मंदिर ही सरकारी नियंत्रण में क्यों ?
July 9, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

मंदिर ही सरकारी नियंत्रण में क्यों ?

तिरुपति प्रसादम में मिलावट के बाद हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। तर्क दिया जा रहा है कि जब मस्जिद और चर्च को पूरी स्वायत्ता है तो फिर मंदिर को क्यों नहीं

by अनुराग पुनेठा
Oct 3, 2024, 11:57 am IST
in भारत, मत अभिमत, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र
सबरीमला मंदिर

सबरीमला मंदिर

FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

मंदिर की संपत्ति के प्रबंधन में सरकार की भागीदारी की सीमा देश के धार्मिक और सांस्कृतिक लोकाचार गहन बहस का विषय रही है। प्रसाद को लेकर हाल के विवाद के बाद देशभर में मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग जोर पकड़ रही है। श्रद्धालुओं से मिलने वाले दान के कारण तिरुमला तिरुपति देवस्थानम, केरल के सबरीमला मंदिर और महाराष्ट्र के शिरडी साईं जैसे मंदिरों की गिनती दुनिया के सबसे धनी धार्मिक प्रतिष्ठानों में होती है। उदाहरण के लिए, तिरुमला तिरुपति देवस्थानम देश के सबसे धनी मंदिरों में से एक है।

इसका सालाना राजस्व 3,000-4,000 करोड़ रुपये है। इसे 1933 में राज्य के अधीन लाया गया था। इस हिसाब से इसका संचयी राजस्व लगभग 1.8 लाख से 2 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है। वहीं, सालाना लगभग 200-250 करोड़ की आय वाला शबरीमला मंदिर 1950 से सरकारी नियंत्रण में है यानी बीते 74 वर्ष में सरकारी खजाने में 13,000 से 16,000 करोड़ रुपये जुड़ गए। उसी प्रकार, सालाना लगभग 300 करोड़ की आय वाला शिरडी साईं मंदिर 1922 से राज्य सरकार के नियंत्रण में है, जिसका संचयी राजस्व 102 वर्ष में 29,000 करोड़ रुपये है।

सेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीज के 2016 के एक अध्ययन के अनुसार, देश के प्रमुख हिंदू मंदिरों के पास लगभग 5 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति है। वहीं, नेशनल इंस्टीट्यूट आफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी-2019 के एक अध्ययन की माने तो देश की जीडीपी में धार्मिक पर्यटन (हिंदू तीर्थयात्रा) की हिस्सेदारी लगभग 2.32 प्रतिशत है। दरअसल, मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण की शुरुआत ब्रिटिश काल से शुरू हुई। लेकिन आजादी के बाद अंग्रेजों की बनाई हुई व्यवस्था को खत्म करने की बजाए सरकारें अपना दखल बढ़ाती गईं।

इसी क्रम में तमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम-1959 जैसे कानूनों ने मंदिरों पर राज्य सरकारों के नियंत्रण को औपचारिक बना दिया। इस कानून से सरकारों को ट्रस्टी नियुक्त करने, मंदिर की संपत्तियों का प्रबंधन करने और मंदिर के धन को खर्च करने का निर्देश देने का अधिकार मिल गया।

हिंदू धार्मिक-सामाजिक संगठनों का कहना है कि मंदिरों पर राज्य सरकारों का नियंत्रण भेदभावपूर्ण है। सिर्फ हिंदुओं के मंदिरों को ही सरकारी नियंत्रण में रखा गया है, जबकि मस्जिद और चर्च को पूरी तरह मुक्त रखा गया है।

इस असमानता के कारण हिंदू मंदिरों की स्वायत्तता की मांग की जोर पकड़ रही है। यह तर्क भी दिया जा रहा है कि मंदिरों को राजस्व की प्राप्ति मुख्यत: दान से होती है, इसलिए सरकार की बजाए इनका प्रबंधन हिंदू समाज द्वारा ही किया जाए। मंदिर के कामकाज में सरकार का दखल संविधान के अनुच्छेद-25 का उल्लंघन है, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देता है। इसलिए यह मुद्दा कानूनी या संवैधानिक ही नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील है। हिंदू संगठनों का मानना है कि मंदिर के राजस्व पर राज्य का नियंत्रण बहुसंख्यक समाज के धर्म के विरुद्ध पूर्वाग्रह को दर्शाता है। क्यों सिर्फ हिंदू मंदिर ही सरकार के अधीन हैं? चर्च और मस्जिद क्यों नहीं?

