भारत का ‘वांटेड’ उन्मादी जाकिर नाइक जिन्ना के उस देश में करीब 25 दिन तक कई शहरों में जाकर वहां पहले से मदरसा छाप नफरती तालीम पढ़े मुसलमानों के बीच यह जिहादी जहर उगलने वाला है, इसी के लिए उसे बुलाया भी गया है। इसके लिए उसने आड़ ली है ‘इस्लाम के प्रसार’ की।
जिन्ना के देश में अगर सरकारी मेहमान कट्टररपंथी जाकिर नाइक जैसे हों, तो उस देश की बुद्धि पर तरस ही खाया जा सकता है। ‘इस्लाम के प्रसार’ के नाम पर दुनियाभर में मुसलामनों को गैर मुसलमानों के प्रति भड़काने वाला यह इस्लामवादी इन दिनों भारत के पड़ोस में भारत और गैरमुसलमानों के विरुद्ध वहां के उन्मादियों में और जहर घोल रहा है। भारत सरकार ने इसे भगोड़ा अपराधी घोषित किया हुआ। अपने कार्यक्रम में इसी जाकिर ने कहा कि इस्लाम की सरकार के तहत रह रहे गैर मुसलमान अगर कन्वर्ट नहीं होते तो उन्हें जजिया देना चाहिए।
शाहबाज शरीफ सरकार के बुलावे पर सरकारी मेहमान बनकर जगह जगह कट्टरपंथी भावनाएं भड़का रहा जाकिर कल एक कार्यक्रम में बोलता है कि गैर मुसलमान मुस्लिम हुकूमत में अपने को ‘पनाह’ में मानकर जजिया चुकाएं, इसमें कोई हर्ज नहीं है।
भारत का ‘वांटेड’ उन्मादी जाकिर नाइक जिन्ना के उस देश में करीब 25 दिन तक कई शहरों में जाकर वहां पहले से मदरसा छाप नफरती तालीम पढ़े मुसलमानों के बीच यह जिहादी जहर उगलने वाला है, इसी के लिए उसे बुलाया भी गया है। इसके लिए उसने आड़ ली है ‘इस्लाम के प्रसार’ की।
हुआ यूं कि कल जाकिर एक कार्यक्रम में बोल रहा था। वहां पर एक ईसाई आदमी भी मौजूद था। सवाल—जवाब के क्रम में उसने जाकिर से सवाल किया कि ईसाइयों से पाकिस्तान में नफरत करने के पीछे क्या वजह है? उसने कहा कि ‘कुरान में तो पैगम्बर मोहम्मद ने खुद कहा है कि किसी से नफरत मत करो। फिर इस बात को पाकिस्तान में मुसलमान मानते क्यों नहीं?
उस ईसाई पाकिस्तानी के इस सवाल पर उन्मादी जाकिर बोलता है कि ‘इतिहास पढ़ो तो पता चलेगा कि इस्लामी हुकूमत गैर मुसलमान को सबसे ज्यादा सुरक्षा दी जाती रही है।’ जाकिर ने आगे कहा कि ‘इसके पीछे वजह है इस्लाम का वह नियम कि अगर गैर मुसलमान इस्लाम को कबूल कर लेता है तो बहुत अच्छा, अगर नहीं करता तो अपनी हिफाजत के लिए जजिया चुकाए। और जजिया भी बहुत ज्यादा नहीं होता, यह इनकम टैक्स तो कहीं कम होता है।’
आगे वह इस्लामी उन्मादी बताने लगा कि ‘जजिया का मतलब है कि इस्लामी हुकूमत में कोई इस्लाम न कबूल करने वाला उस हुकूमत से एक प्रकार से पनाह ही मांग रहा होता है। जजिया कर चुका कर पनाह मिलती है। अगर कोई जजिया चुकाता है तो इस्लामी देश उसकी हिफाजत करने के लिए पाबंद हो जाता है।’
जहरीला जाकिर एक प्रकार से शब्दों को घुमा—फिराकर यही कह रहा है कि अगर गैर मुसलमान को किसी इस्लामी देश में रहना है तो जजिया चुकाए या फिर अपनी सुरक्षा की मांग न करे।
अपनी तकरीर में बेवजह भारत का उल्लेख करते हुए उसने कहा कि ‘भारत में मुस्लिमों को सताया जाता है। उसके हिसाब से मलेशिया में 6 प्रतिशत हिन्दुओं के साथ वहां की सरकार अच्छे से पेश आती है, उन्हें पूरे हक मिले हुए हैं। लेकिन भारत में रह रहे 14 प्रतिशत मुसलमानों के साथ वहां की सरकार कैसा बर्ताव करती है?’
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