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रेलवे स्टेशन पर क्यों लिखी होती है समुद्र तल से ऊंचाई? जानिए इसके पीछे की वजह

Published by
Mahak Singh

भारतीय रेलवे दुनियाभर में सबसे बड़े रेल नेटवर्कों में से एक है, और अधिकांश लोग इसका उपयोग लंबी दूरी की यात्रा के लिए करते हैं। जब भी हम किसी रेलवे स्टेशन पर आते हैं, तो वहां लगे साइनबोर्ड पर स्टेशन का नाम हिंदी, अंग्रेजी और उर्दू में लिखा होता है। इसके साथ ही एक और जानकारी जो अक्सर दी जाती है, वह है “समुद्र तल से ऊंचाई” (Height Above Mean Sea Level – MSL)। हालांकि, ज्यादातर लोग इस जानकारी का महत्व नहीं समझते। तो आखिर रेलवे स्टेशन के बोर्ड पर यह ऊंचाई क्यों लिखी जाती है? आइए जानते हैं-

MSL का क्या मतलब होता है?

समुद्र तल से ऊंचाई को मापने के लिए “Mean Sea Level” (MSL) का उपयोग किया जाता है। दुनिया में सभी जगह समुद्र का स्तर एक जैसा नहीं रहता, लेकिन औसत स्तर को मानक के रूप में लिया जाता है। समुद्र तल को ऊंचाई मापने का आधार इसलिए चुना गया है क्योंकि यह एक स्थिर और सटीक मापदंड है। जब भी किसी जगह की ऊंचाई मापनी हो, तो उसे समुद्र तल से तुलना करके मापा जाता है। इसलिए रेलवे स्टेशन के साइनबोर्ड पर भी इसी मानक का उपयोग किया जाता है।

ट्रेन संचालन में मदद

समुद्र तल से ऊंचाई की जानकारी सबसे ज्यादा ट्रेन चालक और गार्ड के लिए उपयोगी होती है। रेलवे ट्रैक पर ट्रेन को चलाने के दौरान ऊंचाई का ध्यान रखना जरूरी होता है, क्योंकि इससे ट्रेन की गति, इंजन की पावर, और ब्रेकिंग सिस्टम पर असर पड़ता है। उदाहरण के लिए, अगर ट्रेन ऊंचाई पर चढ़ रही है, तो चालक को यह पता होता है कि ट्रेन को और अधिक पावर की आवश्यकता होगी। वहीं, अगर ट्रेन ढलान की ओर जा रही है, तो उसे गति को नियंत्रित करने के लिए अधिक ब्रेक लगाने पड़ेंगे।

ऊंचाई के आधार पर ट्रेन की गति और सुरक्षा

ट्रेन चलाने के दौरान समुद्र तल से ऊंचाई को ध्यान में रखकर ट्रेन की गति का निर्धारण किया जाता है। ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ट्रेन को धीमी गति से चलाना पड़ सकता है ताकि वह बिना किसी बाधा के अपनी यात्रा पूरी कर सके। अगर चालक ऊंचाई के बारे में जागरूक होता है, तो वह ट्रेन को सही ढंग से नियंत्रित कर सकता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाती है।

ट्रैक की संरचना और रखरखाव में मदद

रेलवे ट्रैक की संरचना और रखरखाव में भी समुद्र तल से ऊंचाई का विशेष महत्व है। ऊंचाई के आधार पर ट्रैक का डिजाइन और उसकी इंजीनियरिंग की जाती है। उदाहरण के लिए, पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रैक को ज्यादा टिकाऊ और सुरक्षित बनाने के लिए ऊंचाई की सटीक जानकारी जरूरी होती है। इससे रेलवे इंजीनियरों को यह समझने में मदद मिलती है कि ट्रैक को किस तरह से बिछाना है ताकि ट्रेन की आवाजाही सुरक्षित और सुगम रहे।

बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से बचाव

समुद्र तल से ऊंचाई की जानकारी बाढ़ और अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय भी महत्वपूर्ण होती है। निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए रेलवे स्टेशनों और ट्रैकों की ऊंचाई की जानकारी यह सुनिश्चित करने में मदद करती है कि वे सुरक्षित स्थान पर स्थित हैं। यह जानकारी रेलवे अधिकारियों को सही समय पर चेतावनी देने और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करती है।

 

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