आजकल, साइबर अपराधियों द्वारा लोगों को धोखा देने का एक बहुत ही आम तरीका है केवाईसी (नो योर कस्टमर)।इस धोखाधड़ी में अपराधी लोगों से निजी जानकारी चुराने के लिए कई तरकीबें अपनाते हैं। आइए जानते हैं कि केवाईसी धोखाधड़ी क्या है, यह कैसे काम करती है, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
केवाईसी धोखाधड़ी क्या है?
केवाईसी का मतलब है “नो योर कस्टमर,” जो एक प्रक्रिया है जिसमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अपने ग्राहकों की पहचान की पुष्टि करनी होती है। लेकिन कुछ लोग इसका गलत इस्तेमाल करके लोगों से उनकी जानकारी चुराते हैं। साइबर अपराधी इस प्रक्रिया का फायदा उठाते हैं और आपको कॉल, संदेश या ईमेल के जरिए संपर्क करते हैं, जिसमें वे आपसे आपकी पहचान, पता, बैंक जानकारी, और कभी-कभी और भी संवेदनशील जानकारी मांगते हैं।
साइबर अपराधियों के तरीके
फर्जी कॉल और मैसेज
जालसाज खुद को बैंक या सरकारी एजेंसी का अधिकारी बताकर कॉल करते हैं और आपसे जानकारी मांगते हैं।
फिशिंग ईमेल
ये ईमेल आपको किसी लिंक पर क्लिक करने के लिए कहते हैं। यदि आप क्लिक करते हैं, तो आप धोखाधड़ी की वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं।
फर्जी ऐप
कई बार ये अपराधी फर्जी मोबाइल ऐप बनाते हैं, जो आपकी जानकारी चुराने के लिए होते हैं।
मैलवेयर इंस्टॉलेशन
यदि आप फिशिंग लिंक पर क्लिक करते हैं, तो आपके डिवाइस में मैलवेयर इंस्टॉल हो सकता है, जिससे आपकी सारी जानकारी चोरी हो सकती है।
केवाईसी धोखाधड़ी से कैसे बचें?
- किसी भी अनजान नंबर से आई कॉल, मैसेज या ईमेल में दिए गए लिंक पर क्लिक न करें।
- किसी भी अनजान व्यक्ति के साथ अपनी व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें, भले ही वह किसी बैंक का अधिकारी या सरकारी एजेंसी का सदस्य हो।
- यदि कोई आपसे जानकारी मांगता है, तो पहले उसकी पुष्टि करें। किसी अधिकृत स्रोत से जानकारी लें।
- अनजान नंबर से आपको ऐप या वेबसाइट खोलने के लिए कहे जाने पर उस पर क्लिक न करें।
- किसी भी सार्वजनिक वाईफाई का उपयोग करने से बचें और हमेशा सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग करें।
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