भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने हाल ही में न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को अपने उत्तराधिकारी के रूप में नामांकित किया है। CJI चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 को रिटायर होने वाले हैं। अगर केंद्र सरकार इस सिफारिश को मंजूरी देती है, तो न्यायमूर्ति खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। वें 13 मई 2025 तक उनके रिटायरमेंट तक इस पद पर रहेंगे।
यह भी पढ़े- सुप्रीम कोर्ट का 4-1 से ऐतिहासिक फैसला: नागरिकता अधिनियम की धारा 6A को ठहराया संवैधानिक
सिफारिश की प्रक्रिया
मुख्य न्यायाधीश की यह सिफारिश एक परंपरा के अनुसार की गई है। कानून मंत्रालय मुख्य न्यायाधीश से उनके रिटायरमेंट से लगभग एक महीने पहले उत्तराधिकारी का नाम सुझाने के लिए कहता है। CJI चंद्रचूड़ को 12 अक्टूबर को यह अनुरोध मिला। जिसके बाद उन्होंने न्यायमूर्ति खन्ना का नाम सुझाया। सरकार जल्द ही इस सुझाव पर एक नोटिफिकेशन जारी करेगी। 11 नवंबर से न्यायमूर्ति खन्ना को नए मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की उम्मीद है।भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की नियुक्ति को नियंत्रित करने वाले प्रक्रिया का ज्ञापन (MoP) के अनुसार मुख्य न्यायाधीश के लिए नियुक्ति हमेशा सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश की जाती है। जिसे इस पद के लिए योग्य माना जाता है।
यह भी पढ़े- एक भगोड़ा कैसे कर सकता है अदालत से अनुरोध? : जाकिर नाइक की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में उठा गंभीर सवाल
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का करियर
न्यायमूर्ति खन्ना ने 1983 में दिल्ली बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकरण कराया था। उन्होंने अपनी शुरुआत तीस हजारी जिला अदालत से की और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय और अन्य ट्रिब्यूनल में प्रैक्टिस की। उन्होंने संवैधानिक कानून, मध्यस्थता, वाणिज्यिक कानून, कंपनी कानून और आपराधिक कानून जैसे क्षेत्रों में काम किया है। 2005 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय में अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया और 2006 में वे स्थायी न्यायाधीश बन गए। इसके बाद 18 जनवरी 2019 को उन्हें सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त किया गया। उन्होंने दिल्ली न्यायिक अकादमी और राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण जैसे महत्वपूर्ण पदों पर भी कार्य किया है।
महत्वपूर्ण निर्णय
न्यायमूर्ति खन्ना ने कई महत्वपूर्ण मामलों में निर्णय दिए हैं। उन्होंने पूर्व दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लोकसभा चुनावों के दौरान अंतरिम जमानत दी। इसके अलावा उन्होंने पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के मामले में यह कहा कि कानूनी मामलों में देरी जमानत देने का उचित कारण हो सकती है।
हाल ही में, उन्होंने एक बेंच का नेतृत्व किया जिसने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVMs) से डाले गए वोटों की जांच करने की मांग को मना कर दिया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा किए गए उपाय चुनावों की सही और भरोसेमंद प्रक्रिया को सुनिश्चित करते हैं। इसके अलावा वे उस पांच-न्यायाधीश बेंच का हिस्सा थे जिसने चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक घोषित किया।
टिप्पणियाँ