नक्सलियों के झूठ
July 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • धर्म-संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • धर्म-संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

नक्सलियों के झूठ

अर्बन नक्सली और मीडिया का एक धड़ा नक्सलियों को लेकर लगातार झूठ परोसता रहा है।

by Sudhir Kumar Pandey
Sep 28, 2024, 02:35 pm IST
in भारत, विश्लेषण, छत्तीसगढ़
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail

अर्बन नक्सली और मीडिया का एक धड़ा नक्सलियों को लेकर लगातार झूठ परोसता रहा है। ये देश-विदेश में यही प्रचारित करते रहे कि माओवादी जनजातीय समाज और वंचितों के हित में जल, जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे हैं। लेकिन सच इस दावे से कोसों दूर है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने भी इनकी कलई खोल दी है। ये अपने इलाके में कोई भी विकास कार्य नहीं होने देते, ताकि इनके साम्राज्य को चुनौती नहीं दी जा सके। स्थानीय लोग विकास चाहते हैं, लेकिन नक्सली स्कूलों, अस्पतालों को विस्फोट कर उड़ा देते हैं। सड़क नहीं बनने देते और आंगनवाड़ी का विरोध करते हैं। वे लेवी वसूलते हैं और ग्रामीणों को अपने कैडर को पुलिस और सुरक्षाबलों से छिपाने के लिए डराते-धमकाते हैं।

झूठ -1 : माओवादी वनवासियों और वंचितों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।

सच : माओवादी जनताजीय समुदाय का शोषण कर रहे हैं। वे ग्रामीणों से रसद वसूलते हैं और नक्सलियों को छिपाने के लिए दबाव डालते हैं। विरोध करने वाले की हत्या कर देते हैं।

झूठ-2 : नक्सली क्रांतिकारी हैं और अपने कैडर में महिलाओं को पुरुषों के बराबर अधिकार देते हैं।

सच : जनजातीय महिलाओं का सबसे अधिक यौन शोषण माओवादी ही करते हैं। ये अपने संगठन और कथित सेना में शामिल महिलाओं को भी नहीं छोड़ते।

झूठ-3 : माओवादी वनवासियों के वनाधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं।

सच : वनवासियों को वनाधिकार प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार ड्रोन सर्वेक्षण के जरिये जमीन की डिजिटल मैपिंग कर रही है, तो अपना गढ़ बचाने के लिए माओवादी उसके विरुद्ध प्रोपेगेंडा चला रहे हैं।

झूठ-4 : माओवादी जल, जंगल, जमीन की रक्षा के लिए व्यवस्था से लड़ रहे हैं।

सच : ये विकास में बाधक हैं। यहां तक कि लोगों को शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित रखना चाहते हैं। इसलिए स्कूलों, अस्पतालों को भी निशाना बनाते हैं।

झूठ-5 : माओवादी मानवता, जनजातीय संस्कृति के रक्षक हैं और वनवासियों की स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे हैं।

सच : वे ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों की बेरहमी से हत्या करते हैं और समानांतर सरकार चलाते हैं। वनवासी समुदाय के विवादों का निपटारा पहले गायता और पुजारी सुलझाते थे, पर अब उनके मसले जनताना अदालत में संघम सदस्य करते हैं।

झूठ-6 : माओवादी अपने काम में शुचिता और पारदर्शिता रखते हैं और जनता की सहूलियत का ध्यान रखते हैं।

सच : अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए नक्सली कल-कारखानों के मालिकों, स्थानीय व्यवसायियों, ठेकेदारों और ग्रामीणों से भी पैसे वसूलते हैं, जिसे रिवॉल्यूशनरी टैक्स कहा जाता है।

झूठ-7 : नक्सलवाद कोई उग्रवाद या अतिवाद नहीं, बल्कि शोषित किसानों और वंचित वनवासियों के आक्रोश से उपजा स्वत:स्फूर्त आंदोलन है।

सच : माओवादी स्थानीय लोगों को डरा-धमका कर जबरन अपने संगठन में शामिल करते हैं और विरोध करने पर हत्या कर देते हैं। वे सुनियोजित तरीके से जनजातीय समाज का इस्तेमाल ढाल के रूप में करते हैं।

