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चालाक चीन बना रहा Ladakh सीमा पर रिहायशी कॉलोनी! उपग्रह तस्वीरों ने हटाया Communist Dragon की शैतानी मंशाओं से पर्दा

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WEB DESK

यह जगह 4,347 मीटर की ऊंचाई पर है। पास से येमागो मार्ग गुजर रहा है। यहां चारों तरफ इमारतों को बनाने वाली और स्थान साफ करने वाली मशीनें खड़ी दिखती हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि तस्वीरों में दिख रही कॉलोनी में सौ से ज्यादा आवास के साथ ही दूसरी दफ्तरी इमारतें बनती देखी जा सकती हैं। यहां मैदान भी दिखते हैं जहां हो सकता है आगे कभी पार्क या अन्य फेसिलिटीज बनाई जाएं।


लद्दाख के पास भारत—चीन के बीच तनाव के ठिकाने पैगोंग त्सो झील के आसपास के ताजा उपग्रह चित्रों ने एक बार फिर चीन की चालाकियों का खुलासा किया है। इन चित्रों ने दिखाया है कि इस झील के पास चीन एक रिहायशी कॉलोनी बना रहा है। पता चला है कि गत अप्रैल माह में पास की एक नदी से सटकर इस कॉलोनी पर निर्माण का काम शुरू किया गया था जो लगातार जारी है।

हैरानी की बात है कि भारत के साथ चीन जहां सीमा विवाद ‘सुलझाने’ के लिए कई दौर की वार्ता चलाए हुए है वहीं दूसरी ओर वह भारत के विरुद्ध एक गहरा षड्यंत्र भी रच रहा है। सीमा पर तनाव को दूर करने के बारे में चीनी नेता बीच—बीच में बयान भी देते रहते हैं कि भारत से इस संबंध में सराहनीय सहयोग मिल रहा है और दोनों पक्ष सीमा विवाद खत्म करने के लिए ‘गंभीरता से प्रयास’ कर रहे हैं।

दूसरी तरफ ये ताजा उपग्रह चित्र हैं जो विस्तारवादी चीन की कलई खोल रहे हैं। जून 2020 में इसी पैंगोंग त्सो झील के पास बड़ी संख्या में चीनी सेना के जवान भारत के अंदर घुस आए थे और उस जगह को ‘अपना इलाका’ बताने लगे थे। इसी झील के उत्तर में यह रिहायशी कॉलोनी बनाई जा रही है। उपग्रह तस्वीरें बताती हैं कि कॉलोनी काफी सघन है।

पैगोंग झील दुनिया में सबसे ऊंचाई पर स्थित खारे पानी की झील मानी जाती है। इसी झील के आसपास के इलाके को चीन अपने अधिकार के लिए जा चुके तिब्बत से जुड़ा बताता है। इस सीमा को लेकर ही दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की वार्ता चल रही है। बताया जा रहा है कि अभी 6 दिन पहले ही अमेरिका के ‘मैक्सार टेक्नोलॉजीज’ ने ये उपग्रह तस्वीरें ली हैं। तस्वीरों में दिखता है कि करीब 17 हेक्टेयर का क्षेत्र ऐसा है जहां यह कॉलोनी बनाने का काम बहुत तेजी से चल रहा है।

अरुणाचल प्रदेश सीमा के पास ऐसे निर्माण और संचार सुविधाएं खड़ी किए जाने की जानकारी उपग्रह चित्रों से मिलती रही है

यह जगह 4,347 मीटर की ऊंचाई पर है। पास से येमागो मार्ग गुजर रहा है। यहां चारों तरफ इमारतों को बनाने वाली और स्थान साफ करने वाली मशीनें खड़ी दिखती हैं। एक रिपोर्ट बताती है कि तस्वीरों में दिख रही कॉलोनी में सौ से ज्यादा आवास के साथ ही दूसरी दफ्तरी इमारतें बनती देखी जा सकती हैं। यहां मैदान भी दिखते हैं जहां हो सकता है आगे कभी पार्क या अन्य फेसिलिटीज बनाई जाएं।

इतना ही नहीं, यहां एक लंबी खुली पट्टी नुमा जगह दिखती है जो शायद हेलीकॉप्टरों को उतारने या उड़ाने में काम आती है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि इस जगह पर निर्माण गत अप्रैल महीने में शुरू हुआ था। कुछ सूत्रों के अनुसार, कॉलोनी में रिहायशी और प्रशासन से जुड़ी इमारतें हैं। यानी कॉलोनी के दो हिस्से हैं, एक रहने वाला और एक प्रशासन के काम वाला।

इन इमारतों में से कुूछ एक मंजिल की हैं तो कुछ दो मंजिल की हैं। इनके आसपास करीब आठ लोगों के रहने लायक कुछ हटमेंट्स बनाए हुए हैं। वहीं दो बड़े ढांचे भी दिखते हैं जिनमें शायद निर्माण सामग्री रखी जाती हो।

इस कॉलोनी के आसपास पहाड़ों की ऊंची चोटियां हैं जिनकी तलहटी में मौजूद यह निर्माणाधीन कॉलोनी आमतौर पर नजरों से दूर रहेगी। इसलिए एक संभावना यह भी है कि इसे सेना के एक आधार के तौर पर इस्तेमाल किया जाए। हो सकता है यहां स्थायी रूप से सैन्य टुकड़ी भी तैनात की जा सकती है जो युद्ध की स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया कर सकती है।

पहले भी चीन के द्वारा तिब्बत और लद्दाख सहित अरुणाचल प्रदेश सीमा के पास ऐसे निर्माण और संचार सुविधाएं खड़ी किए जाने की जानकारी उपग्रह चित्रों से मिलती रही है। भारत के रक्षा विशेषज्ञ भी जानते हैं कि चीन की किसी बात का भरोसा नहीं किया जा सकता। सीमा विवाद पर वार्ताएं अपनी जगह हैं लेकिन सतर्कता अपनी जगह है। भारत के सैन्य गुप्तचरी संस्थान इस तरफ नजर रख ही रहे होंगे।

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