लखनऊ। वाराणसी जनपद न्यायालय के सिविल जज (सीनियर डिवीजन ) युगुल शंभू के न्यायालय में वर्ष 1991 के लॉर्ड विशेश्वर के मूल वाद सुनवाई पूरी हो गई है। इस मुकदमे में 25 अक्टूबर को निर्णय आने की संभावना है। न्यायालय ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से न्यायालय में कहा गया कि परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण हो चुका है। अब अतिरिक्त किसी प्रकार के सर्वे की आवश्यकता नहीं है
आज अंजुमन इंतजामिया कमेटी और वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने अपनी-अपनी दलील न्यायालय में पेश की। इसके साथ ही हिंदू पक्ष के द्वारा हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कई आख्यानों का भी विवरण देते हुए उसकी कॉपी न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की गई। हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने कहा कि अभी रकबा नंबर-9130- 31-32 जो ज्ञान वापी से ही संबंधित है ।उसमें रकबा 31-32 में सर्वे नहीं हुआ है। 1991 का केस पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव सूट है। इस कारण उसमें सबसे पहले 18 अप्रैल 2021 को एएसआई सर्वे का आदेश हुआ था। जबकि पांच वादनी महिलाओं का मुकदमा 16 अगस्त 2021 को संस्थित हुआ था। पांच वादनी महिलाओं के केस में एएसआई सर्वे की कार्रवाई हुई है।
भारतीय पुरातत्व विभाग की विशेषज्ञता खुदाई करने की है। बनारस में ही सारनाथ का उत्खनन और राजघाट का उत्खनन एएसआई ने कराया है। यहां तक कि मोहनजोदड़ो, हड़प्पा की भी खुदाई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कराया था। उसी आधार पर ज्ञानवापी का भी 4/4 फीट का खुदाई करके नीचे जमीन में जाकर ज्ञानवापी के मध्य के गुंबद के नीचे ज्योतिर्लिंग के स्थान का सर्वेक्षण परीक्षण होना चाहिए। इसी संदर्भ में आज न्यायालय के समक्ष हिंदू पक्ष ने अपना तर्क प्रस्तुत किया।
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