हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के परिणामों ने न केवल राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया। जिन नेताओं ने अपने क्षेत्रों में चुनाव जीतने के बाद विभिन्न सामाजिक सेवाओं की शुरुआत की थी, उन्होंने चुनाव हारते ही अपनी ये सेवाएं बंद कर दीं। इनमें तीन पूर्व विधायकों की मुफ्त बस सेवा और पांच रुपए में मिलने वाली रसोई भी शामिल है, जो अब बंद हो चुकी है।
बलराज कुंडू: महम की बेटियों की फ्री बस सेवा बंद
हरियाणा जन सेवक पार्टी के प्रमुख और महम से पूर्व विधायक बलराज कुंडू, जिन्होंने 2014 में महम विधानसभा क्षेत्र की 1,800 छात्राओं को रोहतक तक मुफ्त बस सेवा प्रदान की थी, चुनाव हारने के बाद इस सेवा को बंद कर दिया है। चुनावी पराजय के बाद उनके समर्थकों ने उनके कार्यालय में मांग उठाई कि जिन लोगों ने इस सेवा का लाभ लिया, उन्होंने चुनाव में कुंडू का समर्थन नहीं किया। इस कारण अब बसों का संचालन रोक दिया गया है।
कुंडू ने यह स्वीकार किया कि उन्हें अपने कार्यकर्ताओं के दबाव के कारण यह कदम उठाना पड़ा, हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वह अन्य विधानसभा क्षेत्रों में बसें चलाने के लिए तैयार हैं। उनका मानना है कि मौजूदा विधायक को इस जिम्मेदारी को संभालना चाहिए। उन्होंने यह भी घोषणा की कि अगला चुनाव वह दीपेंद्र हुड्डा के खिलाफ लड़ेंगे, जो हरियाणा के बड़े नेताओं में से एक हैं।
धर्म सिंह छौक्कर: बस सेवा और रसोई पर ताला
समालखा से पूर्व कांग्रेस विधायक धर्म सिंह छौक्कर ने अपने निर्वाचन क्षेत्र के छात्राओं और मरीजों के लिए मुफ्त बस सेवा शुरू की थी। बापौली और समालखा से पानीपत तक चलने वाली इन बसों का उद्देश्य था छात्राओं को कॉलेज पहुंचाना और मरीजों को खानपुर मेडिकल कॉलेज तक ले जाना। लेकिन चुनाव हारने के बाद उन्होंने दोबारा इन बसों को नहीं चलाया।
इसके साथ ही, छौक्कर ने अपने निर्वाचन क्षेत्र में 5 रुपये में भरपेट भोजन उपलब्ध कराने वाली रसोई भी शुरू की थी, जो गरीबों और मजदूर वर्ग के लिए राहत का बड़ा साधन थी। लेकिन चुनाव के बाद, इस रसोई पर भी ताला लग चुका है। यह रसोई लाडवा में चल रही थी, जहां प्रतिदिन 300 लोग भोजन करते थे। यह सेवाएं छौक्कर की सामाजिक सेवा का प्रमुख हिस्सा थीं, लेकिन अब इनका बंद हो जाना स्थानीय लोगों के लिए निराशाजनक है।
रविंद्र मच्छरौली धार्मिक यात्राओं की बस सेवा बंद
समालखा से निर्दलीय उम्मीदवार और पूर्व विधायक रविंद्र मच्छरौली, जिन्होंने चुनाव से छह महीने पहले हरिद्वार और वृंदावन के लिए मुफ्त बस सेवा शुरू की थी, उन्होंने चुनाव हारने के बाद इस सेवा को फिर से शुरू नहीं किया। यह बस सेवा धार्मिक यात्राओं के लिए थी, जो उनके क्षेत्र के लोगों के बीच खासा लोकप्रिय थी। लेकिन जैसे ही चुनाव परिणाम आए, इन सेवाओं को बंद कर दिया गया।
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