दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व आईएएस ट्रेनी पूजा खेड़कर को सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करके OBC और दिव्यांगता के कोटे का गलत फायदा उठाकर गिरफ्तारी से मिले अंतरिम संरक्षण की अवधि को 4 अक्तूबर तक के लिए बढ़ा दिया है। हालांकि, पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत की मांग वाली याचिका को हाई कोर्ट ने टाल दिया है।
मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस चंद्र धारी की बेंच ने की। पूजा खेड़कर के वकील ले कोटे को लेकर झूठी गवाही देने के केस में अपना जबाव फाइल करने के लिए एक सप्ताह के समय की मांग की थी। सुनवाई के दौरान पूजा खेडकर के वकील ने कोर्ट को बताया कि पूर्व आईएएस प्रशिक्षु मौजूदा वक्त में महाराष्ट्र में हैं, उन पर पूरी मीडिया का ध्यान है और इस कारण वो अपने आप में काफी दबाव महसूस कर रही हैं।
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हालांकि, पूजा खेडकर के वकील की इस दलील पर UPSC के वकील ने टिप्पणी की कि वो अपनी ही हरकतों के कारण मशहूर हो गई हैं। यह उन्हें मीडिया से दिक्कत हैं तो प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं करनी थी। वहीं दिल्ली पुलिस ने भी हाई कोर्ट में दलील दी कि एजेंसियों पर कभी किसी भी तरह का प्रेशर नहीं होता है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस ने इस बात का भी दावा किया है कि पूजा खेडकर के केस में पुलिस के हाथ एक बड़ी लीड लगी है। इसके साथ ही उसे जालसाजी और दस्तावेज तैयार करना शामिल है।
UPSC ने दर्ज कराया था केस
गौरतलब है कि सिविल सेवा परीक्षा में धोखाधड़ी करने के मामले में UPSC ने पूजा खेडकर के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इसी के साथ ही 31 जुलाई 2024 को यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी को कैंसिल कर दिया था। पूजा खेडकर को अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए CSE-2022 के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया था। आरोप ये भी है कि पूजा खेडकर ने आयोग के समक्ष अपनी गलत पहचान को पेश किया था।
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