सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सभी मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण करने का निर्णय लिया है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पहल पर लिया गया है। अब तक केवल संविधान पीठ के मामलों की सुनवाई का सीधा प्रसारण होता था, लेकिन इस नए निर्णय के तहत सभी बेंच की सुनवाई का भी सीधा प्रसारण किया जाएगा।
शीर्ष अदालत की सभी बेंचों की लाइव-स्ट्रीमिंग की सुविधा देने वाले एक ऐप का परीक्षण अंतिम चरण में है। 18 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट की सभी बेंचों की कार्यवाही का परीक्षण प्रारूप में लाइव स्ट्रीम किया गया। यह स्ट्रीमिंग कोर्ट के आधिकारिक यूट्यूब चैनल के बजाय उसके अपने एप्लिकेशन पर की गई। हाल ही में NEET-UG मामले और आरजी कर मामले में तीन जजों की बेंच की सुनवाई को भी सार्वजनिक हित को ध्यान में रखते हुए लाइव-स्ट्रीम किया गया था।
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सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में एक फैसले में संवैधानिक और राष्ट्रीय महत्व के मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए निर्देश जारी किए थे। इसमें किशोरों और यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों को शामिल नहीं किया गया था।
2022 में कोविड महामारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के तहत मामलों की सुनवाई की पहली बार यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाइव स्ट्रीमिंग शुरू की थी। इसमें EWS कोटा मामले का लाइव-स्ट्रीमिंग किया था। तब से यह प्रक्रिया जारी रही है और अब इसे सभी अदालतों तक विस्तारित किया जा रहा है।
27 सितंबर 2022 को जब पहली बार संविधान पीठ की सुनवाई का सीधा प्रसारण किया गया था, तब इसे 8 लाख से अधिक लोगों ने देखा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह कदम दूर-दराज के लोगों को न्यायालय की कार्यवाही देखने का अवसर प्रदान करेगा।
सुप्रीम कोर्ट की तरह हाईकोर्ट भी न्यायालय की कार्यवाही का लाइव-स्ट्रीमिंग कर रहे हैं। इसमें गुजरात हाईकोर्ट पहले स्थान पर है।
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ अपने कार्यकाल में तकनीक का उपयोग कर न्यायिक प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने केस आवंटन और त्वरित सुनवाई में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। वह अगले महीने 10 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होंगे।
हालांकि इस सुविधा का आधिकारिक लॉन्च अभी बाकी है, लेकिन इस निर्णय से न्यायपालिका में पारदर्शिता बढ़ेगी और आम जनता को अदालतों में हो रही सुनवाइयों को देखने का मौका मिलेगा। इससे न्यायिक प्रक्रिया और अधिक सुलभ होगी।
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