बरेली। लव जिहाद के चर्चित मामले में बरेली के फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर ने मोहम्मद आलिम को उम्रकैद की सजा सुनाई है। पिता साबिर को दो साल कैद के साथ आलिम पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लव जिहाद को परिभाषित करते हुए कहा है कि धर्मांतरण के जरिए पाकिस्तान-बांग्लादेश की तरह भारत को अस्थिर करने का षड्यंत्र चल रहा है और यह सब देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा है।
न्यायालय ने लव जिहाद व अवैध धर्मांतरण के पीछे विदेशी फंडिंग की आशंका भी जताई है। अभियोजन के अनुसार, बरेली के रहने वाले मोहम्मद आलिम ने अपना नाम बताकर हिन्दू युवती को जिहादी जंजाल में फंसा लिया था। उसका लंबे समय यौन शोषण किया। जबरन गर्भपात कराया था। न्यायाधीश (फास्ट ट्रैक प्रथम) रवि कुमार दिवाकर ने अपने फैसले में लिखा है कि लव जिहाद का मुख्य उद्देश्य हिन्दुस्तान के खिलाफ एक धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्त्वों द्वारा जनसांख्यिकीय युद्ध और अंतरराष्ट्रीय साजिश के तहत वर्चस्व स्थापित करना है।
कोर्ट ने फैसले में लिखा कि आसान शब्दों में कहें तो लव जिहाद समुदाय विशेष के पुरुषों द्वारा गैर समुदायों से जुड़ी महिलाओं को उनके धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रेम का ढोंग करके शादी करना है। लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण, उस धर्म विशेष के कुछ अराजक तत्व करते-करवाते हैं, उसमें सहयोग करते हैं या फिर इस षड्यंत्र में शामिल होते हैं। उन्होंने यह भी साफ किया कि यह कृत्य कुछ ही अराजक तत्व कराते हैं लेकिन पूरा धर्म विशेष बदनाम होता है। फैसले में उन्होंने इसके पीछे विदेशी फंडिंग की भी आशंका जताई है क्योंकि इस कृत्य के लिए बड़ी मात्रा में रकम की जरूरत होती है।
फैसले में लव जिहाद को परिभाषित करते हुए कोर्ट ने कहा है कि यह प्रकरण लव जिहाद के जरिये अवैध धर्मांतरण का है। ऐसे में सबसे पहले यह जानना भी जरूरी है कि लव जिहाद क्या है? लव जिहाद में समुदाय विशेष के पुरुष शादी के माध्यम से अपने धर्म में परिवर्तन कराने के लिए व्यवस्थित रूप से दूसरे समुदाय की महिलाओं को निशाना बनाते हैं। समुदाय विशेष के ये लोग इन महिलाओं का धर्मांतरण कराने के लिए प्यार का दिखावा करके धोखे से शादी कर लेते हैं। इस केस में भी अभियुक्त मोहम्मद आलिम ने अपना नाम आनंद बताकर पीड़िता को धोखे में रखकर हिंदू रीति रिवाज से शादी कर उसके साथ बलात्कार किया। फिर उसकी फोटो व वीडियो बनाकर बदनाम करने की धमकी देकर कई बार बलात्कार किया।
एडीजीसी क्राइम दिगम्बर पटेल ने बताया कि बरेली के थाना देवरनिया क्षेत्र की कम्प्यूटर छात्रा ने आलिम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। छात्रा का कहना था कि कंप्यूटर कोचिंग में पढ़ने के दौरान भोजीपुरा के जादोपुर निवासी आलिम से उसकी मुलाकात हुई। वह अपना नाम आनंद बताता था और हाथ में कलावा भी बांधता था। शादी का झांसा देकर आलिम ने मंदिर में ले जाकर मांग में सिंदूर भर दिया। फिर रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के पास दोस्त के कमरे पर उसका रेप कर अश्लील वीडियो और फोटो बना लिए। फोटो-वीडियो वायरल करने की धमकी देकर कई बार होटल में उसके साथ दुष्कर्म किया। आलिम के घर जाने पर उसके मुसलमान होने का पता लगा था। आलिम के पिता साबिर, भाई वाजिद व नाजिम, बहन शिफा और उसकी मां ने गर्भपात कराकर उस पर कन्वर्जन को दबाव बनाया। विरोध पर पीड़िता को छात्रा पीटकर भगा दिया। हाफिजगंज के नर्सिंग होम में 11 मई 2023 को गर्भपात करा दिया। पुलिस ने आलिम के खिलाफ दुष्कर्म, मारपीट, गालीगलौज, हत्या की धमकी और उसके पिता साबिर के खिलाफ गालीगलौज के आरोप में चार्जशीट कोर्ट में पेश की थी।
कोर्ट ने फैसले में कहा है कि लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण होता है। अवैध धर्मांतरण रोकने को उप्र सरकार द्वारा उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम 2021 पारित किया गया। लव जिहाद के माध्यम से अवैध धर्मांतरण किसी अन्य बड़े उद्देश्य की पूर्ति को कराया जाता है।
फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के जज रवि कुमार दिवाकर ने इसे लव जिहाद का केस मानकर सात मार्च 2024 को आरोप तय कर सुनवाई शुरू की थी। आरोप साबित करने को एडीजीसी क्राइम दिगम्बर पटेल ने पीड़िता छात्रा समेत छह गवाह पेश किए थे। कोर्ट ने दोनों पक्ष की दलीलों को सुनकर धर्मांतरण के उद्देश्य से लव जिहाद करने के दोषी आलिम को आजीवन कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने आलिम द्वारा पीड़िता से धर्मस्थल में की गई शादी को भी अवैध करार दिया। फैसले में कहा गया है कि हिन्दू विवाह अधिनियम में दोनों का हिन्दू होना जरूरी है जबकि आलिम ने धर्म परिवर्तन नहीं किया। सिर्फ लव जिहाद और धर्मांतरण के इरादे से उसने युवती को फंसाने के लिए मांग में सिंदूर भर दिया, जिसे शादी नहीं माना जा सकता। कंप्यूटर छात्रा से लव जिहाद के मामले में थाना पुलिस ने विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम में कार्रवाई नहीं की। कोर्ट ने इस केस में फैसले की प्रति मुख्य सचिव, डीजीपी पुलिस और एसएसपी बरेली को भेजकर लव जिहाद के मामलों में इस अधिनियम के तहत कार्रवाई के निर्देश दिए हैं, ताकि भविष्य में विधि अनुसार कार्रवाई हो।
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