भारत में ही इस्लामिक कट्टरपंथ नहीं है, ये दुनिया के अधिकतर देशों में नासूर बना हुआ है। दुनिया के सबसे ताकतवर कहे जाने वाले देश अमेरिका में भी यही हाल है। ताजा मामला पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से जुड़ा हुआ है, जहां अमेरिका में 25 इस्लामिक मौलवियों ने एकजुट होकर मुसलमानों से ट्रंप को हराने की अपील की। इसके साथ ही इन मुस्लिमों राष्ट्रपति चुनाव में कमला हैरिस को जिताने की भी अपील की।
इन मौलवियों ने एक खुला पत्र अमेरिकी मुसलमानों को लिखा है, जिसमें अमेरिकी मुसलमानों से व्यापक तस्वीर पर विचार करके वोट डालने की सलाह दी गई है। पत्र के जरिए मौलवियों ने 7 अक्तूबर को गाजा युद्ध की त्रासदी करार दिया और कहा कि वे गाजा और लेबनान में हो रहे हमलों से आहत महसूस कर रहे हैं। इस्लामिक मौलानाओं गाजा में चल रहे युद्ध को नरसंहार करार देते हुए इसका विरोध किया। उसे मानवता और न्याय पर हमला माना।
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पत्र में तर्क देते हुए 25 मौलवियों ने दावा किया कि पैगंबर मुहम्मद ने उन्हें क्रोधित होने से बचने का ज्ञान दिया है। डोनाल्ड ट्रंप पर निशाना साधते हुए मौलवियों ने जोर देकर कहा कि जरूरी नहीं कि जो लोकप्रिय हो वह हमेशा सही ही हो, और सही है वो हमेशा लोकप्रिय नहीं होता। हम सभी को वर्तमान को छोड़कर भविष्य की तरफ देखते हुए रणनीतिक और तर्क संगत होने की जरूरत है। ये आवश्यक है कि हम ऐसे नेताओं का चयन करें, जो कि पूर्ण यु,द्ध विराम, स्वतंत्र फिलिस्तीन और हमारे समुदाय के साथ खड़े होने के लिए तैयार रहें।
मौलवियों का तर्क है कि वे अपने देश और विदेशों में मुसलमानों के हालातों को लेकर अपना मुंह नहीं मोड़ सकते। वे अमेरिकी नीतियों से ही प्रभावित हो रहे हैं।
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हमास के हमले का जिक्र तक नहीं
खास बात ये है कि इन कट्टरपंथी मुस्लिमों को इजरायल द्वारा हमास और हिजबुल्लाह पर हो रहे हमले तो दिखते हैं। लेकिन, बड़ी ही चालाकी से ये उस बात को दरकिनार कर जाते हैं, जिस कारण से इस युद्ध की शुरुआत हुई, जब 7 अक्तूबर 2023 को हमास से इस्लामिक आतंकियों ने इजरायल में घुसकर नरसंहार किया। उन आतंकियों ने तो महिलाओं और बच्चों तक को नहीं छोड़ा था। कई इजरायलियों को जिंदा जला दिया था। फिर भी ये मौलाना शांति की बात करते हैं।
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