सनातन धर्म की महिमा ही ऐसी है कि जो भी इसे जानने और समझने की कोशिशें करता है वो बस उसी का होकर रह जाता है। ऐसी ही एक घटना छत्तीसगढ़ के सरगुजा में 22 परिवारों के करीब 100 लोगों ने एक साथ सनातन धर्म में घर वापसी कर ली।
क्या पूरा मामला
मामला कुछ यूं है कि छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में 29 सितंबर को ‘विशाल हिन्दू धर्म सभा’ आयोजित की गई। इस मौके पर ऋग्वैदिक गोवर्धन मठ, पुरी के पीठाधीश्वर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती और प्रदेश भाजपा के नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने उत्साहित लोगों को माला पहनाकर उनकी घर वापसी कराई। बताया जाता है कि जिन 22 परिवारों के लोगों ने घर वापसी की वो सभी वनवासी समुदाय से आते है। कुछ वर्ष पहले ये सभी परिवार ईसाई मिशनरियों के द्वारा ट्रिक किए गए थे।
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उन्हें अच्छी शिक्षा, अच्छा जीवन और अच्छे स्वास्थ्य का लालच दिया गया था। खास बात ये है कि इस बात का भी पता चला है कि कन्वर्जन के बाद भी ये लोग आरक्षण के लिए कागजों पर सनातन धर्म का ही पालन कर रहे थे। लोगों ने आरोप लगाया कि अधिकतर कन्वर्जन लालच और प्रलोभन का लालच देकर किया गया था। हालांकि, प्रदेश में सत्ता बदलने के साथ ही हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ता अक्सर ही घर वापसी के कार्यक्रमों का आयोजन करते रहे हैं, ताकि लोगों को वापस सनातन धर्म में लाया जा सके।
इसको लेकर भाजपा नेता प्रबल प्रताप जूदेव ने सोशल मीडिया साइट एक्स के जरिए कहा, “पूर्वजों के पुण्य और मेरे सौभाग्य से सनातन धर्म के सर्वोच्च एवं सार्वभौम धर्मगुरु, अनंत श्री विभूषित ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्री गोवर्धन मठ पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी ने मुझे 22 परिवार के 100 सदस्यों कि घर वापसी करने का पावन अवसर दिया। कृतज्ञ हूँ कि राष्ट्र निर्माण के इस पवित्र कार्य को सनातन धर्म के सर्वोच्च एवं सार्वभौम धर्मगुरु के सानिध्य में प्रतिपादित करना मेरे लिये ऐतिहासिक,अभूतपूर्व,और अलौकिक अनुभूति है।”
धर्म सम्राट स्वामी करपात्रे जी महाराज के शिष्य एवं आदिगुरु शंकराचार्य परंपरा के संवाहक पुरी पीठाधीश्वर स्वामी श्री निश्चलानंद सरस्वती जी जैसे महान संतों का सान्निध्य परंपरागत मूल्यों के प्रति समर्पण का आधार है। उनका मार्गदर्शन और आशीर्वाद पूरे मानव समाज के उत्थान के लिए मील का पत्थर है।आपका मार्गदर्शन मेरे जीवन का उद्देश्य बने इसी आकांक्षा और उत्कंठा से मैं अपनी कृतज्ञता प्रेषित करता हूं।
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