विज्ञान और तकनीक

वीडियो सामग्री के होते हैं कई फॉरमैट

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बालेन्दु शर्मा दाधीच

अगर आप यूट्यूब देखते हैं तो दो तरह के वीडियो पर आपका ध्यान जरूर गया होगा। पहले हैं सामान्य वीडियो जिन्हें ज्यादातर चैनलों पर देखा जा सकता है। दूसरे हैं यूट्यूब शॉर्ट्स जो बहुत छोटे आकार के लेकिन लंबवत् दिखाई देने वाले वीडियो हैं जिन्हें लोग फटाफट-फटाफट एक के बाद एक स्क्रॉल करके देखते रहते हैं। ये दोनों यूट्यूब पर सर्वाधिक देखे जाते हैं। लेकिन इनके अलावा और फॉरमैट भी हैं जो उस पर चलते हैं।

सामान्य वीडियो : ये वही वीडियो हैं जिन्हें हम लंबे समय से देखते आए हैं। इनमें से ज्यादातर क्षैतिज (जिनकी चौड़ाई अधिक होती है, लंबाई कम) होते हैं लेकिन कुछ वीडियो लंबवत् (जिनकी लंबाई अधिक होती है, चौड़ाई कम) आकार के भी होते हैं। इनमें कुछ सैकेंड से लेकर कुछ घंटों तक के वीडियो भी शामिल हैं। आम तौर पर इन्हें लॉन्ग फॉर्म (लंबे आकार के) वीडियो की श्रेणी में गिना जाता है।

यूट्यूब शॉर्ट्स : ये इन्स्टाग्राम और फेसबुक की रील्स जैसे लंबवत् वीडियो हैं जिनकी अवधि अधिकतम 60 सेकेंड तक ही हो सकती है। अगर किसी वीडियो का आकार इससे एक सेकेंड भी बड़ा है तो वह सामान्य वीडियो की श्रेणी में आ जाता है और ‘शॉर्ट्स’ नहीं कहलाता। इनका आकार मोबाइल फोन की स्क्रीन के अनुकूल है और उसी से प्रेरित है। टिकटॉक पर इस आकार-प्रकार के वीडियो लोकप्रिय होने के बाद दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने भी ऐसे छोटे वीडियो अपनाए हैं।

लाइव स्ट्रीम: जिस तरह से दूरदर्शन पर राष्ट्रीय महत्व के कार्यक्रमों का, खेलों से जुड़े टेलीविजन चैनलों पर विभिन्न मैचों और समाचार चैनलों पर खबरों तथा चर्चाओं का लाइव प्रसारण होता है उसी तरह से यूट्यूब पर भी कार्यक्रमों का लाइव (उसी समय) प्रसारण किया जा सकता है। यह एक अद्भुत क्षमता है जो यूट्यूब चैनलों के संचालकों को उपलब्ध है। इन कार्यक्रमों का रिकॉर्डिंग के साथ-साथ ही प्रसारण भी हो रहा होता है। साथ ही, एक तरफ दर्शकों के साथ चैट (जीवंत चर्चा) भी चल रही होती है जहां लोग टाइप करके अपनी टिप्पणियां डाल सकते हैं और चैनल के संचालक उनके उत्तर दे सकते हैं।

प्रीमियर : इस श्रेणी में ऐसे वीडियो आते हैं जिन्हें पहले किसी समय रिकॉर्ड किया गया है लेकिन बाद में एक निश्चित समय पर प्रीमियर के रूप में प्रसारित किया जा रहा है। इसके कई लाभ हैं। एक तो यह कि प्रीमियर की श्रेणी में आने वाले वीडियो विशिष्ट माने जाते हैं और दूसरे, उन्हें पहले से प्रचारित करने के लिए कन्टेन्ट तथा समय मिल जाता है। तीसरे, इन प्रसारणों के पहले तथा प्रसारण के दौरान दर्शकों के साथ लाइव चैट (चर्चा) की सुविधा मिलती है।

स्टोरीज : जिन यूट्यूब चैनलों के सबस्क्राइबरों की संख्या 10,000 से ज्यादा है उन्हें ही यह विशेष सुविधा मिलती है। इसके तहत यूट्यूब क्रिएटर अपने वीडियो के बारे में छोटे-छोटे अपडेट जारी कर सकते हैं जिनसे उनका प्रचार होता है। दर्शकों की दिलचस्पी बनाए रखने और उन्हें अपने साथ जोड़े रहने के लिए यह एक अच्छी सुविधा है। इन्हें आप नि:शुल्क विज्ञापनों (प्रमोशन) के रूप में भी देख सकते हैं।

सामुदायिक टिप्पणियां : यूट्यूब क्रिएटर चाहें तो अपने चैनल में अपने सबस्क्राइबरों के साथ संवाद करने, उनकी राय लेने और अपने वीडियो को प्रचारित करने के लिए कम्युनिटी नामक टैब का प्रयोग कर सकते हैं। यहां पर टेक्स्ट, चित्र, मतदान, एनिमेशन आदि का प्रयोग किया जा सकता है। जैसे आप यह पूछ सकते हैं कि क्या आपके दर्शक ओलंपिक के दौरान आपके चैनल पर विशेष कार्यक्रम देखना पसंद करेंगे?

प्लेलिस्ट : अनेक वीडियो को एक समूह में जोड़कर पेश करने को यूट्यूब की भाषा में प्लेलिस्ट कहते हैं। किसी प्लेलिस्ट के वीडियो एक के बाद एक क्रमानुसार आते रहते हैं और लोग उन्हें उसी क्रम में देखते रहते हैं। इन सभी वीडियो के बीच कोई न कोई बात एक सी होती है, जैसे किसी एक कलाकार के गाने, किसी एक वर्ष की फिल्में, किसी एक महापुरुष के प्रवचन, एक ही श्रेणी की सामग्री (भजन, गजलें, पुस्तक समीक्षाएं) आदि।

(लेखक माइक्रोसॉफ़्ट एशिया में वरिष्ठ अधिकारी हैं)

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