झूठ-8 : माओवादी न्याय और स्वतंत्र न्यापालिका की बात करते हैं।

सच : ये न तो संविधान और न ही देश की किसी संवैधानिक व्यवस्था में विश्वास करते हैं। ये अपनी जनताना अदालतें लगाकर निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या करते हैं।

झूठ-9 : स्थानीय जनजातीय समाज माओवादियों का समर्थन करता है। माओवादी सरकारों द्वारा उपलब्ध कराई जा रही शिक्षा, स्वास्थ्य आदि बुनियादी सुविधाओं का विरोध नहीं करते।

सच : अपने प्रभाव वाले इलाकों में नक्सली लोगों को शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाओं और विकास को बाधित करते हैं, क्योंकि इससे जनजातीय समुदाय के इनके विरुद्ध खड़े होने की संभावना बढ़ जाती है।

झूठ-10 : अर्बन नक्सली यह प्रचारित करते रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोष की प्रतिक्रिया के रूप में माओवाद का जन्म हुआ, जो एक गैर-राजनीतिक आंदोलन है।

सच : नक्सलवाद एक विध्वंसक विदेशी राजनीतिक विचार की उपज है, जिसका एकमात्र उद्देश्य भारत में संवैधानिक सरकार की जगह निरंकुश सत्ता की स्थापना करना है। माओवाद का असली स्वरूप शहरी ही है, ग्रामीण और वन क्षेत्र तो उनकी गुरिल्ला रणनीति के साधन मात्र हैं।

Topics: नक्सलवाद एक विध्वंसक विदेशी राजनीतिकProtector of tribal culturetribal communityfreedom of tribal peopleNaxalism is a destructive foreign politicalवनवासी समुदायपाञ्चजन्य विशेषमाओवादी मानवताजनजातीय संस्कृति के रक्षकवनवासियों की स्वतंत्रताMaoist humanity
ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

700 साल पहले इब्न बतूता को मिला मुस्लिम जोगी

700 साल पहले ‘मंदिर’ में पहचान छिपाकर रहने वाला ‘मुस्लिम जोगी’ और इब्न बतूता

Marathi Language Dispute

‘मराठी मानुष’ के हित में नहीं है हिंदी विरोध की निकृष्ट राजनीति

विरोधजीवी संगठनों का भ्रमजाल

वरिष्ठ नेता अरविंद नेताम

देश की एकता और अखंडता के लिए काम करता है संघ : अरविंद नेताम

मतदाता सूची पुनरीक्षण :  पारदर्शी पहचान का विधान

स्वामी दीपांकर

1 करोड़ हिंदू एकजुट, अब कांवड़ यात्रा में लेंगे जातियों में न बंटने की “भिक्षा”

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

प्रदर्शनकारियों को ले जाती हुई पुलिस

ब्रिटेन में ‘पैलेस्टाइन एक्शन’ के समर्थन में विरोध प्रदर्शन, 42 प्रदर्शनकारी गिरफ्तार

Trump Tariff on EU And maxico

Trump Tariff: ईयू, मैक्सिको पर 30% टैरिफ: व्यापार युद्ध गहराया

fenugreek water benefits

सुबह खाली पेट मेथी का पानी पीने से दूर रहती हैं ये बीमारियां

Pakistan UNSC Open debate

पाकिस्तान की UNSC में खुली बहस: कश्मीर से दूरी, भारत की कूटनीतिक जीत

Karnataka Sanatan Dharma Russian women

रूसी महिला कर्नाटक की गुफा में कर रही भगवान रुद्र की आराधना, सनातन धर्म से प्रभावित

Iran Issues image of nuclear attack on Israel

इजरायल पर परमाणु हमला! ईरानी सलाहकार ने शेयर की तस्वीर, मच गया हड़कंप

RSS का शताब्दी वर्ष : संघ विकास यात्रा में 5 जनसंपर्क अभियानों की गाथा

Donald Trump

Tariff war: अमेरिका पर ही भारी पड़ सकता है टैरिफ युद्ध

कपिल शर्मा को आतंकी पन्नू की धमकी, कहा- ‘अपना पैसा वापस ले जाओ’

देश और समाज के खिलाफ गहरी साजिश है कन्वर्जन : सीएम योगी

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • धर्म-संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies