देहरादून। थूक जिहाद जैसे मामलों के बाद उत्तराखंड की धामी सरकार ने केंद्र सरकार के द्वारा जारी फूड लाइसेंस की गाइडलाइंस को राज्य में सख्ती से लागू करने का निर्णय लिया है। इस मामले में स्वास्थ्य सचिव को निर्देशित किया गया है।
जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने सभी राज्यों की सरकारों को दिशानिर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्य का स्वास्थ्य विभाग सभी रेहड़ी-ठेले पर खाद्य सामग्री बेचने वालो को मुफ्त में फूड लाइसेंस जारी करे। इस लाइसेंस की अनिवार्यता कर दिए जाने से फल सब्जी, चाय, चाट या अन्य खाने-पीने की वस्तुएं बेचने वाले सभी लोग स्वास्थ्य नियमों के पालन करने और अपनी वस्तुओं की गुणवत्ता के मानकों से जुड़ जायेंगे।
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ऐसा इसलिए किया जा रहा है क्योंकि बहुत से छोटे व्यवसायी फल-सब्जियों और अन्य वस्तुओं में ऐसे रसायन का इस्तेमाल कर रहे हैं जोकि इंसान के शरीर के लिए घातक हैं।
इन फूड लाइसेंस की अनिवार्यता के नियमों में एक नियम ये भी है कि फूड लाइसेंस की संख्या और धारक के नाम को भी एक नेम प्लेट के साथ डिस्प्ले करना होगा।
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उत्तराखंड की धामी सरकार इस नियम को प्रमुखता से लागू कराने पर जोर देने जा रही है। धामी सरकार का मानना है कि भोजन खाद्य पदार्थ या अन्य सामग्री खरीदने वालों को इस बात का अधिकार है कि वह किससे और क्या सामान खरीदने जा रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कांवड़ यात्रा के दौरान भी ये विषय चर्चा में आया था जब हिंदू नाम रखे ढाबों ,ठेलो के संचालक गैर हिंदू होने पर सवाल उठे थे जोकि विवाद का कारण बन गए थे।
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अब सरकार ने हिंदू और गैर हिंदू विषय को दरकिनार करते हुए सभी के लिए फूड लाइसेंस और संचालक स्वामी का नाम अनिवार्य कर दिया है। उत्तराखंड में भी ये नियम लागू कर दिया गया है जिसकी पुष्टि स्वास्थ्य सचिव डा. आर . राजेश कुमार ने की है।
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