विश्व

पैंगबर का ‘अपमान’, मुफ्ती हलकान

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विजय मनोहर तिवारी

कोई पैगंबर को अनपढ़ कैसे कह सकता है और वह भी कोई मुस्लिम? लेकिन पाकिस्तानी मुफ्ती तारिक मसूद ने ऐसा ही कहा है। फिलहाल वह कनाडा की सैर पर है। वहीं एक तकरीर में उसने नबी की पढ़ाई-लिखाई, कुरान के लेखन में मनमानी पर कुछ बातें कहीं। इसके चलते पाकिस्तान में सिर कलम करने की चाह रखने वालों की उन्मादी भीड़ को काम मिल गया है। वे अपने इसी प्रसिद्ध मुफ्ती का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि मुफ्ती ने कहा है, ‘‘मुझसे गलती जरूर हुई है मगर वह गुस्ताखी नहीं है।’’ लेकिन मजहबी उन्मादी नबी के नाम पर गलती और गुस्ताखी में कहां फर्क करते हैं। पाकिस्तान में स्थित मदरसों में तालीम लेकर बड़े हुए ये कट्टरपंथी पहले भी नबी की शान में गुस्ताखी पर कितनी ही बार ‘मॉब लिंचिंग’ कर चुके हैं। पाकिस्तान में हुई ऐसी दर्जनों घटनाएं इंटरनेट पर मौजूद हैं जिसमें उन्मादी भीड़ ने ईशनिंदा के नाम पर कितने ही लोगों को बीच सड़क पर बर्बरता से मार दिया।

इस्लामी जगत में इन दिनों भारी हलचल है। कुछ न कुछ ऐसा घट रहा है, जो सब दूर प्रसारित हो रहा है। ये मामूली घटनाएं या खबरें नहीं हैं। ये ऐसी हलचल भी नहीं है कि जिसे एक खबर के रूप में पढ़कर आप आगे बढ़ जाएं। मीडिया और दुनिया का ध्यान आकर्षित करने वाली खबरों का इतना ही घनत्व न ईसाई जगत से आ रहा है और न बौद्ध जगत से, जिनके अपनी बहुसंख्यक आबादी के कई मुल्क हैं। वहां सब कुछ सामान्य है, लेकिन इस्लामी दुनिया में ऐसा नहीं है।

सुर्खियों में है मुफ्ती

पाकिस्तान में नामी-गिरामी मुफ्ती तारिक मसूद हलकान है। 49 वर्षीय मुफ्ती पाकिस्तान के कराची में स्थित जामिया तूर रशीद मदरसे से जुड़ा देवबंदी फिरके का इस्लामी जानकार बताया जाता है। यूट्यूब पर उसके 47 लाख फॉलोअर्स हैं। दस बरस पहले उसने एक वीडियो में खुलेआम फतवा दिया था, ‘‘अगर कोई अपने कानों से यह सुन भर ले कि किसी ने रसूल की शान में गुस्ताखी की है तो उसे किसी अदालत में जाने की जरूरत नहीं है, उसे वहीं उस गुस्ताखी की सजा दें। गुनहगार को फौरन कत्ल कर दें। मैं बड़ी जिम्मेदारी से यह कह रहा हूं कि रसूल की शान में गुस्ताखी करने वाले को वहीं कत्ल करें।” मुफ्ती के ये शब्द रिकॉर्ड पर हैं। अब मुफ्ती अपनी गलती को कबूल कर रहा है और माफी पर माफी मांगे जा रहा है।’’

वीडियो हुआ वायरल

तकरीर का वह हिस्सा पूरी दुनिया में वायरल हो गया है, जिसमें तारिक मसूद इस्लाम ने साफ-साफ कहा है, ‘‘रसूल लिखना-पढ़ना नहीं जानते थे। कुरान की आयतें कोई और ही लिख रहा था और इस कारण उसमें वर्तनी की गलतियां छूट गईं। आयतें रसूल लिखवाते थे और उनके दाहिने हाथ ने कभी कुछ लिखा तक नहीं था। वे अपना ही लिखवाया हुआ खुद पढ़ तक नहीं सकते थे। कुरान में वे गलतियां स्थाई रूप से छूट गईं, जिन्हें सुधारा नहीं गया।’’

