नवरात्रि: हिंदू संस्कृति के मूल में है जनजाति जवारे परंपरा
May 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • अधिक ⋮
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम संस्कृति

नवरात्रि: हिंदू संस्कृति के मूल में है जनजाति जवारे परंपरा

नवरात्रि में झाबुआ अंचल के विभिन्न गांवों में गरबा एवं जवारे की पंडाल देखने को मिलेंगे। यह एक सामाजिक समरसता का वनांचल क्षेत्र का बड़ा उदाहरण है।

by निलेश कटारा
Oct 3, 2024, 10:10 am IST
in संस्कृति
जवारे परंपरा

जवारे परंपरा

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

भारत की संस्कृति का हृदय स्थल है झाबुआ, जहां जनजाति संस्कृति की आत्मा बसती है। आज भी जनजाति समाज हिंदू संस्कृति के एक के भाव को समाहित कर मां भगवती की उपासना करते हैं। झाबुआ अपनी जनजाति संस्कृति की एक अलग ही पहचान रखता है। जनजाति संस्कृति के साथ-साथ वह अब धार्मिक संस्कृति में अपनी पहचान देश भर में बनाने लगा है। पहले झाबुआ के बारे में लोगों में विभिन्न प्रकार की गलत धारणाएं थीं, लेकिन झाबुआ ने उन धारणाओं को निर्मूल साबित कर दिया। नवरात्रि में झाबुआ अंचल के विभिन्न गांवों में गरबा एवं जवारे की पंडाल देखने को मिलेंगे। यह एक सामाजिक समरसता का वनांचल क्षेत्र का बड़ा उदाहरण है। वनांचल का क्षेत्र विश्व भर के सभी समाज के लिए प्रेरणा स्रोत है। अब यह जनजाति क्षेत्र की प्रमुख संस्कृति बन चुका है।

“इस धारा का केंद्र बिंदु हूं, हां मैं हिंदू हूं”

इस ध्येय वाक्य के साथ हम अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए नवदुर्गा कार्यक्रम में अपनी और अपने परिवार के सहभागिता हो। गांव में नवरात्रि में नवदुर्गा अर्चना के साथ-साथ जवारे डाले जाते हैं। जो जनजाति समाज के साधन व व्रत का सबसे बड़ा त्यौहार है। इस दौरान संपूर्ण समाज द्वारा स्थानीय देवी देवताओं की गीतों के माध्यम से उपासना की जाती है एवं प्रतिदिन व्रत रखा जाता है। जवारे का मतलब मिट्टी में जौ उगाने की परंपरा है। जवारे के बिना माता की पूजा अधूरी मानी जाती है। जौ नवरात्रि के पहले दिन से बाय जाते हैं एवं 9 दिन तक नित्य देवी मां की भीली भाषा में गीतों के माध्यम से आराधना की जाती है। यह अंचल की प्रमुख परंपरा है। नौ दिनों तक खान-पान पर विशेष नियंत्रण रखा जाता है। इस दौरान मांस, मछली, भिंडी, दही, बैंगन, गिलकी आदि का सेवन नहीं करते हैं। इस समय सात्विक और शुद्ध आहार ग्रहण करते है। साथ ही में इस समय का ब्रह्मचर्य का नियंत्रण भी लागू होता है। जवारे में मां स्वयं विराजमान होती हैं। इस समय जवारे की पूजा शांति श्रद्धा एवं प्रेम के साथ की जाती है। जवारे के समय सूर्य उदय के साथ ही स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहने जाते हैं। नौ दिन तक इस साधना में बाल दाढ़ी और नाखून भी नहीं काटे जाते हैं। नवरात्रि में जहां पर जवारे डाले जाते हैं, उस स्थान पर जमीन पर सोना होता है। इस अंचल में ऐसे कई प्राचीन धरोहर हैं, जहां समाज पूजा अर्चना करता है।

