उत्तर प्रदेश

बहराइच में मजहबी बर्बरता

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पाञ्चजन्य ब्यूरो

गत 13 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश के बहराइच जनपद में जो हुआ, वह हिंदू समाज के लिए चिंता पैदा करने वाली घटना है। 22 वर्षीय हिंदू युवक राम गोपाल मिश्र की बर्बरता से हत्या केवल इसलिए कर दी गई कि उन्होंने उन जिहादी तत्वों को ललकारा था, जिन्होंने मां दुर्गा की प्रतिमा को पत्थर मार कर तोड़ दिया था। घटना उस समय हुई जब दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के लिए हिंदू गाजे-बाजे के साथ महसी तहसील के महराजगंज कस्बे से गुजर रहे थे। तभी कुछ मजहबी उन्मादी तत्वों ने डीजे बजाने का विरोध किया।

इस बात को लेकर कहासुनी शुरू हो गई। इसी बीच कुछ मुस्लिम युवकों ने हिंदुओं पर पथराव शुरू कर दिया। इससे दुर्गा जी की प्रतिमा खंडित हो गई। इधर कुछ मुस्लिम लड़के राम गोपाल मिश्र को खींच कर एक घर के अंदर ले गए। वहां राम गोपाल के साथ जमकर बर्बरता हुई और अंत में उसे गोली मार दी गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनके शरीर में 30 से अधिक छर्रे पाए गए। इस घटना का मुख्य आरोपी है अब्दुल हमीद। पुलिस ने उसके दोनों बेटों सरफराज उर्फ सलमान और फहीम के साथ ही साहिर, मारूफ एवं अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।

पकड़े गए पांच मुख्य आरोपी

17 अक्तूबर को उत्तर प्रदेश पुलिस ने राम गोपाल मिश्र की हत्या के पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया। वे नेपाल भागने की फिराक में थे। इस दौरान पुलिस से हुई मुठभेड़ में मोहम्मद सरफराज और मोहम्मद तालिम के पैरों में गोली लगी। इन दोनों को अस्पताल मेें भर्ती कराया गया है। ये दोनों मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद के बेटे हैं। मोहम्मद फहीन, मोहम्मद अब्दुल हमीद और मोहम्मद अफजल भी पकड़े गए हैं। बता दें कि अब्दुल हमीद के घर की छत से ही हिंदुओं पर पत्थरबाजी की गई थी। इसके बाद इन लोगों ने राम गोपाल की बर्बरता से हत्या की थी।

पीड़ित परिवार को मदद

15 अक्तूबर को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रामगोपाल मिश्र के परिजनों से लखनऊ में मुलाकात की। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रुपए की तत्काल आर्थिक सहायता, आवास, शौचालय एवं आयुष्मान समेत सभी सरकार योजनाओं का लाभ देने का निर्देश दिया। रामगोपाल के चचेरे भाई किशन मिश्र ने कहा कि हम लोगों को आश्वस्त किया गया है कि अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ‘एक्स’ पर लिखा, ‘‘जनपद बहराइच की दुर्भाग्यपूर्ण घटना में काल-कवलित हुए युवक के शोक-संतप्त परिजनों से आज लखनऊ में भेंट की। दु:ख की इस घड़ी में उत्तर प्रदेश सरकार पूरी संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता से पीड़ित परिवार के साथ खड़ी है। आश्वस्त रहें, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाना ही उत्तर प्रदेश सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इस घोर निंदनीय और अक्षम्य घटना के दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।’’

हिंदुओं को पता होना चाहिए कि राम गोपाल मिश्र की बर्बर हत्या पर शरद पवार, राहुल गांधी, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, असदुद्दीन ओवैसी, फारुख अबदुल्ला, उद्धव ठाकरे, लालू यादव, हेमंत सोरेन जैसे नेताओं ने एक शब्द भी नहीं बोला। यदि राम गोपाल की जगह कोई ‘असलम’ होता तो ये नेता उसके घर जाते और कहते, ‘‘देश में मुसलमानों को मारा जा रहा है।’’

इस मामले पर अखिलेश यादव ने बोला तो जरूर, लेकिन उसमें भी हत्यारों का ही बचाव किया। राम गोपाल की हत्या पर अखिलेश ने दु:ख तक व्यक्त नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘‘लाउडस्पीकर पर क्या बजा रहे थे? यह कहूंगा तो वे कुछ कहेंगे। प्रशासन को ध्यान रखना चाहिए था कि क्या बजा रहे हैं। क्या किसी का अपमान कर रहे हैं? उत्तर प्रदेश में भाजपा के लोग मनमानी कर रहे हैं। यह इनकी वोट की राजनीति है। लोगों से शांति की अपील करूंगा। ये झगड़ा कराकर बांटने का काम करते हैं।’’ यानी अखिलेश ने हिंदुओं पर ही आरोप लगा दिया कि वे लोग लाउडस्पीकर बजाकर उनका (मुसलमानों का) अपमान कर रहे थे। उनका इशारा यह था कि हिंदू किसी मस्जिद के आगे लाउडस्पीकर क्यों बजाते हैं?

राम गोपाल मिश्र के माता, पिता और उनकी पत्नी से भेंट करते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

अखिलेश के बयान ने हिंदू समाज को भड़काया। यही कारण है कि 14 अक्तूबर की सुबह प्रशासन ने राम गोपाल मिश्र का शव उनके परिजनों को सौंपा, तो लोग सड़क पर उतर गए। हिंदुओं ने प्रशासन से मांग की कि आरोपियों के विरुद्ध कार्रवाई हो, तभी शव का अंतिम संस्कार होगा। ग्रामीण अभियुक्तों पर कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे थे। अंतत: प्रशासन के समझाने के बाद लोग अंतिम संस्कार के लिए तैयार हुए। राम गोपाल की शवयात्रा में हजारों लोगों ने भाग लिया। लोग बड़े गुस्से मेें थे। अपर पुलिस महानिदेशक (कानून एवं व्यवस्था) अमिताभ यश ने बताया कि घटना में शामिल उपद्रवियों की गिरफ्तारी की जा रही है। उपद्रवियों का आपराधिक ब्योरा भी निकाला जा रहा है।

जिहादी हमलों से सकते में लोग

इस बार विजयादशमी के अवसर पर लगभग पूरे देश में हिंसा हुई। इन घटनाओं के संकेत बहुत ही खतरनाक हैं।

  • कर्नाटक के बेलगावी में मूर्ति का अपमान किया गया।
  • पश्चिम बंगाल के हावड़ा में दुर्गा पूजा पंडाल में तोड़-फोड़ की गई।
  • हैदराबाद के पास मुथयलम्मा मंदिर में प्रतिमा को लात मार तोड़ दिया गया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि टोपीधारी एक व्यक्ति देवी की प्रतिमा को लात मारकर गिरा रहा है।
  • झारखंड के गढ़वा में पुलिस ने परंपरागत मार्ग से विसर्जन जुलूस को नहीं जाने दिया। इस कारण विवाद बढ़ा।
  • बिहार के किशनगंज जिले में मजहबी तत्वों ने दुर्गा प्रतिमा तोड़ दी।
  • असम के करीमगंज में अब्दुल अहद, सहाबुल अमहद और कुछ अन्य मुसलमानों ने मां दुर्गा की मूर्ति पर हमला किया और उसे तोड़ दिया।
  • उत्तरी त्रिपुरा के कदमतला खंड में दुर्गा पूजा के लिए चंदा मांगने पर मुसलमानों की भीड़ ने हिंदुओं पर हमला किया।
  • उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और कुशीनगर में 6 अक्तूबर को दुर्गा पूजा पंडाल पर मुसलमानों की भीड़ ने हमला किया।
  • गोंडा में 9 अक्तूबर को असलम, सुल्तान, मुन्ना के साथ मुसलमानों की भीड़ ने पूजा पंडाल पर हमला किया। 12 अक्तूबर को गोंडा में ही विसर्जन जुलूस पर हमला हुआ।
  • 11 अक्तूबर को कौशांबी में मुसलमानों की भीड़ ने विसर्जन जुलूस पर पत्थरबाजी की।

