रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विजयादशमी के अवसर पर दार्जिलिंग के सुकना छावनी में सेना के जवानों को संबोधित करते हुए पड़ोसी मुल्कों से संभावित हमलों की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि मौजूदा वैश्विक और क्षेत्रीय परिस्थितियों को देखते हुए पड़ोसी देशों की ओर से किसी भी समय कोई कदम उठाया जा सकता है। इसलिए सेना को हर स्थिति के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहिए। यह बयान रक्षा मंत्री ने ‘शस्त्र पूजा’ के दौरान दिया, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति सतर्कता और जिम्मेदारी का प्रतीक है।
राजनाथ सिंह ने अपने भाषण में जोर दिया कि वर्तमान वैश्विक परिदृश्य को देखते हुए भारतीय सेना को अपनी तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़नी चाहिए। उन्होंने कहा, “हम किसी भी स्थिति और विकल्प के लिए सक्रिय रूप से तैयार रहें। यह समय की मांग है कि हम पूरी तरह सतर्क रहें। ‘शस्त्र पूजा’ इस बात का प्रतीक है कि आवश्यकता पड़ने पर हम अपनी ताकत का पूरा उपयोग करेंगे।”
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि भारत ने कभी भी किसी देश के खिलाफ नफरत या अवमानना से प्रेरित होकर युद्ध नहीं छेड़ा है। भारतीय मूल्यों में हमेशा शांति और भाईचारे को महत्व दिया गया है, लेकिन अगर देश के हितों पर कोई खतरा आता है तो भारत कोई बड़ा कदम उठाने से नहीं हिचकेगा। राजनाथ सिंह का यह बयान भारत और उसके पड़ोसी देशों के बीच चल रहे तनाव के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण है, खासकर चीन के साथ सीमा पर हो रहे गतिरोध को देखते हुए।
सुकना छावनी में शस्त्र पूजा के बाद, राजनाथ सिंह ने सेना कमांडरों के सम्मेलन 2024 को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया। इस सम्मेलन में सीमा सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों पर गहन चर्चा की गई, जिसमें वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश की संवेदनशील स्थिति पर विशेष ध्यान दिया गया। राजनाथ सिंह ने कहा कि हमें अपने सुरक्षा उपायों को सुदृढ़ करना होगा ताकि किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके।
भारत और चीन के बीच सीमा पर हो रहे नियमित टकरावों पर चर्चा करते हुए, राजनाथ सिंह ने यह सुनिश्चित करने की बात कही कि हमारी सेना किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने के लिए तैयार है। भारतीय सेना की भूमिका और तैयारियों को और मजबूत करने के लिए यह सम्मेलन दो चरणों में आयोजित किया जा रहा है। पहला चरण 10-11 अक्टूबर को गंगटोक में आयोजित किया गया, जबकि दूसरा चरण 28-29 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित किया जाएगा। इस सम्मेलन में भारतीय सेना की रणनीति और सीमा पर सुरक्षा प्रबंधन को लेकर व्यापक विचार-विमर्श किया जाएगा।
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