अमेरिका में चर्च, मस्जिद, मंदिर और अन्य उपासना स्थल कर मुक्त होने के साथ-साथ स्वतंत्र रूप से अपना वित्त प्रबंधन करते हैं। ब्रिटेन में भी यही व्यवस्था है। वहां पांथिक संस्थाएं बिना किसी सरकारी दखल के अपने राजस्व को नियंत्रित करती हैं। विख्यात अधिवक्ता फली एस नरीमन ने एक बार कहा था कि सरकार पंथनिरपेक्ष गतिविधियों को विनियमित कर सकती है, लेकिन जिस क्षण वह किसी संस्था के धार्मिक सत्व में हस्तक्षेप करती है, वह खतरनाक जमीन पर कदम रख देती है, जहां संवैधानिक अधिकारों को कुचला जा सकता है। उनकी चेतावनी आज भी प्रासंगिक है। (लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

Topics: मस्जिदहिंदू मंदिरपाञ्चजन्य विशेषतमिलनाडु हिंदू धार्मिक एवं धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियममहाराष्ट्र के शिरडी साईंसेंटर फॉर पॉलिसी स्टडीजचर्चहिंदू समाजमंदिर
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

राष्ट्रीय विद्यार्थी दिवस: छात्र निर्माण से राष्ट्र निर्माण का ध्येय यात्री अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद

India democracy dtrong Pew research

राहुल, खरगे जैसे तमाम नेताओं को जवाब है ये ‘प्‍यू’ का शोध, भारत में मजबूत है “लोकतंत्र”

कृषि कार्य में ड्रोन का इस्तेमाल करता एक किसान

समर्थ किसान, सशक्त देश

उच्च शिक्षा : बढ़ रहा भारत का कद

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

गुरु पूर्णिमा पर विशेष : भगवा ध्वज है गुरु हमारा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नामीबिया की आधिकारिक यात्रा के दौरान राष्ट्रपति डॉ. नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया।

प्रधानमंत्री मोदी को नामीबिया का सर्वोच्च नागरिक सम्मान, 5 देशों की यात्रा में चौथा पुरस्कार

रिटायरमेंट के बाद प्राकृतिक खेती और वेद-अध्ययन करूंगा : अमित शाह

फैसल का खुलेआम कश्मीर में जिहाद में आगे रहने और खून बहाने की शेखी बघारना भारत के उस दावे को पुख्ता करता है कि कश्मीर में जिन्ना का देश जिहादी भेजकर आतंक मचाता आ रहा है

जिन्ना के देश में एक जिहादी ने ही उजागर किया उस देश का आतंकी चेहरा, कहा-‘हमने बहाया कश्मीर में खून!’

लोन वर्राटू से लाल दहशत खत्म : अब तक 1005 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

यत्र -तत्र- सर्वत्र राम

NIA filed chargesheet PFI Sajjad

कट्टरपंथ फैलाने वालों 3 आतंकी सहयोगियों को NIA ने किया गिरफ्तार

उत्तराखंड : BKTC ने 2025-26 के लिए 1 अरब 27 करोड़ का बजट पास

लालू प्रसाद यादव

चारा घोटाला: लालू यादव को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ा झटका, सजा बढ़ाने की सीबीआई याचिका स्वीकार

कन्वर्जन कराकर इस्लामिक संगठनों में पैठ बना रहा था ‘मौलाना छांगुर’

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies