उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जनपद में कुछ दिन पहले मंदिर से मूर्ति चोरी गई थी। मूर्ति को ढूंढा जा रहा था। एक सप्ताह बीत गए थे मगर मूर्ति का कहीं अता – पता नहीं चल सका था। इस बीच चोर ने खुद ही मूर्ति को लाकर रख दिया और उसके साथ एक पत्र भी छोड़ गया। उस पत्र में उसने लिखा है कि उससे गलती हो गई। जिस दिन से उसने मूर्ति चोरी की है। उसके साथ लगातार अनिष्ट हो रहा है। मूर्ति मिल जाने के बाद पूरे विधि – विधान से मूर्ति को फिर से मंदिर में स्थापित किया जा रहा है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि मूर्ति को जूट की बोरी में आश्रम के गेट के पास रखकर चोर चला गया था।
थाना नवाबगंज अंतर्गत आश्रम स्थित मंदिर के गर्भगृह में अष्टधातु की मूर्ति है। राधा-कृष्ण जी की मूर्ति सौ वर्ष से अधिक पुरानी बताई जाती है। गत 23 सितंबर को यह अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गई थी। चोरी की शिकायत पुलिस में दर्ज कराई गई थी। मूर्ति चोरी हो जाने के बाद आश्रम के सभी लोग दुखी थे। गत 1 अक्टूबर को चोर, मूर्ति को मंदिर के पास रख कर चला गया। चोर ने एक पत्र भी लिखा है। उसने लिखा है कि “मुझ से बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे बुरे-बुरे सपने आ रहे हैं। मेरे बेटे की तबीयत भी बहुत खराब हो गई है। थोड़े पैसे के लिए मैंने बहुत गंदा काम किया है। मैंने मूर्ति को बेचने के लिए उसके साथ काफी छेड़छाड़ किया है। अपनी गलती की माफी मांगते हुए मैं मूर्ति को रख कर जा रहा हूं। आपसे विनती करता हूं कि मेरी गलती को माफ कर भगवान को फिर से मंदिर में रखवा दिया जाए। हमारे बच्चों को क्षमा करते हुए अपनी मूर्ति स्वीकार करें।”
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