उत्तर प्रदेश

मथुरा : फरह में हुआ RSS का विशाल एकत्रीकरण, आ.भा. सह बौद्धिक प्रमुख ने स्वयंसेवकों को दिया पांच परिवर्तन का संदेश

मथुरा विभाग के लगभग तीन हजार स्वयंसेवकों ने शाखा टोली एकत्रीकरण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। घोष की धुन पर स्वयंसेवकों ने व्यायाम योग और तिष्ठ योग का प्रदर्शन किया।

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SHIVAM DIXIT

मथुरा । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के अखिल भारतीय सह बौद्धिक प्रमुख दीपक बिस्पुते जी ने रविवार को मथुरा के फरह स्थित दीनदयाल गौ विज्ञान अनुसंधान एवं प्रशिक्षण केंद्र पर स्वयंसेवकों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होंने समाज में परिवर्तन लाने के लिए ‘पंच परिवर्तन’ का संदेश दिया और संघ के योगदान पर प्रकाश डाला।

दीपक बिस्पुते ने कहा कि डॉ. हेडगेवार जी द्वारा शुरू की गई यह संघ रूपी छोटी सी बूंद आज एक विराट स्वरूप में स्थापित हो चुकी है। उन्होंने कहा कि संघ निरंतर समाज में बदलाव लाने के लिए काम कर रहा है और आज हमें अपने जीवन में पांच महत्वपूर्ण विषयों को अपनाना चाहिए जिन्हें ‘पंच परिवर्तन’ कहा जा सकता है।

पंच परिवर्तन का संदेश:

  1. स्व का बोध (स्वदेशी) : दीपक बिस्पुते ने स्वदेशी वस्तुओं के उपयोग पर बल दिया और कहा कि हमें अपने जीवन में स्वदेशी को अपनाना चाहिए। जो वस्तुएं हम घर पर बना सकते हैं, उन्हें बाहर से खरीदने के बजाय खुद तैयार करें। यह न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ाएगा बल्कि राष्ट्र की समृद्धि में भी योगदान देगा।
  2. नागरिक कर्तव्य : उन्होंने कहा कि नागरिकों को नियमों और कानूनों का पालन करना चाहिए। अनुशासन का महत्व बताते हुए उन्होंने स्वयंसेवकों को सरकारी नियमों का पालन करने की शपथ दिलाई। उनका कहना था कि एक संगठित और अनुशासित राष्ट्र ही उन्नति की दिशा में आगे बढ़ सकता है।
  3. सामाजिक समरसता : जातिगत भेदभाव को समाप्त करने का आह्वान करते हुए बिस्पुते ने कहा कि समाज में ऊंच-नीच के भेदभाव को मिटाकर सभी वर्गों को आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए। उन्होंने सामाजिक एकता और समानता के महत्व को रेखांकित किया।
  4. पर्यावरण संरक्षण : उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग और बदलते पर्यावरण परिदृश्य को लेकर चिंता व्यक्त की और कहा कि हमें सिर्फ चिंता ही नहीं करनी चाहिए बल्कि पर्यावरण की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सृष्टि के संरक्षण के लिए हमें व्यक्तिगत और सामूहिक रूप से प्रयास करने चाहिए।
  5. कुटुंब प्रबोधन : परिवार की महत्ता पर बल देते हुए बिस्पुते ने कहा कि बच्चों के संस्कार परिवार से ही विकसित होते हैं। उन्होंने परिवारों में संस्कारों को बचाए रखने पर जोर दिया ताकि समाज में नैतिकता और संस्कृति बनी रहे।

दीपक बिस्पुते जी ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि संघ का कार्य समाज को सकारात्मक दिशा में प्रेरित करना है। उन्होंने स्वदेशी, स्वधर्म और स्वराज की महत्ता पर प्रकाश डाला, जो स्वाधीनता संग्राम के तीन प्रमुख स्तंभ थे।

शाखा टोली एकत्रीकरण कार्यक्रम

इस अवसर पर मथुरा विभाग के लगभग तीन हजार स्वयंसेवकों ने शाखा टोली एकत्रीकरण कार्यक्रम में हिस्सा लिया। घोष की धुन पर स्वयंसेवकों ने व्यायाम योग और तिष्ठ योग का प्रदर्शन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता विभाग संघचालक डॉ. वीरेंद्र मिश्रा ने की।

कार्यक्रम में मुख्य शिक्षक अरुण दीक्षित (जिला कार्यवाह वृंदावन) के साथ प्रांत कार्यवाह राजकुमार, प्रांत प्रचारक धर्मेंद्र, सह प्रांत प्रचार प्रमुख कीर्ति कुमार, और विभाग प्रचारक अरुण पांचजन्य सहित कई वरिष्ठ पदाधिकारी उपस्थित रहे।

संघ का योगदान

दीपक बिस्पुते ने संघ के समाज में लाए जा रहे बदलावों और उसकी निरंतरता की सराहना की। उन्होंने कहा कि संघ का कार्य मात्र संगठन के स्तर तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए समर्पित है।

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