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मदरसों में कट्टरपंथ के खिलाफ NCPCR के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने उठाई थी आवाज, कार्यकाल समाप्त होने पर कही ये बात

मनुष्य का जीवन नश्वर है और इसका नष्ट होना तय है। हम किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जीवन को नष्ट कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है।

by Kuldeep singh
Oct 17, 2024, 02:58 pm IST
in भारत
NCPCR Priyank kanoongo

एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो

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देशभर में बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने लगातार देश में बच्चों की शिक्षा को लेकर काम किया है। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने न केवल ईसाई मिशनरियों और मदरसों में बच्चों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने के मामले को उठाया था। अब जब प्रियंक कानून का कार्यकाल समाप्त हो गया है तो उन्होंने इस मौके पर कहा कि वर्ष 2014 से जिस नए भारत के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है। उसे आगे बढ़ाने के लिए आयोग पूरी तरह से तैयार हैं।

प्रियंक कानूनगो ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर एक पोस्ट किया। इसमें उन्होंने कहा कि आज आयोग में काम करने का मेरा आखिरी दिन है। आज मैं इतने दिनों के मेरे अनुभवों को निश्चित रूप से आपसे साझा करना चाहूंगा। आयोग में काम करते हुए मुझे प्रोफेशनल और व्यक्तिगत दोनों तरह के अनुभवों के साथ गुजरना पड़ा। लगभग एक दशक का समय इस आयोग में मेरा निकला है।

इसे भी पढ़ें: उर्दू सीखने गई बच्ची को चूमा, गुप्तांग में…, मदरसे के मौलवी को कोर्ट ने सुनाई 12 साल की सजा

मनुष्य का जीवन नश्वर है और इसका नष्ट होना तय है। हम किस उद्देश्य की पूर्ति के लिए जीवन को नष्ट कर रहे हैं, यह महत्वपूर्ण है। आयोग में आने के बाद बच्चों के साथ काम करते हुए मेरा जो व्यक्तिगत व्यक्तित्व विकास हुआ है वो मैं साझा करना चाहूंगा। मेरे अंदर एक आध्यात्मिक चेतना का विकास हुआ है और इस अध्यात्मिक चेतना ने मेरे स्वभाव को बदलने का काम किया है। जो लोग मुझे 20-25 वर्षों से जानते हैं उनको पता है कि एक दशक पहले मेरे स्वभाव में कमजोरियां थी और क्रोध मेरी सबसे बड़ी कमजोरी थी। आज यह कहते हुए मैं देश भर के बच्चों के प्रति कृतज्ञता से भर जाता हूं। आदरणीय प्रधानमंत्री जी के प्रति मेरा मन श्रद्धा से भर जाता है कि उन्होंने ये काम मुझे सौंपा और देश के बच्चों के साथ काम करने का मुझे अवसर दिया। मेरे मन का विकार खत्म हो गया, चित्त निर्मल हो गया औऱ मुझे क्रोध आना बंद हो गया। जब हम उन लोगों की पीड़ा देखते हैं जो संसार के सबसे दुश्वार कष्टों का सामना कर हैं, आनाथ बच्चे, गंभीर बीमारियों से जूझ रहे बच्चे, बलात्कार जैसे यौन शोषण का शिकार बच्चे, ट्रैफिकिंग, दासता, बाल श्रम में लगे हुए बच्चे, मानसिक विकारों से जूझ रहे बच्चे, स्कूल जाने का रास्ता खोज रहे बच्चे, वो लडकियाँ जिनको बराबरी का हक हासिल नहीं हैं, उनके कष्टों को जब हम देखते हैं और कोशिश करते हैं कि उनके कष्टों के सहभागी बनकर उस पीड़ा को कम करने का प्रयास करें। यह कार्य व्यक्तिगत रूप से आपको बदल कर रख देगा और यही मेरे जीवन का अनुभव है जो जीवन भर मेरे साथ चलेगा। मेरा स्वभाव बदला, मेरा व्यक्तित्व बदला गया।

प्रधानमंत्री जी के बारे में सब लोग यह बात जानते हैं कि उनके स्पर्श मात्र से लोगों के जीवन बदल गए हैं। मैंने इस बदलाव को अपने अंदर महसूस किया है। मेरे प्रधानमंत्री जी का ही मेरे ऊपर विश्वास है ना केवल मेरा जीवन बदला बल्कि उन्होंने मुझे वो माध्यम बनने का अवसर प्रदान किया है कि मैं देश के बच्चों के कष्टों को उन तक पहुंचा पाया और फिर प्रधानमंत्री जी ने देश के लाखों बच्चों के जीवन को बदलने का काम किया। यह once in a life opportunity है, मैं कृतज्ञता से भरा हुआ हूं। आयोग में यहां के अधिकारी यहां के सहयोगी एक परिवार की तरह हम लोगों ने साथ काम किया। मैं मगर पीछे जाकर याद करूं तो कठिन से कठिन परिस्थितियों में ऐसे दिन भी है जब हमारे आयोग परिवार के किसी सदस्य ने अपने निकट परिजन में से किसी को खोया। त्रासदियों का सामना किया, उसके बावजूद उस दिन भी बच्चों का काम करने के लिए वह व्यक्ति खड़ा रहा। बच्चों के प्रति जिसके मन में संवेदना, सद्भावना और उनकी पीड़ा को कम करने का जज्बा है वही लोग इस आयोग में टिक के काम कर पाए और आयोग इसी जज्बे के साथ ऐसे ही चलेगा। मुझे पूरा विश्वास है कि जो संसाधन हमने आयोग के रूप में डेवलप किया है वह माननीय प्रधानमंत्री जी की सीधी निगरानी में देश के बच्चों के कल्याण का काम करने के लिए तत्पर हैं।

इसे भी पढ़ें: उत्तराखंड: नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले वसीम, रिहान को 20 साल कठोर कारावास की सजा, 52,000 का जुर्माना भी

2014 से जिस नए भारत के निर्माण की प्रक्रिया शुरू हुई है, उस प्रक्रिया में सहभागिता निभाने के लिए यह आयोग तैयार है। देश के सभी बच्चों को आज मेरी ओर से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। हमने कानूनी, सामाजिक, व्यवस्थागत कमियों का सामना किया, संघर्ष किया और सफलता प्राप्त की है। जीवन में जो प्रवाह है वह नदी के समान होना चाहिए और मोक्ष के सागर में मिलने तक नदी का प्रवाह ऐसे ही बना रहे,इसी कामना के साथ देश के बच्चों को, देशवासियों को बहुत-बहुत धन्यवाद। आदरणीय प्रधानमंत्री जी का मनपूर्वक बहुत बहुत आभार।

Topics: Priyank KanungoIslamic fundamentalismNCPCRएनसीपीसीआरमदरसाइस्लामिक कट्टरपंथMadrasasप्रियंक कानूनगो
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