यह वीडियो जैसे ही प्रसारित हुआ, हंगामा मच गया। कोई पैगंबर को अनपढ़ कैसे कह सकता है? अब तारिक मसूद की जान के लाले पड़े हैं। वह माफी मांग रहा है और उस घड़ी को कोस रहा है जब उसने कनाडा में ‘दीन की दावतों’ के लिए जाना कबूल किया। अब वह कह रहा है कि कुरान किसी वर्तनी की मोहताज नहीं है। मुझसे गलती जरूर हुई है मगर वह गुस्ताखी नहीं है। लेकिन पाकिस्तान के उन्मादी लोग गलती और गुस्ताखी में फर्क करना नहीं जानते। वे शब्दों के इस खेल से बिल्कुल बेखबर हैं और मुफ्ती की वापसी का इंतजार कर रहे हैं। मामला रसूल की शान में गुस्ताखी का बन चुका है।

सोशल मीडिया पर है बेहद सक्रिय

तारिक मसूद पाकिस्तान के लोकप्रिय मुफ्तियों में से एक है। वह सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय है। वह तीन निकाह कर चुका है। उसकी कई तकरीरें बेहद लोकप्रिय हैं। जैसे, वह इस्लामी कायदों के अनुसार चार निकाह करने के कई फायदे बताता है। यह तकरीर पाकिस्तान में बेहद प्रसिद्ध है। चार निकाह करने को लेकर उसकी किताब भी है। लेकिन कनाडा की तकरीर कट्टरपंथियों के लिए इस्लाम की तौहीन बन गई है। हालांकि नबी की शिक्षा-दीक्षा पर ऐसा बोलने वालों में वह अकेला नहीं है। और भी कई ऐसे वीडियो हैं, जिनमें ‘आलिमों’ ने पैगंबर की पढ़ाई-लिखाई पर खुलकर कहा है ।

मुफ्ती की तकरीर में दिए गए तथ्यों पर मेलबार्न में बसे युवा इस्लामी जानकार हारिस सुलतान हदीसों के हवाले से किसी साद नाम के शख्स का जिक्र करता है जो पैगंबर (जो स्वयं लिख-पढ़ नहीं सकते थे) के कहे मुताबिक आयत दर्ज किया करता था। बीच-बीच में वह कई बार अपने सुझाव और सलाह भी दे दिया करता था जिसे दर्ज करने की हामी पैगंबर भरते थे। साद ने सोचा कि अगर यह अल्लाह का कलाम है तो नबी उसे ऐसी आजादी कैसे दे सकते हैं कि वह अपनी मर्जी से कुछ भी दर्ज कर दे। ऐसा कहते हैं कि यह सब देखकर साद का इस्लाम से तभी मोहभंग हो गया और वह भाग निकला। यह मामला गुस्ताखी माना गया। उसे पकड़कर लाया गया। पैगंबर के एक भरोसेमंद व्यक्ति ने उसे माफी देने को कहा था। हारिस सुलतान कहता है, ‘‘यह सुनकर नबी ने मुंह फेर लिया था। यानी वे माफी के लिए तैयार नहीं थे। जब वह चला गया तो नबी ने अपने आसपास मौजूद अपने करीबियों से कहा कि उसका सिर कलम क्यों नहीं किया गया?’’

पहले भी मारे गए हैं कई लोग

नबी की शान में ‘गुस्ताखी’ की सजा का सिलसिला पाकिस्तान में रोजमर्रा की बात हो चली है। कुछ ही दिन पहले सिंध में उमरकोट के एक मुस्लिम डॉक्टर शाहनवाज कंबर की एक फेसबुक पोस्ट नबी की शान में गुस्ताखी का मोहरा बन गयी। जब उसका फेसबुक एकाउंट हैक हुआ था। वह लंबे समय से उस पर सक्रिय ही नहीं था। मदरसों में तैयार हुई उन्मादी भीड़ उसके खून की प्यासी हो गई। वह भागता फिरा। आखिरकार उसे पुलिस ने ही गोली मार दी। बावजूद इसके उन्मादी भीड़ शांत नहीं हुई। भीड़ ने बीच जनाजे में लाश छीनकर उसमें आग लगा दी।

एक हिंदू ड्राइवर प्रेमो कोहली ने अपनी जान पर खेलकर उस अभागे डॉक्टर की अधजली लाश को अपने कंधों पर उठाकर हिफाजत से निकाला ताकि ‘इस्लामी रीति-रिवाज’ से उसका कफन-दफन हो सके। इसके बाद पाकिस्तानी मीडिया और सोशल मीडिया पर उमरकोट का वह हिंदू ड्राइवर प्रेमो कोहली बड़ा प्रसिद्ध हुआ। उमरकोट पाकिस्तान के उन बचे-खुचे इलाकों में से है, जहां हिंदुओं की संख्या ठीकठाक है। वहां पर तेजी से घटती उनकी जनसंख्या के बावजूद हिंदू किसी तरह अपने अस्तित्व को बचाए हुए हैं।

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