आंध्र प्रदेश

तिरुपति लड्डू विवाद : अब होगा दूध का दूध और पानी का पानी, 9 सदस्यीय SIT टीम करेगी पूरे मामले की जांच

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Parul

नई दिल्ली तिरुपति लड्डू विवाद के बाद आंध्र प्रदेश सरकार ने मामले की गहराई से जांच के लिए विशेष जांच दल (SIT) का गठन कर दिया है। इस नौ सदस्यीय SIT की अध्यक्षता गुंटूर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक सर्वश्रेष्ठ त्रिपाठी करेंगे, जिनके साथ अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी शामिल होंगे। मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने 22 सितंबर को SIT गठन की घोषणा की थी, ताकि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) से जुड़े इस विवाद की निष्पक्ष जांच हो सके।

आंध्र प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव नीरभ कुमार ने गुरुवार को आदेश जारी करते हुए कहा, “तिरुमला देवस्थानम की पवित्रता की रक्षा करना सरकार की प्राथमिकता है। SIT इस विवाद की विस्तृत और निष्पक्ष जांच करेगी, ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके।”

YSRCP नेताओं की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग

हालांकि, विपक्षी YSR कांग्रेस पार्टी (YSRCP) के नेताओं ने इस जांच पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की है। उनका आरोप है कि SIT द्वारा की गई जांच निष्पक्ष नहीं होगी, क्योंकि यह मुख्यमंत्री को रिपोर्ट करती है। YSRCP के वरिष्ठ नेता और पूर्व अतिरिक्त महाधिवक्ता पी सुधाकर रेड्डी ने भी इस मांग का समर्थन किया, जिससे यह विवाद और गहरा गया है।

क्या है तिरुपति लड्डू विवाद?

तिरुपति मंदिर के प्रसिद्ध प्रसाद ‘लड्डू’ में कथित रूप से मिलावट की खबरें सामने आई थीं। आरोपों के मुताबिक, प्रसाद में बीफ टेलो (गाय की चर्बी) और अन्य घटिया सामग्रियों का प्रयोग किया जा रहा था। इस मामले ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई और पूरे राज्य में विवाद खड़ा कर दिया। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्र बाबू नायडू ने पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी पर मिलावट के लिए जिम्मेदार होने का आरोप लगाया। इस गंभीर मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हंगामा खड़ा कर दिया है।

जांच की दिशा

SIT इस विवाद की जांच के दौरान सभी पहलुओं को ध्यान में रखेगी। इसके तहत प्रसाद में उपयोग की गई सामग्रियों की जांच, संबंधित आपूर्तिकर्ताओं और अधिकारियों की भूमिका की समीक्षा की जाएगी। SIT का उद्देश्य इस विवाद का समाधान निकालना और तिरुमला देवस्थानम की पवित्रता को सुनिश्चित करना है।

तिरुपति लड्डू विवाद ने न केवल धार्मिक बल्कि राजनीतिक स्तर पर भी बड़ा हंगामा खड़ा कर दिया है। SIT के गठन के बाद YSRCP की सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में जांच की मांग से मामले में और भी पेचीदगी आ गई है। देखना होगा कि इस जांच के नतीजे क्या होंगे और तिरुमला की पवित्रता के संदर्भ में यह विवाद कैसे हल होगा।

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