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हवाई यात्रा में बम की झूठी सूचना : आतंकवाद का नया रूप

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लेफ्टिनेंट जनरल एम के दास,पीवीएसएम, बार टू एसएम, वीएसएम ( सेवानिवृत)

पिछले एक सप्ताह में नागरिक उड्डयन विमानों में बम होने की 100 से अधिक धमकियां ई-मेल, प्रैंक कॉल और सोशल मीडिया हैंडल के जरिए मिली हैं। अब तक, सभी खतरे फर्जी साबित हुए हैं, लेकिन इसने राष्ट्र पर भारी सुरक्षा और वित्तीय बोझ पड़ता है । हैरानी की बात यह है कि केवल भारत की एयरलाइंस को ही इतने बड़े पैमाने पर धमकियां मिली हैं। सबसे अधिक ईमेल का मूल विदेशी धरती पर है। यह पूरा खतरा भारत के विकास पथ को पटरी से उतारने और भारत को एक कमजोर राष्ट्र के रूप में पेश करने के लिए एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है।

एयरलाइंस उद्योग राष्ट्र के विकास और आर्थिक उन्नति को मापने के लिए सबसे महत्वपूर्ण मापदंडों में से एक होता है। भारत में नागरिक उड्डयन उद्योग ने लंबा सफर तय किया है और आज यात्री और कार्गो यातायात दोनों में बहुत आगे है। हवाई यात्रा आम नागरिक तक पहुंचे, इस पर मोदी सरकार ने विशेष ध्यान दिया है। हवाई अड्डों और बुनियादी ढांचे को विश्वस्तरीय बनाया गया है। एयरलाइंस के लिए कोई भी खतरा एक सनसनीखेज खबर है और सभी प्रकार की मीडिया इसे प्रसारित करती है। इस प्रकार का खतरा स्पष्ट रूप से आतंकवाद के दायरे में आता है।

आतंकियों के रडार पर भारत

चूंकि भारत आतंकियों के रडार पर रहता है, इसलिए एक पैटर्न स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। झूठी सूचनाओं के जरिये यात्रियों में खौफ पैदा करना इनका मकसद होता है। इस निंदनीय कृत्य के अपराधी हवाई यात्रियों की मानसिकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालने के लिए साइबर आतंकवाद के एक नए रूप का फायदा उठा रहे हैं और वे कुछ हद तक सफल होते दिख रहे हैं। साइबर आतंकवाद को इंटरनेट और संचार प्रौद्योगिकी के अन्य रूपों का उपयोग राजनीतिक या वैचारिक शक्ति के लिए शारीरिक नुकसान या डराने के रूप में परिभाषित किया गया है। यह आतंकवाद का एक नया रूप है लेकिन इसका पता लगाना मुश्किल है क्योंकि साइबर स्पेस देश की सीमाओं को नहीं पहचानता है और आभासी होता है।

हाल के दिनों में फर्जी खतरों के एक त्वरित विश्लेषण से पता चलता है कि इसका उद्देश्य किसी प्रकार का व्यवधान फैलाना था, खासकर चुनावों के दौरान और उत्सव के समय के आसपास। इसका मकसद देश में दहशत फैलाना और पुलिस और खुफिया एजेंसियों को बांधना था, जिसमें वह सफल भी हो रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को हर बार अधिक काम की ओर धकेल देता है। बार-बार धमकियों से थकान होने की संभावना है और चूक भी हो सकती है। इसलिए, हमें भविष्य में ऐसे खतरों से निपटने के लिए सचेत रहना होगा।

मजबूत खुफिया नेटवर्क बनाना होगा

अपने सैन्य करियर में आतंकवाद के विभिन्न रूपों से निपटने के अनुभव द्वारा, संस्थानों और महत्वपूर्ण स्थानों के लिए इस तरह के खतरों से निपटने के लिए कुछ सुझाव हैं। सबसे महत्वपूर्ण है देश में एक मजबूत खुफिया नेटवर्क का निर्माण करना है। परंपरागत रूप से, हमारे पास इसका अभाव रहा है और इससे देश में घुसपैठ हुई। यह एक अलग मामला है कि हमने अपनी बहादुर सैन्य कार्रवाई से दुश्मन को खदेड़ दिया है। आने वाले समय में, आंतरिक सुरक्षा के खतरों, खासतौर पर साइबर खतरों से निपटने की क्षमता सहित अधिक मजबूत खुफिया नेटवर्क की आवश्यकता है।

