उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच कुछ समय जून में ही पहले बात हुई थी और दोनों नेताओं ने रणनीतिक और सामरिक विषयों के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग की बात की थी। उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयोंग में दोनों नेताओं ने अपने हावभाव से निकटता का आभास देने की कोशिश की थी।
उत्तर कोरिया का तानाशाह हर उस काम को करने में दिलचस्पी लेता है जो खासकर अमेरिका को चुभता हो। शायद इसीलिए उसने रूस के पाले में खड़े होकर यूक्रेन पर गोले दागने की राह चुनी है। कारण यह कि तानाशाह किम जोंग के लिए अमेरिका और साउथ कोरिया उसके सबसे बड़े दुश्मन हैं। सब जानते हैं, अमेरिका यूक्रेन के पाले में खड़ा है और रूस को परास्त करने के सपने दे रहा है। इसीलिए उत्तर कोरिया का तानाशाह यूक्रेन के विरुद्ध अपने सैनिकों को मैदाने जंग में उतारे हुए है। यह बड़ा आरोप दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने लगाया है।
उल्लेखनीय है कि रूस—यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में ही यूक्रेन के सबसे बड़े सहयोगी देश अमेरिका ने रूस पर अनेक प्रतिबंध थोपे हुए हैं और राष्ट्रपति पुतिन को एक ‘हत्यारा’ माना है। लेकिन अमेरिका, ‘नाटो’ और अन्य पश्चिमी देशों के आर्थिक—सैन्य सहयोग के सामने रूस सीना ताने खड़ा है और हथियार डालने को तैयार नहीं है। यूक्रेन की उसके आगे ताकत कहीं कम है, लेकिन विशेष रूप से अमेरिका की मदद और उकसावे से राष्ट्रपति जेलेंस्की भी आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं।
ऐसे में उत्तर कोरिया ने संभवत: अपनी ओर से रूस के पाले में सैनिक भेजने को तैयार हुए होंगे। दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री के इस आरोप के पीछे उनकी ओर से तथ्य भी रखा गया है। उन्होंने यूक्रेन के ड्रोन हमले में मारे गए सैनिकों की सूची में छह सैनिक उत्तर कोरिया के बताए हैं। उनका कहना है कि इससे साफ पता चलता है कि उत्तर कोरिया के फौजी रूसी के सैनिकों के बीच खड़े यूक्रेन पर गोलियां दाग रहे हैं।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री किम योंग-ह्यून ने कल अपने साथी नेता के साथ बात करते हुए आगे कहा कि संभावना है कि अभी 3 अक्तूबर को दोनेत्सक में जो यूक्रेन का मिसाइल हमला हुआ था उसकी चपेट में उत्तर कोरिया के छह फौजी अफसर भी आए थे। और यह आकलन दक्षिण कोरिया का नहीं, बल्कि यूक्रेन के मीडिया में आई एक रिपोर्ट में लिखा था।
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग और रूस के राष्ट्रपति पुतिन के बीच कुछ समय जून में ही पहले बात हुई थी और दोनों नेताओं ने रणनीतिक और सामरिक विषयों के अलावा कई अन्य क्षेत्रों में सहयोग की बात की थी। उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयोंग में दोनों नेताओं ने अपने हावभाव से निकटता का आभास देने की कोशिश की थी। उत्तर कोरिया के तानाशाह को दक्षिण कोरिया फूटी आंख नहीं सुनाता, इसी प्रकार अमेरिका को भी वह दुश्मन नंबर एक बताता है।यह एक बड़ी वजह है यूक्रेन-रूस युद्ध उसके रूस के पाले में खड़े होने की।
रूस और यूक्रेन युद्ध के बीच रूस और चीन की निकटताओं में एक उभार देखने को मिला है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति पुतिन को अपने यहां बुलाकर खूब स्वागत—सत्कार किया। पुतिन ने भी शी को मास्को बुलाया था। रूस को अधिकांश नाटो देश अपना विरोधी मानने लगे हैं। रूस के साथ कारोबार के रास्ते अस्थायी रूप से बंद कर चुके हैं। ऐसे में युद्ध का जहां तक सवाल है तो दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्री का बयान आश्चर्यजनक नहीं है।
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