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भारतीय सांस्कृतिक नवजागरण की पुरोधा हैं देवी अहिल्याबाई होल्कर : डा कृष्ण गोपाल

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डा समन्वय नंद

भुवनेश्वर ।  देवी अहिल्याबाई होल्कर ने अपना पूरा जीवन भारत के सांस्कृतिक उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। अहिल्याबाई होल्कर एक कुशल प्रशासक थीं। उन्होंने इंदौर को विश्व पटल पर स्थापित करने के साथ ही पूरे देश की संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन का काम किया। अहिल्याबाई के मन- मस्तिष्क  में हमेशा भारत बसता था। सही मायने में राष्ट्र क्या होता है, इसकी छवि हमें अहिल्याबाई होल्कर में दिखती है। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल ने कही। वे भारतीय शिक्षण मंडल, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा और जीएम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय, संबलपुर में भारतीय सांस्कृतिक एकीकरण  और वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे।

डॉ. कृष्ण गोपाल ने कहा कि अनेक व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने के बावजूद, वीरांगना अहिल्याबाई होल्कर अपनी प्रतिबद्धता में अडिग रहीं और एक प्रभावी प्रशासक, योद्धा और आर्थिक तथा सांस्कृतिक पुनर्जागरण की अग्रणी के रूप में ख्याति अर्जित की। उन्होंने आधुनिक समय में व्यापक भारतीयता के लिए काम किया। महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने धार्मिक और सांस्कृतिक पहलों के माध्यम से भारत को एकजुट करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया, उत्तर में बद्रीनाथ धाम से लेकर दक्षिण में रामेश्वरम तक 180 स्थानों पर सांस्कृतिक विकास परियोजनाएं शुरू कीं।

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उन्होंने कहा कि भारतीय दर्शन की तुलना पाश्चात्य दर्शन से नहीं की जा सकती। भारत में हम अपने राष्ट्र को भारत माता कहते हैं। भारत के विदुषी महिलाओं ने देश के उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। ऐतिहासिक रूप से आक्रमणकारियों ने महिलाओं पर विभिन्न अत्याचार किए तथा ब्रिटिश शासन ने न केवल भारत को बौद्धिक रूप से गुलाम बनाया, बल्कि इसके समृद्ध इतिहास को भी नष्ट कर दिया। डॉ. कृष्ण गोपाल ने इस बात पर जोर दिया कि अब समय आ गया है कि भारतीय तत्वज्ञान के प्रकाश में नये तरह से भारत का अनुशीलन किया जाए ।

कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय भाषण के दौरान पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर.पी. तिवारी ने सभी से साहसी महिला अहिल्याबाई होल्कर से प्रेरणा लेने तथा उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का आग्रह किया।

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प्रांत स्तरीय शोधार्थी सम्मेलन का आयोजन 

भारतीय शिक्षण मंडल, ओडिशा पश्चिम प्रांत, केंद्रीय विश्वविद्यालय ओडिशा, गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में जीएम विश्वविद्यालय परिसर में प्रांत स्तरीय शोधार्थी सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में मुख्य अतिथि के तौर पर पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. तिवारी उपस्थित थे, वहीं मुख्य वक्ता के तौर पर भारतीय शिक्षण मंडल के ब्रज प्रांत की अध्यक्ष डॉ. पूनम सिंह ने मंच पर उपस्थित थी ।  मुख्य वक्ता डॉ. पूनम सिंह ने कहा, हमे अपनी शिक्षा में भारतीयता का समावेश करना होगा। अगर हमे विश्वगुरु बनाना है तो शिक्षा का भारतीयकरण करना ही होगा। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. आर. के. तिवारी ने कहा, हम सभी भारतीय किसी न किसी कौशल में प्रवीण थे। यही कौशलता हमे आर्थिक, सामाजिक और बौद्धिक  तौर पर श्रेष्ठ बनाते थे। लेकिन पश्चिमीकरण ने हमारे कौशल को नष्ट करने का कार्य किया। विकास एवं अर्थव्यवस्था के सभी सकारात्मक सिद्धांत हमारे सनातनी परंपरा में उपलब्ध है। आज आवश्यकता है कि हम सब अपनी सनातनी परंपराओं का पालन करे। इस प्रकार से हम पुनः सामाजिक, आर्थिक एवं बौद्धिक तौर पर विश्वगुरु बन सकते हैं। भारतीय शिक्षण मंडल ने विकसित भारत थीम के अन्तर्गत विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों से शोध पत्र आमंत्रित किए थे जिनकी प्रस्तुति भी विशेषज्ञों के समक्ष हुई।

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भारतीय शिक्षण मंडल के ओडिशा पश्चिम प्रांत के कार्यालय का उद्घाटन

इससे पहले संबलपुर में भारतीय शिक्षण मंडल के पश्चिम प्रांत के कार्यालय का उद्घाटन वैदिक परंपराओं के साथ संपन्न हुआ। सुबह 8से 10 बजे के मध्य पूजा-पाठ एवं हवन कार्य हुआ। पूजा में यजमान के तौर पर आगरा विश्वविद्यालय की पूनम सिंह थी तथा संबलपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के स्थिति प्रोफ़ेसर डॉ. दयानिधि पाठक ने पुजारी के तौर पर पूजा-पाठ को संपन्न करवाया।

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