सिस्टम को और सख्त करने की जरूरत

जहां तक साइबर स्पेस और आईटी का संबंध है, भारतीय कंपनियां दुनिया को सर्वोत्तम समाधान प्रदान करती हैं लेकिन साइबर खतरों से निपटने के लिए आंतरिक विशेषज्ञता की ओर और प्रयास करने की जरूरत है। प्रमुख सरकारी और निजी वेबसाइट को अतीत में हैक किया गया है। सिस्टम को और सख्त करने की जरूरत है और डार्क वेब का फायदा उठाने वालों को ट्रैक करने और पहचानने की हमारी क्षमता को तेजी से मजबूत करना होगा। चीनी हैकर्स को माकूल जवाब देना होगा। जहां तक हवाईअड्डों पर सुरक्षा का संबंध है, अधिकांश हवाई अड्डे केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) की कड़ी निगरानी में हैं। सीआईएसएफ यात्रियों और हवाईअड्डा परिसरों से संबंधित सुरक्षा का सक्षम कार्य कर रहा है। वास्तविक तथा तकनीकी जांचें एयरलाइन कर्मचारियों द्वारा की जाती हैं। खर्च बचाने के लिए, कुछ एयरलाइंस संविदा पर नियुक्तियां करती हैं। इन्हें कम भुगतान मिलता है और इनमें कुछ को वित्तीय प्रलोभन दिया जा सकता है। उड़ान भरने से पहले विमान की पूरी तरह से जांच करने के लिए अब पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

यात्रियों को सजग रहना होगा

एयरलाइंस को निर्धारित मानक प्रचालन प्रक्रिया (एसओपी) का कड़ाई से पालन करना होता है, यात्रियों को भी सुरक्षा के प्रति सचेत रहना उतना ही महत्वपूर्ण है। यात्रियों को अधिक सजगता दिखानी होगी। उन्हें एयरलाइंस के कर्मचारियों के साथ सहयोग करना होगा। उड़ान के दौरान सुरक्षा पहलुओं की भी जानकारी दी जानी चाहिए।

सख्त कानून भी बनाना चाहिए, लेकिन इस तरह के खतरों को केवल सटीक खुफिया जानकारी, पूरी तरह से जांच और यात्रियों की भागीदारी के माध्यम से ही रोका जा सकता है। एक साइबर आतंकवादी अपने उद्देश्य को तब हासिल करता है जब मीडिया, चाहे वह प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल हो, इस प्रकार के समाचार को सुर्खियों में रखता है। मीडिया को जिम्मेदारी से कार्य करना होगा और केवल आवश्यक आधार पर समाचार प्रकाशित करना होगा। इस तरह का कोई भी महिमामंडन केवल साइबर आतंकवादी के उद्देश्य को पूरा करता है।

खतरों के प्रति रहें संवेदनशील

एक समाज के रूप में हमें नागरिकों के बीच सुरक्षा चेतना भी पैदा करनी होगी। बड़े पैमाने पर शहरीकरण के साथ, आबादी नौकरी की आवश्यकता के अनुसार पूरे देश में बस गई है। नए आवास बन गए हैं और जनसांख्यिकी पैटर्न भी बदल गया है, खासकर सीमावर्ती राज्यों में। बड़े शहरों और महानगरों में हम अपने पड़ोसी को जानते तक नहीं हैं। नागरिकों को एक संगठित अभियान के माध्यम से स्थानीय कानून और व्यवस्था से परे खतरों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए।

सीसीटीवी पर दें ध्यान

सही और विश्वसनीय तकनीक के इस्तेमाल के साथ, हमारी आंखों और कानों को मजबूत किया जा सकता है। तकनीक अब काफी सस्ती है और प्रत्येक जिला प्रशासन को पर्याप्त सीसीटीवी कवरेज बढ़ाना चाहिए। इस तरह के सीसीटीवी फुटेज काफी हद तक खतरों को कम करेंगे और इससे मूल्यवान समय और संसाधनों को बचाया जा सकता है।

हम सभी की जिम्मेदारी

इस किस्म के आतंकवाद और अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए । आंतरिक कानूनों के अलावा, राष्ट्रों के बीच तेजी से समन्वय के लिए प्रभावी अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल की आवश्यकता है। राष्ट्र के समग्र कल्याण और समृद्धि के लिए सभी की जिम्मेदारी है। मुझे पूर्ण विश्वास है की भारत इस खतरे का मुंहतोड़ जवाब देगा।

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