झारखंड के 81 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में एनडीए गठबंधन में सीटों का तालमेल कोई नई या बड़ी बात नहीं है। लोकसभा 2024 के चुनाव में भाजपा ने अपने सहयोगी दल आल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को गिरिडीह की सीट बिना किसी समस्या के दे दी थी। गिरिडीह की सीट भाजपा के लिए एक मजबूत और महत्वपूर्ण सीट थी। भाजपा ने उस सीट को 1996 के बाद सिर्फ एक बार, 2004 में हारी थी। 2004 में भाजपा सिर्फ कोडरमा सीट ही जीत सकी थी। बाबूलाल मरांडी ने 2004 में कोडरमा की सीट जीती थी।
भाजपा के लिए अपने सहयोगियों के साथ सीटों का तालमेल कोई नया मुद्दा नहीं है। भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में जनता दल यूनाइटेड को अपनी हिस्से की जीती गई 5 सीटें बिना किसी लेन-देन के आसानी से देकर एक अच्छे और बड़े सहयोगी का परिचय दिया था। 2019 में लोकसभा चुनाव से पूर्व बिहार में जेडीयू के पास 2 सीटें थीं, जबकि भाजपा की 22 सीटें थीं। बावजूद इसके, भाजपा ने खुद सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ा और जेडीयू को भी 17 सीटें लड़ने के लिए दीं।
भाजपा ने पूर्व में जब भी किसी सहयोगी दल के साथ सरकार बनाई है, तो उसने सत्ता प्राप्ति के बदले जनहित के लिए सहयोगी दल के साथ मिलकर काम किया है। भाजपा ने सबसे पहले 1997 में उत्तर प्रदेश में बसपा के साथ मिलकर छः-छः महीने के मुख्यमंत्री पद के बंटवारे के साथ सरकार बनाई। लेकिन बसपा की कम सीटों के बावजूद भी भाजपा ने पहले मायावती को मौका देकर अपने बड़े त्याग और जनसरोकारी पार्टी होने का परिचय दिया। भाजपा ने कर्नाटक में जेडीएस के साथ उत्तर प्रदेश के तर्ज पर ही छः-छः महीने के मुख्यमंत्री पद के बंटवारे वाली सरकार बनाई और कम सीटों के बावजूद भी जेडीएस को पहले मौका देते हुए कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री का पद दिया।
जम्मू कश्मीर में 2014 में भाजपा ने कम सीटों वाली पीडीपी की महबूबा मुफ्ती को मुख्यमंत्री बनाया। बिहार में भाजपा 2005 से लगातार नीतीश कुमार के साथ गठबंधन की सरकार में है, मगर भाजपा ने आज तक नीतीश कुमार से मुख्यमंत्री पद साझा करने की शर्त नहीं रखी। महाराष्ट्र में वर्तमान में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी है, मगर खुद की एक-तिहाई सीटों वाली पार्टी शिवसेना के एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री का पद देकर, खुद के नेता देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री पद लेकर जनता के हित में सरकार चला रही है।
महाराष्ट्र में भी महायुति गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न होती नहीं दिख रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में भी महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन में सीटों के बंटवारे में कोई समस्या नहीं आई। विधानसभा चुनाव में भी अच्छे और सौहार्दपूर्ण तरीके से सीटों के बंटवारे में कोई समस्या नहीं आने की उम्मीद है।
दूसरी ओर हाल में हुए हरियाणा और जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का सीटों का बंटवारा सहयोगियों के साथ धोखाधड़ी से भी बढ़कर था। कांग्रेस पार्टी ने अपने जनाधार से ज्यादा सीटें अपने सहयोगी नेशनल कॉन्फ्रेंस से लीं और सात सीटों पर अपने सहयोगी के खिलाफ उम्मीदवार भी उतार दिए। इन सात सीटों में कांग्रेस पार्टी किसी भी सीट पर मुख्य मुकाबले में नहीं आ सकी। चार सीटें नेशनल कांफ्रेंस ने जीतीं, दो सीटें भाजपा ने और एक सीट आम आदमी पार्टी ने जीती। चुनाव के बीच अब्दुल्ला परिवार ने कांग्रेस पर मजबूती से चुनाव नहीं लड़ने का आरोप लगाया। दूसरे शब्दों में, अब्दुल्ला परिवार कांग्रेस पार्टी से समझौता कर दुखी था।
जम्मू कश्मीर में इंडिया गठबंधन दलों का प्रदर्शन
वहीं, हरियाणा में कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी को सीटों के बंटवारे में उलझाए रखा और अंतिम समय में गठबंधन से इंकार कर दिया। कांग्रेस के इस आचरण से आम आदमी पार्टी को हरियाणा में अच्छे से चुनाव लड़ने का मौका भी नहीं मिला। अतएव, हम कह सकते हैं कि महाराष्ट्र और झारखंड चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी का सीटों का बंटवारा और गठबंधन आधे-अधूरे मिजाज से होगा। कांग्रेस का अनेक सीटों पर अपने सहयोगी दल के साथ जम्मू-कश्मीर के तर्ज पर दोस्ताना संघर्ष भी होगा।
कांग्रेस पार्टी ने बिहार में 2020 विधानसभा चुनाव में अपनी ताकत से लगभग तीन गुना सीटों पर चुनाव लड़ा और गठबंधन को बुरी तरह चुनाव हरवा दिया।
बिहार 2020 विधानसभा चुनाव में सीटों का वितरण और जीत का आंकड़ा
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