकिस्तानी की शैतानी गुप्तचर संस्था आईएसआई से संबंध सामने आ चुके हैं। इस पर एक हत्या का भी आरोप है। सोचिए, अगर ऐसे तत्व कनाडा की पुलिस में हैं तो वहां भारत के प्रति प्रधानमंत्री जस्टिन त्रूदो दुष्प्रचार करेंगे ही।
यह खुलासा और किसी ने नहीं, खुद भारत की सरकार ने किया है। दावा किया गया है कि कनाडा की सीमाओं की निगरानी करने वाले पुलिसबल में खालिस्तानी तत्व घुसपैठ किए हुए है। इस आतंकवादी का नाम है संदीप सिंह सिद्धू। यह आतंकी ‘सनी’ के नाम से जाना जाता है। इसके संबंध पाकिस्तान की खगुप्तचर संस्था आईएसआई से हैं और संभवत: उसके पैसों और उकसावे पर यह भारत विरोधी दुरष्प्रचार में शामिल है।
इससे भी ज्यादा हैरानी की बात है कि सिद्धू पर भारत के एक बहादुर इंसान, शौर्य चक्र से सम्मानित बलविंदर सिंह की हत्या का आरोप लगा हुआ है! ऐसा व्यक्ति किसी देश के पुलिसबल में होना उस देश की ‘अपराध से लड़ने में विश्वसनीयता’ ही दर्शाता है। वैसे भी, कनाडा में खालिस्तानी तत्वों को हिंसा, उपद्रव और भारत विरोधी हरकतें करने की खुली छूट मिली हुई है।
यहां यह भी ध्यान में रखना जरूरी है कि इसी खालिस्तानी कनाडाई पुलिस वाले सिद्धू पर भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी या एनआईए ने साल 2020 में शौर्य चक्र से सम्मानित शिक्षक बलविंदर सिंह की हत्या का आरोप लगाते हुए इसका नाम भगौड़ों की सूची में जोड़ा था। बलविंदर सिंह को 10 अक्तूबर 2020 को पंजाब के जिला तरनतारन में गांव भिखीविंड में दो आतंकवादियों, गुरजीत और सुखदीप द्वारा मार डाला गया था।
बलविंदर सिंह संधू थे तो एक शिक्षक, लेकिन खालिस्तानियों से इतने चिढ़ते थे कि उनके विरुद्ध हमेशा आवाज उठाते थे। उन्होंने खालिस्तानियों के आतंक को खत्म करने के लिए अपना पूरा योगदान दिया था। उनके इस प्रसत्न को सम्मानित करते हुए सरकार ने उन्हें 14 अप्रैल 1993 को शौर्य चक्र अर्पित किया था।
इतना ही नहीं, भारत की जांच एजेंसी एनआईए ने साफ बताया है कि सिद्धू वही खालिस्तानी है जो पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था आईएसआई के साथ गठजोड़ किए हुए है। संभवत: उसे वहां से दिशानिर्देश मिलते हैं। पाकिस्तान की उस संस्था के बतौर एजेंट काम करने वाले तत्व का कनाडा के पुलिसबल में होना कई बातों की ओर संकेत करता है।
अभी हाल ही में एनआईए के भारत की सबसे बड़ी अदालत को बताया है कि कनाडा में बसे खालिस्तानियों की ही साजिश के तहत पंजाब के शिक्षक संधू की हत्या की गई थी। हत्या के सुराग दिखाते हैं कि खालिस्तानी आतंकवादियों की इसमें पूरी भूमिका थी। एनआईए ने तो यहां तक कहा कि सिद्धू और ‘खालिस्तान लिबरेशन फोर्स’ के उसके साथी आतंकियों सुखमीत पाल सिंह तथा लखवीर सिंह रोड़े ही थे, जिन्होंने हत्या का पूरा खाका तैयार किया था।
आतंकवादी लखवीर सिंह रोड़े कुख्यात खालिस्तानी आतंकवादी सरगना जरनैल सिंह भिंडरावाला का भतीजा लगता है। यही आतंकी ‘खालिस्तान लिबरेशन फोर्स’ का सरगना है। यह आतंकी संगठन अनेक हत्याओं का दोषी है।
हैरानी की बात है कि खुलेआम खालिस्तानी आतंकवादियों को पोसने वाली कनाडा की त्रूदो सरकार वहां के भारतीय राजनयिकों पर खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप निज्जर की हत्या में भूमिका होने का आरोप मढ़ रही है। भारत अनेक बार कनाडा के आरोपों को फर्जी बता चुका है और यहां तक कह चुका है कि कोई सबूत हो तो दिखाया जाए।
लेकिन आज दोनों देशों में तनाव इतना बढ़ चुका है कि भारत सरकार ने वहां से अपने राजनयिक वापस बुला लिए हैं। भारत का आरोप है कि कनाडा में उसके राजनायिक सुरक्षित नहीं थे। हालांकि एक मौके पर प्रधानमंत्री त्रूदो यह स्वीकार चुके हैं कि भारत पर लगाए आरोप के पीछे उनके पास कोई सबूत नहीं है।
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