इस अंचल के प्रमुख तीर्थ स्थल बाबा देव डूंगर, नंदर माता, बाबा कोकिंदा देव, बाबा कासूमोर देव बाबा घोडदेव, बाबा हुआ देव, लालबाई, फूलबाई, सावन माता, भेरुजी खेड़ापति बाबा देव, भोला ईश्वर, राम लक्ष्मण, हनुमान जोधा वीर, झाबुआंचल के प्रमुख पूजनीय देव और ईश्वर हैं। नवरात्रि के समय इन सभी स्थानों पर विभिन्न प्रकार के धार्मिक कार्यक्रम होते हैं और सनातन परंपरा का निर्वहन किया जाता है। जनजाति संस्कृति एवं सनातन संस्कृति में हमें यह समान रूप से देखने को मिलता है। जनजाति संस्कृति में प्रकृति पूजन मुख्य आधार है। जवारे के समय मां प्रकृति का पूजन किया जाता है। इसमें मुख्य रूप से मिट्टी जौ की साधना होती है और रात्रि के समय भी जनजातियों द्वारा गीत गाया जाता है, जो सिद्धि का मुख्य आधार है। सामान्यतः जवारे के आकार के आधार पर ही साधना की पूर्णता व सफलता का आकलन किया जाता है। हरे-भरे व बड़े जवारे सुख समृद्धि व साधना की सफलता का प्रतीक माने जाते हैं। अंतिम दिन देवी मां के नाम से भोग एवं प्रसाद वितरण किया जाता है तथा गांव की समस्त धर्म प्रेमी जनता को भोजन ग्रहण करवाया जाता है।

 

Topics: जनजातिजवारे परंपरानवरात्रिझाबुआ समाचार
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

सेठी ढाबे के शाकाहारी खाने में हड्डियां पाई गईं

मोहाली में ढाबे के वेज खाने में मिली हड्डियां, नवरात्रि व्रत खोलने पहुंचे परिवार की धार्मिक भावनाएं हुईं आहत

नीम के पेड़ में देवी का प्रतिबिंब दिखने पर श्रद्धालु कर रहे पूजा

आस्था:  नवरात्रि में नीम के पेड़ में देवी मां का प्रतिबिंब, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

नवरात्रि में गौवंश की हत्या के बाद हिंदू संगठनों में गुस्सा, जाम की सड़क

नवरात्रि पर बेटियों और महिलाओं के लिए लखीमपुर खीरी प्रशासन की शानदार पहल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

नवरात्रि में मंदिरों के आसपास न हों अंडा और मांस की दुकानें, पूरे UP में 24 घंटे मिले बिजली, सीएम योगी ने दिया आदेश

हिंदू धर्म का मूल है जनजातीय समाज

हिंदू धर्म से पृथक नहीं है जनजातीय दैवीय दर्शन, हर जनजाति है हिंदू

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाला युवक हजरत अली गिरफ्तार 

“पहाड़ों में पलायन नहीं, अब संभावना है” : रिवर्स पलायन से उत्तराखंड की मिलेगी नई उड़ान, सीएम धामी ने किए बड़े ऐलान

योगी आदित्यनाथ, मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

लखनऊ : बलरामपुर, श्रावस्ती, महराजगंज, बहराइच और लखीमपुर खीरी में अवैध मदरसों पर हुई कार्रवाई

पाकिस्तान अब अपने वजूद के लिए संघर्ष करता दिखाई देगा : योगी आदित्यनाथ

चंडीगढ़ को दहलाने की साजिश नाकाम : टाइम बम और RDX के साथ दो गिरफ्तार

कर्नल सोफिया कुरैशी

कर्नल सोफिया कुरैशी ने बताया क्यों चुनी सेना की राह?

“ये युद्धकाल है!” : उत्तराखंड में चारधाम यात्रा से नेपाल सीमा तक अलर्ट, CM ने मॉकड्रिल और चौकसी बरतने के दिए निर्देश

Live: ऑपरेशन सिंदूर पर भारत की प्रेस कॉन्फ्रेंस, जानिये आज का डेवलपमेंट

पाकिस्तान की पंजाब में आतंकी साजिश नाकाम : हथियार, हेरोइन और ड्रग मनी के साथ दो गिरफ्तार

महाराणा प्रताप: हल्दीघाटी की विजयगाथा और भारत के स्वाभिमान का प्रतीक

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies