अलगाववादी और खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू विदेश से भारत विरोधी गतिविधियां चला रहा है। वह पंजाब के सिख युवाओं को भड़काता है और अपने वीडियो भी वायरल करवाता है। वह यह साजिश वर्षों से कर रहा है। अमेरिका में ही रह रहे उद्यमी और द खालसा टुडे के एडिटर इन चीफ सुक्खी चहल कई बार उसकी पोल खोल चुके हैं। जब अमेरिका में पन्नू के सड़क हादसे में मरने की झूठी खबर मीडिया में आई थी, तब भी सुक्खी चहल ने यह बताया था कि पन्नू जिंदा है।
सिख फॉर जस्टिस से जुड़ा गुरपतवंत सिंह पन्नू पंजाब के सिख युवाओं को वर्षों से बरगला रहा है। तीन साल पहले तक वह 2500 डॉलर देने का वादा कर युवाओं को अपने अलगाववादी संगठन से जोड़ रहा था। उस समय सुक्खी चहल ने भारत में आकर पंजाब में वीडियो के जरिये उसका पर्दाफाश किया था। सुक्खी चहल ने बताया था कि खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू के 2500 डॉलर के वादे से आकर्षित हुए सिख युवक अब उच्च सुरक्षा वाली नाभा जेल में सड़ रहे हैं। इन युवाओं के परिवार पन्नू को कोस रहे हैं। गुरपतवंत सिंह पन्नू की अपील के बाद 14 अगस्त, 2020 को मोगा जिले के प्रशासनिक परिसर में खालिस्तान के झंडे लगाने वाले तीन सिख युवकों को जेल हुई। युवकों के परिवार वाले सिख युवाओं को गुमराह करने के लिए गुरपतवंत सिंह पन्नू को कोस रहे हैं। उसने उन्हें 2500 डॉलर का वादा करके लालच दिया, लेकिन काम पूरा होने के बाद कोई पैसा नहीं दिया।
सुक्खी चहल यह भी कहते हैं पन्नू को सोशल मीडिया पर भी कोई नहीं जानता था, लेकिन मीडिया के मूर्खतापूर्ण रवैये ने उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा दिया। यह बात पंजाब से जुड़े पत्रकार भी कहते हैं कि न तो पन्नू और न ही उसके सिख फॉर जस्टिस को पंजाब में कोई समर्थन मिला है। वह सोशल मीडिया के जरिये अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है।
सुक्खी चहल कहते हैं कि गुरपतवंत सिंह पन्नू अपने गलत व्यवहार और देश को तोड़ने वाले बयानों के बावजूद मीडिया में अनावश्यक रूप से ध्यान आकर्षित कराने में सफल रहा। पन्नू प्रवासी समुदाय के भीतर काफी बदनाम है। उसे हाशिये पर रखा गया था, उसे सिख समुदाय से कोई सार्थक समर्थन नहीं मिला था। पन्नू और उसके गुंडा दल के साथ मेरी व्यक्तिगत बहस हुई थी। उसके खोखले दावों को आसानी से ध्वस्त कर दिया गया था, जिससे वह उपहास का पात्र बना था। अफसोस की बात यह है कि कुछ लोगों ने उसकी मूर्खतापूर्ण हरकतों को गंभीर रूप में लिया, जिससे उसे अवांछित सहानुभूति और ध्यान मिल गया। जो व्यक्ति कभी सोशल मीडिया पर अपनी उपस्थिति बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहा था, वह इन गुमराह करने वाली हरकतों के जरिये अंतरराष्ट्रीय मीडिया चर्चा का विषय बन गया है। इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि पंजाबी प्रवासी समुदाय के प्रमुख लोगों की ओर से चुप्पी साध ली गई है। जिन लोगों का भारत के प्रधानमंत्री के दिल्ली स्थित आवास पर आतिथ्य का लाभ उठाया या जिन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया है, वे परेशान करने वाली चुप्पी साधे हुए हैं।
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर की कूटनीति की सराहना करते हुए सुक्खी चहल कहते हैं कि वैश्विक मामलों की उनकी गहन समझ, साथ ही उनकी कूटनीतिक टीम के असाधारण कौशल, इस बात का अपार विश्वास दिलाते हैं कि मौजूदा चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाएगा। उनके सक्षम नेतृत्व में, मेरा मानना है कि भारत इन जटिल मुद्दों को सुलझाएगा और निकट भविष्य में स्पष्टता और व्यवस्था बहाल करेगा। संयुक्त राज्य अमेरिका भारत का मित्रवत और रणनीतिक साझेदार है। यह महत्वपूर्ण है कि हम सावधानी बरतें और किसी भी ऐसे कदम या गलत कदम से बचें जो हमारे दोनों देशों के बीच मजबूत और विकसित होते संबंधों को संभावित रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यह समय है कि हम भारत-अमेरिका संबंधों के समर्थन में एकजुट और मुखर होकर खड़े हों और सुनिश्चित करें कि हमारी आवाज सुनी जाए।
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