फ्रांस के भारत में राजदूत थियरी माथू ने हाल ही में दोनों देशों के बीच मजबूत होते रक्षा संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत और फ्रांस के बीच रक्षा के मामले में एक सच्ची रणनीतिक निकटता है।
माथू ने बताया कि दोनों देशों की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति में रणनीतिक स्वायत्तता का सिद्धांत महत्वपूर्ण है। यह स्वायत्तता अपने फैसले लेने और साझेदार चुनने की आजादी पर टिकी है।
2024 में भारत और फ्रांस के बीच कई बड़े सैन्य अभ्यास आयोजित किये जाएंगे। इनमें जमीन, हवा और समुद्र – तीनों सेनाओं के अभ्यास शामिल हैं।
इस साल जनवरी में दोनों देशों ने एक नया द्विपक्षीय रक्षा औद्योगिक रोडमैप भी तैयार किया। जिसका मकसद रक्षा उपकरणों के सह-डिजाइन, सह-विकास और सह-उत्पादन को प्राथमिकता देना है। उन्होंने कहा कि इस समझौते के बाद से दोनों देशों की रक्षा कंपनियां प्रगति कर रही हैं।
हाल ही में हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स और फ्रांस की सफर कंपनी के बीच एक नया समझौता हुआ है। ये दोनों मिलकर भारत के नए मल्टी-रोल हेलीकॉप्टर के लिए इंजन बनाएंगी। सफर कंपनी को भारत में 6ठी पीढ़ी के लड़ाकू विमान के इंजन बनाने के लिए भी सोचा जा रहा है।
माथू ने ‘एक्सरसाइज वरुण’ का भी जिक्र किया। जो हाल में फ्रांस के टूलोन में हुआ था। उन्होंने कहा, “हमारे पास एक अच्छी तरह से ज्ञात शस्त्रागार सहयोग है – भारतीय वायु सेना में पहला फ्रांसीसी मूल का लड़ाकू विमान 1953 में शामिल किया गया था। हाल ही में, भारतीय वायु सेना ने 36 राफेल विमानों का संचालन किया है और भारतीय नौसेना द्वारा स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का निर्माण किया गया है, जिनमें से अंतिम पनडुब्बी जल्द ही कमीशन की जाएगी। मैं यह भी बताना चाहूंगा कि हमारे अंतरिक्ष सहयोग ने CNES और ISRO के बीच पारंपरिक साझेदारी से हमारे अंतरिक्ष कमांडों के बीच सहयोग की ओर विस्तार किया है।”
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पिछले दिनों भारतीय नौसेना का आधुनिक फ्रिगेट आईएनएस तबर, जो कैप्टन एमआर हरिश के कमांड में फ्रांस गया था। वहां उसने 29 अगस्त से 1 सितंबर तक टूलोन का दौरा किया। फिर 2 से 4 सितंबर तक भूमध्य सागर में भारत-फ्रांस का संयुक्त अभ्यास ‘एक्सरसाइज वरुण’ में भाग लिया।
माथू ने यह भी बताया कि भारत और फ्रांस की रणनीतिक साझेदारी 1998 में शुरू हुई थी। तब से यह लगातार मजबूत हो रही है। उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की हाल की फ्रांस यात्रा का भी जिक्र किया। माथू ने कहा कि भारत और फ्रांस का रिश्ता सिर्फ रक्षा तक सीमित नहीं है। यह अंतरिक्ष, उद्योग, जलवायु परिवर्तन और संस्कृति जैसे कई क्षेत्रों में फैला हुआ है।
कुल मिलाकर, भारत और फ्रांस के रक्षा संबंध नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहे हैं। आने वाले समय में ये और मजबूत होंगे, ऐसी उम्मीद है। दोनों देशों के बीच बढ़ते सहयोग से क्षेत्रीय सुरक्षा को भी मजबूती मिलेगी। साथ ही इससे भारत की रक्षा तकनीक में भी सुधार होगा।
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