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बांग्लादेश : 9 सदस्यीय संविधान सुधार आयोग गठित

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Parul

बांग्लादेश ने अपने लोकतंत्र को सुधारने के लिए कदम उठाया है। अंतरिम सरकार ने हाल ही में एक नौ-सदस्यीय संविधान सुधार आयोग की स्थापना की है। यह आयोग बांग्लादेश के संविधान का गहराई से अध्ययन करेगा और इसे बेहतर बनाने के लिए सुझाव देगा।

इस आयोग का नेतृत्व प्रोफेसर अली रियाज करेंगे। वह बांग्लादेशी-अमेरिकी विद्वान हैं। यह आयोग 90 दिनों में अपने सुझावों के साथ एक रिपोर्ट तैयार करेगा। यह रिपोर्ट सरकार का भविष्य में आवश्यक बदलावों के लिए मार्गदर्शन करेगी।

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आयोग का उद्देश्य

इस आयोग का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बांग्लादेश में एक निष्पक्ष और प्रभावी लोकतंत्र हो। सभी लोगों की आवाज सुनी जाए और हर कोई सशक्त महसूस करे। आयोग विभिन्न सामाजिक समूहों से राय इकट्ठा करेगा। जिससे उनकी सुझाव विभिन्न दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व कर सकें।

सदस्यों की सूची
आयोग में विभिन्न विशेषज्ञ और प्रतिनिधि शामिल हैं। महफुज आलम एक छात्र प्रतिनिधि हैं और मुख्य सलाहकार मुहम्मद युनुस के विशेष सहायक हैं। वे बांग्लादेश में हाल ही में हुए छात्र आंदोलन के महत्वपूर्ण नेता माने जाते हैं। प्रोफेसर सुमैया खैर और मुहम्मद इक़रामुल हक दोनों ढाका विश्वविद्यालय के विधि विभाग से जुड़े हुए हैं। बैरिस्टर इमरान सिद्दीक और बैरिस्टर एम मोइन आलम फे़रोज़ी कानूनी विशेषज्ञ हैं। अधिवक्ता डॉ. शरीफ भुइयां सुप्रीम कोर्ट के वकील हैं। फिरोज़ अहमद एक लेखक हैं।एमडी मुस्तैन बिल्लाह एक लेखक और मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं। यह आयोग विभिन्न दृष्टिकोणों और विशेषज्ञता को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है। सभी सदस्य मिलकर बांग्लादेश के संविधान को सुधारने और लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए काम करेंगे।

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पृष्ठभूमि
संविधान सुधार आयोग अगले तीन महीनों में वर्तमान संविधान की समीक्षा करेगा। वे लोगों की राय सुनेंगे और ऐसे सुझाव तैयार करेंगे जो बांग्लादेश में अधिक समावेशी लोकतंत्र बनाने में मदद कर सकें। जब उनकी रिपोर्ट तैयार होगी तो इसे सरकार को विचार करने के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।

पिछले महीने मुहम्मद युनुस ने छह नए आयोगों के गठन की घोषणा की। जिनका उद्देश्य न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली, प्रशासन, पुलिस और भ्रष्टाचार विरोधी उपायों में सुधार करना है। ये सुधार इस लिए जरूरी हैं ताकि तानाशाही की वापसी को रोका जा सके। 8 अगस्त को मुहम्मद युनुस ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार के रुप में पदभार संभाला। बंग्लादेश में विवादास्पद नौकरी कोटा प्रणाली के खिलाफ प्रदर्शन के चलते शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। जिसके बाद वह भारत चली गईं।

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