इनकी हो चुकी है गिरफ्तारी

  • 12 अगस्त, 2008 को पाकिस्तान की कराची निवासी आईएसआई एजेंट और पाकिस्तानी जासूस मशरूर उर्फ रमेश चौधरी को रुपईडीहा स्टेशन के पास से गिरफ्तार किया गया था।
  • 27 अक्तूबर, 2013 को इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादी अफजल उस्मानी को जिले से गिरफ्तार किया गया।
  • 2013 में आतंकवादी यासीन भटकल को बहराइच से गिरफ्तार किया गया था।
  • 2015 में लश्कर-ए-तैयबा के डिप्टी कमांडर इरफान की गिरफ्तारी बहराइच जिले से ही हुई थी।
  • 12 नवंबर, 2016 को रावलपिंडी निवासी पाकिस्तानी जासूस आसिफ हुसैन लोन को यहीं गिरफ्तार किया गया था।

दाऊद, मुंबई, नेपाल और बहराइच

नेपाल सीमा से सटे बहराइच मदहबी उन्मादियों का गढ़ बनता जा रहा है। बहराइच से दाऊद इब्राहिम, मिर्जा दिलशाद बेग जैसे आरोपियों और गुंडों के तार जुड़े रहे हैं। मुंबई के संगठित माफिया के लिए नेपाल में शरण लेने का यह सुगम रास्ता है। बहराइच में ऐसे तत्व भी हैं, जो सालार मसूद की दरगाह, जिसे महाराजा सुहेलदेव ने मारा था, के बहाने मुसलमानों का जुटान करते हैं। इनमें बांग्लादेशी भी होते हैं। यह भी कहा जाता है कि बहराइच में जितने भी बांग्लादेशी आते हैं, उनमें से अधिकांश लौटते ही नहीं हैं। उन लोगों को बहराइच और उसके आसपास स्थानीय मुसलमान बसाते हैं।

यह जिला हिजबुल मुजाहिदीन, आईएसआई, सिमी, इंडियन मुजाहिदीन, अलकायदा, लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से जुड़ा रहा है। यहां दाउद इब्राहिम गैंग भी सक्रिय रहा है। कैसरगंज के प्यारेपुर निवासी अबुबकर को दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा ने पकड़ा था। अबुबकर की आतंकी गतिविधि सामने आई थी। उसके बारे में खुफिया विभाग को जानकारी मिली थी कि दाऊद का भाई अनीस इब्राहिम उसे पैसा उपलब्ध कराता था। 2021 में दिल्ली में जमात में शामिल होने गए अबुबकर को एटीएस ने गिरफ्तार किया था। यह जिला दाऊद इब्राहिम के खानसामा जिब्राइल, मशरूर समेत कई आतंकियों का सुरक्षित ठिकाना रहा है।

पुलिस-प्रशासन चाहे कुछ भी कर ले, लेकिन वह राम गोपाल मिश्र के बूढ़े माता-पिता को उनका पुत्र नहीं लौटा सकता है। इसलिए बहराइच के हिंदुओं की मांग है कि हत्यारों को ऐसी सजा दी जाए कि उनकी आने वालीं पीढ़ियां भी कोई अपराध करने से पहले सात बार सोचें कि इसका अंजाम क्या होगा?

इस घटना को लेकर लोगों का पुलिस पर भारी दबाव है। इसलिए पुलिस भी आरोपियों को पकड़ने में दिन-रात एक कर रही है। इसका परिणाम भी दिखने लगा है। मुख्य आरोपियों सहित 50 दंगाइयों को गिरफ्तार कर लिया गया है। उम्मीद है कि जल्दी ही पीड़ित परिवार को न्याय मिलेगा।

 

 

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