संस्कृति

करवाचौथ : सनातन संस्कृति में सुहागिनों का पर्व, समझिए इससे चलने वाले आर्थिक चक्र को, जो देता है ढेर सारा रोजगार

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डा. रचना अरोरा

करवा चौथ एक ऐसा विलक्षण उपवास है जो लाखों लोगों को रोजगार देता है, जिसमें करोड़ों-अरबों रुपए का व्यवसाय होता है। तीज-त्योहार हमारे जीवन में ढेर सारी उमंग व खुशियां लेकर आते हैं। अब तो त्योहार विशेष धर्म, क्षेत्र, संप्रदाय से आगे बढ़कर शौक, फैशन और खुशी के लिए मनाए जाते हैं। गणेश महोत्सव, नवरात्रि में डांडिया, दुर्गा पूजा, रामलीला, दशहरा और फिर 8 दिन बाद विशेष कर उत्तर भारत में मनाया जाने वाला सुहागनों का पर्व करवा चौथ भी भारत के साथ विश्व के कोने-कोने में अपने जीवनसाथी की दीर्घायु की कामना के लिए हिंदुओं में काफी लोकप्रिय पर्व बन गया है।

इस दिन सभी स्त्रियां 16 श्रृंगार कर आस्था के साथ अपनी मांग में सिंदूर और बिंदिया गर्व से धारण कर, ईश्वर से अजीवन सुहागन होने का वरदान मांगती हैं। करवा चौथ व्रत स्त्रियों की दृढ़ निश्चयता और पति के प्रति प्यार एवं समर्पण को दर्शाता है। कार्तिक मास की चतुर्थी के दिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर विशेष पूजा कर व्रत खोलती हैं। इस दिन विशेषकर पंजाबी महिलाएं, जिनमें सास अपनी बहू को “सरगी” में उपहार में 16 श्रृंगार का सामान, फल, मेवा, फेनी (एक तरह की मिठाई) देती हैं, जो भोर के समय ग्रहण की जाती है।

दिन में विशेष थाली परिक्रमा पूजा के बाद बहू अपनी सास को “पोइया” (जिसमें कपड़े, शॉल, मेवा उपहार दिया जाता है) देकर कृतज्ञता और सम्मान व्यक्त करती हैं कि उसका प्यारा सा पिया सासू मां की वजह से मिला है। संध्या को चमकती-दमकती सुहागनों को मानो चंदा भी दीदार करने चुपके-चुपके निकल पड़ता है। आज का मानव चंद्रमा पर पहुंच चुका है, परंतु हिंदू धर्म में आज भी चंद्रमा की पूजा देवों की तरह की जाती है। छलनी से चंदा, फिर सजन का दीदार कर, अर्घ्य देकर और जल ग्रहण कर व्रत खोलते हैं।

अब स्त्रियां कामकाजी होने के कारण भारत में ही नहीं, विदेशों में भी अपनी कुशलता का लोहा मनवाने लगी हैं, परंतु अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को मनाना नहीं भूलीं। इसलिए वक्त, आधुनिकरण और ग्लोबलाइजेशन के कारण राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों एवं कंपनियों पर इस व्रत का प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से गहरा असर पड़ने लगा है। अब कुछ अविवाहित युवतियां और युवक (हिंदुओं के अलावा भी) अपने जीवनसाथी के प्रति प्यार और समर्पण दर्शाने के लिए यह व्रत रखने लगे हैं। अब यह त्योहार घर के साथ-साथ बड़े उत्सवों की तरह बैंक्विट हॉल, पार्क लान में सामूहिक रूप से भी मनाया जाने लगा है।

कई दिन पहले से बाजार और ऑनलाइन कंपनियां अपने ग्राहकों को विभिन्न ऑफर और छूट देकर लुभाने लगते हैं। चारों ओर रौनक और खरीदारी की धूम मचने लगती है। सौंदर्य प्रसाधन के ब्रांड बाजार में विशेष रूप से नए उत्पाद लाते हैं। ब्यूटी पार्लर विशेषज्ञ विशेष पैकेज और छूट द्वारा महिलाओं व युवतियों को आकर्षित करने के लिए महीने भर पहले से ही तैयार रहते हैं। परिधान, साड़ी, सूट, लहंगा, यहां तक कि पूजा की थाली, लोटा और छलनी भी विशेष ऑर्डर देकर (पति का नाम अंकित) बनवाए जाते हैं।

चाहे आर्थिक रूप से निम्न ही क्यों न हो, अपनी सामर्थ्य अनुसार नई चूड़ियां-बिंदिया लेना शुभ माना जाता है। मेहंदी की दुकानों में तो नंबर मिलना ही बड़ी मुश्किल से होता है। ₹100 से ₹1000 तक की चूड़ियां मिलती हैं। मेहंदी वालों की तो चांदी हो जाती है। आभूषण और कृत्रिम आभूषणों की दुकानों में खूब खरीदी होती है। पति अपनी जीवनसंगिनी को उपहार देने के लिए मोबाइल, घड़ी, आभूषण, वस्त्र, पर्स आदि खरीदते हैं। मेले, उत्सव, प्रदर्शनियों और प्रतियोगिताओं में भी बस खरीदारी और फूल-मिठाई, मेवा, गरबे, दिए, पूजा सामग्री मिलती हैं। अब घर में पकवान के बदले रात्रि भोज के लिए होटल और रेस्टोरेंट भी फुल बुक हो जाते हैं। इस तरह व्यावसायिक दृष्टि से श्रद्धा, आस्था और दृढ़ निश्चयता का यह अनूठा पर्व अब वृहद रूप ले चुका है।

आज के साइबर और दिखावे के युग में फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप पर करवा चौथ से संबंधित रंग-बिरंगी पिक्चर्स, लघु चलचित्र (रील्स), मेहंदी रचे हाथ और सोलह सिंगार से सजी सुहागनों के चित्र ही नजर आते हैं। मानो साइबर की रंग-बिरंगी दुनिया में आस्था-श्रद्धा के साथ-साथ सौंदर्य और फैशन सब एक साथ उतर आया हो।

कुल मिलाकर, यह अनूठा पर्व वैवाहिक रिश्तों की रेशम जैसी डोर को और मजबूत व तरोताजा कर जाता है और अपने साथ ढेर सारी खुशियां, उमंग और मीठी यादें लेकर आता है, जो अनमोल हैं। सभी को करवा चौथ की शुभकामनाएं।

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