राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने केरल विधानसभा में त्रिशूर पुरम अशांति को लेकर लगाए गए आरोपों पर कड़ी आपत्ति जताई है। संघ ने कहा कि सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोप न केवल निराधार हैं, बल्कि निंदनीय भी हैं। आरएसएस ने इन आरोपों को लेकर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी है और कहा है कि त्रिशूर पुरम में हुई भगदड़ के पीछे संघ का कोई हाथ नहीं है।
त्रिशूर पुरम, केरल के त्रिशूर जिले में स्थित वडक्कुनाथन मंदिर में हर साल आयोजित होने वाला एक वार्षिक हिंदू उत्सव है। यह उत्सव पारंपरिक अनुष्ठानों और शानदार शोभायात्राओं के लिए जाना जाता है, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। इस वर्ष अप्रैल में आयोजित महोत्सव में भगदड़ मची थी।।
संघ का विरोध
विपक्षी दल यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस घटना की जानकारी पहले से थी, लेकिन उन्होंने कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया। सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है और कहा कि मामले की व्यापक जांच पहले से चल रही है, और इस मामले में किसी न्यायिक जांच की आवश्यकता नहीं है।
आरएसएस की प्रतिक्रिया और कानूनी कार्रवाई की चेतावनी
आरएसएस के वरिष्ठ नेता और उत्तर केरल के प्रांत कार्यवाह एन. ईश्वरन ने इस पूरे विवाद को “दुर्भावनापूर्ण” बताया और कहा कि संघ का नाम बेवजह राजनीतिक लाभ के लिए घसीटा जा रहा है। ईश्वरन ने स्पष्ट किया कि आरएसएस का त्रिशूर पुरम जैसे त्योहारों में हस्तक्षेप करने में कोई रुचि नहीं है।
ईश्वरन ने यह भी बताया कि आरएसएस के नेता जल्द ही राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और विधानसभा अध्यक्ष ए. एन. शमशीर से मुलाकात करेंगे ताकि इस मामले में उचित कार्रवाई की जा सके। उन्होंने कहा, “यह बिल्कुल अस्वीकार्य है कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोग सदन के अंदर और बाहर निराधार आरोप लगा रहे हैं। संघ ऐसे राजनीतिक विवादों में हस्तक्षेप नहीं करता और इन आरोपों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटेगा।”
विवाद के पीछे की मंशा
एन ईश्वरन ने कहा कि ये आरोप जानबूझकर लगाए जा रहे हैं ताकि केरल के प्रतिष्ठित त्योहारों जैसे त्रिशूर पुरम और सबरीमाला तीर्थयात्रा के दौरान तनाव और विवाद पैदा किया जा सके।
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