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मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में अधिक मतदान, हरियाणा अन्य राज्यों से पीछे नहीं

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WEB DESK and अभय कुमार

मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में उच्च मतदान प्रतिशत की परंपरा रही है। यह स्थानीय से लोकसभा तक के चुनावों में परिलक्षित होती दिखती है। वर्तमान में हुए हरियाणा विधानसभा चुनाव में मुस्लिम बहुल मेवात क्षेत्र में राज्य में सर्वाधिक मतदान हुआ। वर्तमान विधानसभा चुनाव में हरियाणा में लगभग 65.65 प्रतिशत मतदान हुया मगर मेवात क्षेत्र में लगभग 72 प्रतिशत मतदान देखा गया है।

कांग्रेस सहित कई दलों के नेताओं ने कई अवसरों पर मुस्लिमों से बड़ी संख्या में बढ़-चढ़कर मतदान की अपील कर चुके हैं। कांग्रेस के ऐसे नेताओं में शंकरसिंह वाघेला व कमलनाथ का नाम प्रमुख है। अन्य गैर भाजपा दलों के नेता भी अप्रत्यक्ष रूप से मुस्लिमों से बड़े पैमाने पर मतदान करने के लिए प्रेरित करते हैं।

अगर 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर गौर करें तो देखते हैं कि असामान्य रूप से इन सीटों पर उच्च मतदान प्रतिशत रहा है। लोकसभा चुनाव में विभिन्न राज्यों और सीटों पर उस राज्य के अनुसार अन्य सीटों के मुकाबले मुस्लिम बहुल सीटों पर अधिक मतदान एक परम्परा जैसा हो गया है। जहां तक वोटिंग पैटर्न का सवाल है तो इसमें कुछ भी अप्रत्याशित नहीं है।
लगभग पिछले तीन लोकसभा चुनाव में सामान रूप से मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर वोटिंग प्रतिशत अधिक रहा है।

असम की धुबरी लोकसभा सीट लगातार तीन लोकसभा चुनाव 2014 , 2019 व 2024 में मतदान प्रतिशत में शीर्ष पर रही है। 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में धुबरी सीट पर क्रमशः 88.36, 90.66 और 92.08 प्रतिशत मतदान हुआ। असम में धुबरी के अलावा, बारपेटा और नौगॉव अन्य सीटें हैं जहां मुस्लिम अधिक है। बारपेटा और नौगॉव लोकसभा सीटों पर भी उच्च मतदान प्रतिशत की अपनी परंपरा को कायम रही है। असम की अन्य सीटों के अपेक्षा इन मुस्लिम बहुल सीटों पर मतदान का प्रतिशत अधिक होना खास नहीं वरन आम बात हो चुकी है।

लक्षद्वीप लोकसभा सीट भी मुस्लिम बहुल है और इस सीट पर मतदान प्रतिशत लगभग हर बार की तरह 85 प्रतिशत रहा है। इस सीट ने इस बार भी अपना वोटिंग प्रतिशत बरकरार रखा। मुर्शिदाबाद उन सीटों में से एक है जो उच्च मुस्लिम बहुलता के लिए जानी जाती है। इस सीट पर उच्च मतदान प्रतिशत की परंपरा रही है। मालदाहा उत्तर और मालदाहा दक्षिण लोकसभा सीटों पर भी आमतौर पर मतदान प्रतिशत अधिक रहता है। पिछले चुनाव में इन सीटों पर हुए मतदान के मुकाबले इस बार इन सीटों पर वोटिंग प्रतिशत कम हुआ है, लेकिन फिर भी अन्य सीटों से ज्यादा है। पश्चिम बंगाल में भी मुस्लिम बहुल इलाकों में उच्च मतदान होता है।

मतदान का इतना अधिक प्रतिशत यह भी दर्शाता है कि इन सीटों पर मुस्लिम महिलाएं भी पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर मतदान प्रक्रिया में हिस्सा लेती हैं। असम में बारपेटा और धुबरी दोनों सीटों पर महिलाओं ने प्रतिशत के हिसाब से पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया। यह महिलाओं में मतदान के प्रति जागृति को दर्शाता है। महिला शिक्षा सामाजिक जागृति की कुंजी है और महिलाओं को शिक्षित और जागृत करके कई सामाजिक बुराइयों को ठीक किया जा सकता है।

परिसीमन के बाद से मुस्लिम बहुल सीटों पर लोकसभा चुनाव में  वोटिंग प्रतिशत

बिहार में सबसे अधिक मुस्लिम मतदाता किशनगंज सीट पर हैं और कई चुनावों में इस सीट पर राज्य में सबसे अधिक मतदान देखा गया है। बिहार में पूर्णिया, अररिया व अन्य मुस्लिम सीटें मतदान में आगे रही हैं। उत्तर प्रदेश में अमरोहा मुस्लिम बहुल सीटों में एक है। इस सीट पर 2019 में राज्य में सबसे अधिक मतदान हुआ था। हरियाणा के मेवात क्षेत्र की तरह अन्य राज्यों में भी मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में भी सामान्य से अधिक मतदान की परम्परा लम्बे समय से देखी जा रही है। अगर हम विधानसभा या लोकसभा सीट के चुनाव में मुस्लिम बहुल इलाकों में उस सीट के अन्य इलाकों से अधिक मतदान एक सामान्य प्रक्रिया है।

झारखंड में संथाल परगना में राजमहल लोकसभा की सीट मुस्लिम बहुल है, जिस पर विगत तीन लोकसभा चुनाव में राज्य के सामान्य मतदान से अमूमन 5 से 7 प्रतिशत अधिक मतदान देखा जा रहा हैं. राजमहल के ही जैसा मतदान का हाल अन्य मुस्लिम बाहुल्य सीट दुमका में भी देखा जा सकता है।

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