एससीओ के अनुच्छेद 1 का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने सदस्य देशों से अपील की कि उस अनुच्छेद में दिए एससीओ के उद्देश्यों तथा कर्तव्यों पर गौर किया जाए। इसमें साफ लिया है कि इसका उद्देश्य परस्पर विश्वास, मित्रता तथा पड़ोसियों के बीच सकारात्मक संबंध मजबूत किए जाएं। अनुच्छेद साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग को आगे ले जाने की बात करता है।
इस्लामाबाद में एससीओ शिखर वार्ता में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अपनी ख्याति के अनुरूप आतंकवाद के मुद्दे पर आक्रामक तेवर अपनाया और पाकिस्तान तथा चीन को खरी खरी सुनाने में कोई कसर नहीं रखी। सम्मेलन में अपनी बात रखते हुए जयशंकर ने दोनों देशों, कम्युनिस्ट आका और उसके शागिर्द को जमकर सुनाया। उन्होंने विषय लिया आतंकवाद और संप्रभुता का, जिसको लेकर उन्होंने दोनों देशों की कलई खोलकर रखी दी। हैरानी की बात है कि जयशंकर के इस वक्तव्य का बीच में लाइव प्रसारण रोक दिया गया।
भारत के विदेश मंत्री ने जिन्ना के देश को विशेषरूप से सीमापार आतंकवाद के मुद्दे पर लताड़ लगाई तो चीन को संप्रभुता के मुद्दे पर घेरा। उन्होंने फिर से दोहराया कि भारत के लिए राष्ट्रपति शी जिनपिंग की चहेती सीपीईसी परियोजना कोई मायने नहीं रखती। लेकिन एससीओ शिखर सम्मेलन की मर्यादा रखते हुए जयशंकर ने न तो पाकिस्तान का सीधे नाम लिया तथा न ही चीन का नाम से उल्लेख किया।
दस साल के बाद भारत के किसी विदेश मंत्री की इस यात्रा को पाकिस्तानी अवाम और मीडिया खासी दिलचस्पी से देख रहा है। पाकिस्तानी जानते हैं कि भारत के विदेश मंत्री जयशंकर अपनी बात खुलकर रखने के लिए मशहूर हैं और भारत के स्वाभिमान से कैसा भी समझौता स्वीकार नहीं करते हैं। एससीओ सम्मेलन में उन्होंने कहा कि कोई भी सहयोग परस्पर सम्म्मान तथा संप्रभुता में समानता के आधार पर होना जरूरत है। इस मंच को क्षेत्रीय अखंडता तथा संप्रभुता को मान्य करना होगा। एकतरफा एजेंडा नहीं इसमें असल साझेदारी की बात हो। बस इसी बिन्दु पर डॉ. जयशंकर के भाषण का लाइव प्रसारण रोक दिया गया। जयशंकर ने चीन के संदर्भ में उक्त बात इसलिए की क्योंकि चीन के नेता ने अपने वक्तव्य में बेवजह कश्मीर का मुद्दा उठाया था।
एससीओ के अनुच्छेद 1 का उल्लेख करते हुए जयशंकर ने सदस्य देशों से अपील की कि उस अनुच्छेद में दिए एससीओ के उद्देश्यों तथा कर्तव्यों पर गौर किया जाए। इसमें साफ लिया है कि इसका उद्देश्य परस्पर विश्वास, मित्रता तथा पड़ोसियों के बीच सकारात्मक संबंध मजबूत किए जाएं। अनुच्छेद साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग को आगे ले जाने की बात करता है। एससीओ का लक्ष्य ही है संतुलित विकास को और मजबूत करना। आपस में संघर्ष रुकें इसके लिए मंच एक सकारात्मक शक्ति बनने पर जोर देता है। उन्होंने साफ कहा कि एससीओ का कार्यविवरण कहता है कि मंच के सामने तीन बड़ी चुनौतियां हैं, और ये हैं आतंकवाद, अलगाववाद तथा उग्रवाद। इनका प्रतिकार करने के प्रति एससीओ ने अपनी प्रतिबद्ध व्यक्त की है।
उन्होंने आगे कहा कि आज के हालात को देखते हुए इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए काम करने की आवश्यकता और तीव्र हुई है। इसे देखते हुए यह आवश्यक है कि हम बात करें तो पूरी ईमानदार के साथ। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उसकी ओर संकेत में जयशंकर ने कहा कि विश्वास में कमी है, पर्याप्त सहयोग अथवा मित्रता में कमजोरी अथवा अच्छे पड़ोसी जैसे संबंध तो अब देखने में नहीं आ रहे हैं। इसलिए क्यों न हम अपने अंदर झांकें तथा ऐसी समस्याओं का हल तलाशें।
भारत के विदेश मंत्री के वक्तव्य को सभी सदस्य देश एकदम खामोशी से सुन रहे थे। उन्होंने आगे बहुध्रुवीय दुनिया की बात की और कहा कि वैश्वीकरण तथा संतुलन को फिर से स्थापित करना वह सचाई है जिसे अनदेखा नहीं कर सकते। इसमें कोई शक नहीं है कि यदि हम सब मिलकर इसे और आगे ले जाते हैं, तो पूरे क्षेत्र को काफी लाभ मिलेगा।
एक बार फिर उन्होंने पाकिस्तान और चीन का सीधे सीधे नाम लिए बिना कहा कि ऐसा तब संभव है जब हमारे बीच सहयोग परस्पर सम्मान तथा संप्रभुता पर आधारित समानता की बुनियाद पर टिका हो। यदि हम वैश्विक परंपराओं विशेषकर, व्यापार तथा परिवहन के विषय पर अपनी ही सोच चलाते हैं तो यह सहयोग आगे बढ़ना मुश्किल है।
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